जयपुर । श्री दिगंबर जैन मंदिर वरुण पथ मानसरोवर में चल रहे भव्य चातुर्मास में विराजमान परम पूज्य आचार्य गुरुवर विवेक सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित धर्म सभा में धर्मानुरागी बंधुओं को मंगल आशीर्वाद देते हुए परम पूज्य आचार्य गुरुवर विवेक सागर जी महाराज ने कहा की देव शास्त्र गुरु की विशेषता जैन दर्शन में वैसी ही है जैसे दूध में मिश्री डालने से दूध स्वादिष्ट हो जाता है मनुष्य रूपी जीवन में शास्त्र रूपी मिश्री को घोल दिया जाए तो आपका जीवन उत्तम और श्रेष्ठ बन जाएगा शास्त्रों में ज्ञान होता है और शास्त्रों के ज्ञान से पदार्थों में असीम शक्ति है यह हमें पता चलता है वास्तविक ज्ञान चाहिए तो शास्त्रों को अपने जीवन में अंगीकार करें क्योंकि अल्प ज्ञान वालों के लिए आपको सब कुछ प्रैक्टिकल करना पड़ेगा यद्यपि केवली भगवान के ज्ञान में सब कुछ दिखाई देता है दूध में फिटकरी डालने पर उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है या बदल जाता है हम भी हमारे जीवन में फिटकरी घोलने का काम कर रहे हैं इसलिए बंधुओं जीवन का कल्याण करना है तो अपने जीवन में मिश्री को घोलिए मिश्री को घूलने से आप का कल्याण होगा यह बात निश्चित है और मनुष्य को जीनालयो से ही तत्वज्ञान का बोध हो सकता है आत्मज्ञान की पहचान किसी भी लैबोरेट्री में नहीं हो सकती जैसे जमी कंद में अनेक जीव होते हैं यह जैन दर्शन सदियों पहले बता चुका जबकि वैज्ञानिकों ने इस बात की खोज करी तो उन्हें सदिया लग गई यह पता लगाने में इसीलिए तो कहते हैं कि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ जैन दर्शन है इसलिए बंधुओं आपको जब अवसर मिला है तो जैन दर्शन को जरूर समझिए तभी आप का कल्याण होगा
कोषाध्यक्ष कैलाश सेठी ने बताया कि परम पूज्य मुनि श्री 108 अर्चित सागर जी महाराज ने मंगल आशीर्वाद देते हुए कहा की सुनना है तो वीतराग देव को सुनना चाहिए और मानना है तो केवल आचार्य परमेष्ठी की माननी चाहिए वर्तमान में आशाएं तो हमारी बढ़ती जा रही है लेकिन उनके अनुरूप हमें मिल कुछ नहीं रहा इसलिए बंधुओं पुण्य का संग्रह कीजिए जिससे आशाओं की पूर्ति होगी और जीवन का कल्याण होगा इसलिए मैं सदैव यह बात कहता हूं कि आपको पुरुषार्थ करना चाहिए पुरुषार्थ करने से पुण्य का बंद होता है और जीवन का कल्याण होगा
प्रचार संयोजक विनेश सोगानी ने बताया कि मंगलाचरण के माध्यम से विधिवत शुभारंभ ऐलकश्री 105 विप्रमाण सागर जी महाराज ने किया भगवान महावीर स्वामी एवं समाधि सम्राट आचार्य रत्न सुमति सागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर परम पूज्य आचार्य गुरुवर विवेक सागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य श्री रामजी लाल जी जैन हीरा पथ वालों ने प्राप्त किया इस अवसर पर सभी सम्माननीय अतिथियों का स्वागत , विमल बाकलीवाल, विनेश सोगानी, बिरेश जैन टी टी, राजेन्द्र सोनी ,श्रीमती सुशीला टोंग्या ने किया