राजस्थान: लाडनूं में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योगोत्सव का आयोजन

योगोत्सव के लिए ‘100 दिन, 100 शहर, 100 ऑर्गनाइजेशंस’ कॉन्सेप्ट पर अगला नंबर लाडनूं, राजस्थान का

भारत के अनेक बहुमूल्य उपहारों में से योग एक है, क्योंकि योग का उद्भव भारत से ही माना जाता है। योग व्यायाम के बारे में नहीं है, बल्कि अपने भीतर आपसी एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन-शैली में यह चेतना बनकर हमेशा ही मददगार साबित होता है। आगामी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन से पहले राजस्थान में इसकी तैयारी महीनों पहले से ही देखी जाने लगी है। भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स ने स्वदेशी सोशल मीडिया मंच, कू ऐप पर इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि लाडनूं में आज यानी 5 मई, 2022 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योगोत्सव मनाया गया। यह योग उत्सव आचार्य तुलसी इंटरनेशनल प्रेक्षा मेडिटेशन सेंटर में सुबह 6:30 बजे से मनाया गया।

मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स ने पोस्ट करते हुए कहा है:
47 दिन शेष

बताते चलें कि भारत में योगोत्सव बेहद अनोखी पहल के साथ मनाया जा रहा है, जो कि ‘100 दिन, 100 शहर, 100 ऑर्गनाइजेशंस’ पर आधारित है। इस प्रकार बीते 53 दिनों से देश के अलग-अलग राज्यों से ताल्लुक रखने वाले कई शहरों में विविध ऑर्गनाइजेशंस में यह उत्सव मनाया जा रहा है।

इस प्रकार हुई थी पहल

27 सितंबर, 2014 में पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस के आयोजन की पहल की थी। 11 दिसंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को पूर्ण बहुमत से पारित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्य देशों में से 177 सदस्यों ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दी थी।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की मंजूरी के बाद 21 जून 2015 को समूचे विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन भव्य तरीके से किया गया था। पीएम मोदी के नेतृत्व में करीब 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे। खास बात यह है कि इस आयोजन ने अपना नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया था। पहला रिकॉर्ड यह बना कि 35,985 लोगों ने एक साथ योग किया और दूसरा यह कि 84 देशों के लोगों द्वारा इस समारोह में हिस्सा लिया गया था। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम सद्भाव और शांति के लिए योग थी।

योग दिवस के लिए 21 जून ही क्यों महत्वपूर्ण
भारतीय संस्कृति के अनुसार यह दिन वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है, यानी सूर्योदय से सूर्यास्त होने के बीच के समय का अंतराल सर्वाधिक होता है। इसी दिन से सूर्य की गति की दिशा दक्षिणायन होती है और सूर्य की यह दक्षिणायन स्थिति योग के द्वारा आध्यात्मिक विधा प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मानी गई है। इसलिए 21 जून को ग्रीष्म ऋतु की संक्रांति भी कहा जाता है। यही वजह रही कि इस दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चुना गया, जो कि दुनिया द्वारा इस वर्ष 8वीं बार मनाया जाएगा।

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