हवेली से सावन की डोकरी और चिरमी पर संवाद कार्यक्रम

वरिष्ठ लेखक, चिकित्सक डॉ श्रीगोपाल काबरा की पुस्तक “हवेली से सावन की डोकरी और चिरमी” (भाषा विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा सम्मानित) पर एक कार्यक्रम, संवाद की एक शाम डॉ श्रीगोपाल काबरा के नाम अर्नेस्ट कैफे, सरोजनी मार्ग, सी स्कीम, जयपुर में सम्पन्न हुई।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सुश्री चैल्सी ने डॉ श्रीगोपाल काबरा का परिचय दिया।
अपनी चिकित्सकीय एवं साहित्यिक जीवन यात्रा पर बोलते हुए डॉ श्रीगोपाल काबरा ने बताया कि किस तरह हवेली के गोखे से झरोखे तक उन्होंने शेखावाटी अंचल की हवेली से निकलकर बंगाली संस्कृति के मध्य अपने चिकित्सक जीवन की शुरुआत की। साझा परिवार से एकल परिवार की यात्रा में बहुत कुछ पहुंच से दूर हो गया । परंतु स्मृति विस्मृत नहीं हुई, संवेदनाएं तिरोहित नहीं हुई।
पीढ़ी दर पीढ़ी की सहयोग सद्भाव प्रवृत्ति, सकारात्मकता, संवेदना और संस्कार सदैव उनके संग-साथ चलते रहे। ना लक्ष्य कभी दूर हुए ना सामुहिक जीवन की वह गंध।

कार्यक्रम के उद्देश्य और परिकल्पना से सदन का परिचय लोकसेवा आयोग, अजमेर के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि हम इस सांझी और समृद्ध परम्परा से ना केवल समाज के विभिन्न वर्गों वरन् सांस्कृतिक कर्मियों और प्रयोगधर्मी युवा वर्ग को भी जोड़ना चाहते हैं। यह एक शुरुआत है हम सब मिलकर इसे उतरोतर विभिन्न विषयों के साथ अलग-अलग जगह एवं लोगों के साथ संवाद सेतु के रूप में विकसित करना चाहेंगे। डॉ श्रीगोपाल काबरा की टेबुल के आर-पार-ताने-बाने हजार लेकर बेठी । वरिष्ठ साहित्यकार ,संस्थापक अध्यक्ष साहित्य समर्था, स्पंदन महिला साहित्यिक एवं शैक्षणिक संस्थान, जयपुर की श्रीमती नीलिमा टिक्कू ने सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत, उसके क्षरण और वर्तमान परिदृश्य में उसकी महती आवश्यकता पर संवाद किया। कन्या भ्रूण हत्या, बेटियों की दोयम दर्जे की स्थिति तथा असंगठित मजदूर महिलाओं के स्वास्थ पर भी श्रीमती नीलिमा ने डॉ काबरा के अनुभव और विचार साझा किए। एकाकी और दमघोंटू जीवन, हवेली में मातहतों को उम्र के आधार पर सम्मान और मान, प्रकृति प्रेम पर भी दोनों तरफ से बेबाक राय व्यक्त की गई।
इसके पश्चात डॉ काबरा की इसी पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद का विमोचन तथा विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर वैचारिक मंथन हुआ। संवाद सारथी साहित्यकार शिवानी जयपुर ने सदन में उपस्थित शहर के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, शिक्षाविदों इतिहासकारों, प्रकाशकों तथा मीडिया कर्मियों के साथ हवेली से सावन की डोकरी और तीज नामक पुस्तक को केन्द्र में रखकर नूतन-पुरातन जीवन शैली, पारिवारिक स्नेह, प्रदुषण, परम्पराओं लोकगीत-उत्सव जैसे विषयों पर सवाल-जवाब और जिज्ञासाएं शांत की।
“कलम है हथियार, रथ पे सवार” खंड में शहर के प्रतिष्ठित साहित्यकारों मायामृग धुनिया: ओटन लगे कपास, श्रीमती शशि पाठक बावली रानी मिन्नी-थतोलिया, श्रीमती नूतन गुप्ता भोल्या की माँ, अजय अनुरागी सुक्खा काका, श्रीमती एस.भाग्यम शर्मा पुजारी जी, महेश शर्मा नेग-दस्तूर, श्रीमती अंजना चड्डा सावन की डोकरी- बीर बहूटी, श्रीमती रत्ना शर्मा कलेवा हवेली में, शैलेश सोनी जागा, श्रीमती निरुपमा चतुर्वेदी कलई वाला, मूमल तंवर नेवगी, काका नायण काकी, प्रोफेसर अजय पुरोहित मोजड़ी, जय किशन छोगा जी गुजर और गलकू गुजरी, सूरज पालीवाल माँ से मिले संस्कार ही भगवान हैं, आनंद चौधरी, इंडिया टूडे-छगन एवं यशवंत व्यास डॉ काबरा की शख्शियत पर विचार प्रकट किये। अंत में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ और वक्ता डॉ बजरंग सोनी ने आभार व्यक्त किया । श्री स्कन्द के “कॉफी का इक प्याले” के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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