*भारी पड़ेगी “अनदेखी” स्वास्थ्य विभाग की*
जवाब तो मिला लेकिन “सरकारी तर्ज़” पर। खाद्य निरीक्षक महोदय ने खुलासा किया कि यह बर्फ खाने लायक नहीं है इसका नोटिस बर्फ की फैक्ट्री में लगाते है। इसके बाद वह “बेचे” ओर जनता “गटके” तो इसके लिए हम “कसूर वार” नहीं। अब बर्फ ख़रीदने वाला तो फैक्ट्री जाता नही। गंदे नालों के ऊपर तख्ते रख कर कारोबारी बर्फ बेचते है। बेचने वाले दुकानदार को वो बर्फ कौनसा “अपने” घर के लोगों को खिलाना है। ग्राहक को ही तो “ठंडा” करने है और अपनी “जेब गर्म” तो बर्फ खाने लायक है या नहीं । उसे क्या लेना देना। अब “दूषित” भी है तो बिकेगी तो खरीदेंगे भी। मतलब जानलेवा बर्फ को न तो बनाने से कोई रोकने वाला। न बेचने वालों को टोकने वाला और न ही गले से नीचे उतारने वालों को कोई समझाने वाला। जानकर बता रहे है कि “घर में शुद्ध पानी से फ्रीज़” में जमा बर्फ ही खाने लायक हैं । अब यह बात “स्वास्थ्य विभाग” दुकानदारों ओर जनता को “कब तक” बता पायेगा यह देखने वाली बात है।
अब जरा नजर डाले उन फैक्ट्री पर जहां आपके गले को गर्मी से राहत पहुंचाने के लिए तैयार की जाती बर्फ। दिन भर धूल मिट्टी से पानी छन कर आता हैं। जिन सांचों में बर्फ जमाई जाती हैं वो लोहे के बने होते। जिनमें पानी के कारण जंग लग जाती हैं।इसी जंग लगे पात्र में बनती हैं बर्फ। अब वहां से छोटे टेम्पो में जो लोहे का होता हैं उसमें लाते हैं। यानी यही जंग लगी बर्फ आपके गले को तर करती हैं।स्वास्थ्य विभाग को सब पता होने के बाद भी *मौन* हैं। सरकार ने शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की घोषणा कर रखी हैं लेकिन शहर कहीं भी इस अभियान की झलक तक नजर नहीं आती हैं। बर्फ तो एक हिस्सा हैं। बाकी मावा, देशी घी,खाध्य तेल,मिठाइयां शुद्ध से युद्ध अभियान से *कोसों दूर* हैं।
– *सुशील चौहान*
– *9829303218*
– *स्वतंत्र पत्रकार*
– *पूर्व उप सम्पादक, राजस्थान पत्रिका*
– *वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब,भीलवाड़ा*
– *sushilchouhan 953@gmail.com*