जयपुर । श्री दिगंबर जैन मंदिर वरुण पथ मानसरोवर में चल रहे चातुर्मास के अंतर्गत परम पूज्य आचार्य गुरुवर विवेक सागर जी महाराज ने उपस्थित बंधुओं से कहा की जैन दर्शन ऐसा दर्शन है जहां भक्तों को भगवान बनने का अवसर मिलता है केवल जैन दर्शन ही मोक्ष मार्ग पर जाने का रास्ता बताता है । आचार्य गुरुवर विवेक सागर महाराज ने गौरव मति माताजी की सल्लेखना समाधि के अवसर पर कहां जो भव्य जी संयम को धारण करके सल्लेखना लेते हैं उनकी साधना का उद्देश्य समाधि मरण ही होता है तो वह जी जब जब इस देह को छोड़ने के लिए मुंह को छोड़कर सल्लेखना रूपी मार को पकड़ते हैं।
संगठन मंत्री हेमेंद्र सेठी ने बताया की इस अवसर पर परम पूज्य मुनि श्री 108 अर्चित सागर जी महाराज ने उपस्थित बंधुओं को मंगल आशीर्वाद देते हुए कहा की जो मुनि पद आर्यिका का पद धारण करते हैं वह यही भावना भागते हैं मेरा अंत समय में मेरा शरीर साथ छोड़ दे लेकिन मेरे द्वारा लिए गए व्रत और संकल्प नहीं छूटने चाई हैं और यही सबसे बड़ा पुण्य है कि इतने सारे संतों के पावन सानिध्य में गौरव मति माताजी का समाधि मरण हुआ माताजी तो अपने रास्ते अपने उचित मार्ग पर चली गई लेकिन हमें उनके संस्कारों को अंगीकार करना चाहिए क्योंकि उन्होंने हमें आगम के अनुसार शिक्षा प्रदान की है ।
प्रचार संयोजक विनेश सोगानी ने बताया कि धर्म सभा का मंगलाचरण के माध्यम से विधिवत शुभारंभ अर्चिता दीदी ने किया एवं भगवान महावीर स्वामी व तपस्वी सम्राट आचार्य रत्न सुमति सागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर परम पूज्य आचार्य गुरुवर विवेक सागर महाराज का पाद प्रक्षालन कर शास्त्र भेंट करने का सोभाग्य मीना देवी पाटनी, धीरज, पूर्णिमा पाटनी, जहान्वी एवं अनवी को प्राप्त हुआ इस अवसर पर सभी सम्माननीय अतिथियों का तिलक एवं माल्यार्पण कर हेमेंद्र सेठी, विनेश सोगानी, अनील दीवान, राजकुमार काला, पूर्णीमा पाटनी ने स्वागत किया ।