वाशिंगटन की विश्व प्रसिद्व लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में हरीशेवा उदासीन आश्रम के संत की पुस्तक सुरक्षित

भीलवाड़ा का नाम विश्व में हुआ विख्यात, सिंधी सनातनी समाज का गौरव बढ़ा

भीलवाड़ा-मूलचन्द पेसवानी
देश में सिंधी समाज व सनातन संस्कृति को लेकर कई बार इधर उधर की बातें सामने आती है, ऐसे दौर में विश्व के अनेक पुस्तकालयों में हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर के संस्थापक पूज्य बाबा हरिराम साहिब उदासीन की पुस्तकों के मिलने से सिंधी सनातन समाज का गौरव विश्व में ख्याति प्राप्त कर रहा है। वाशिंगटन डीसी स्थित लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में भीलवाड़ा(मूल सिंध) के संत के इतिहास से संबंधित पुस्तक के वहां मिलने पर हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा के महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सिंधी सनातन संस्कृति की पताका विदेशों में इसी प्रकार फेल रही है। आज हमें इसी संस्कृति को अक्षुण्य बनाये रखने की महत्ती आवश्यकता है। इसी सिलसिले में वो इन दिनों अमेरिका के दौरे पर है जहां पर वो इस दिशा में जागरूकता अभियान के तहत खोज कर रहे है तथा सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए जगह जगह सत्संग कर रहे है।
हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा के महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन जो इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं। अपनी सनातन संस्कृति जागरूकता व खेाज यात्रा के दौरान वाशिंगटन डीसी स्थित लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस पहुँचे । अमेरिका निवासी दीपिका भंभानी एवं जॉन हेस द्वारा स्वामी के इस दौरे की व्यवस्था की गई। बहुत ही विशालकाय व आकर्षत इस पुस्तकालय को देख कर लगा कि मानो यह कोई शहर है।
इस पुस्तकालय में जाने के बात उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उनको बताया गया कि विश्व प्रसिद्ध पुस्तकालय में हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा ( मूल तत्कालीन भिरिया सिंध-अखंड भारत ) के संस्थापक परम पूज्य बाबा हरिराम साहिब की जीवनी पर अंग्रेजी में लिखी पुस्तक सेंट ऑफ सिंध बाबा हरिराम भी सुरक्षित रखी है। महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम ने इस पुस्तक को अपने पुर्वजों का ग्रंथ स्वीकार कर उसे गौरव व सम्मान के साथ माथे पर लगाया तथा बाद में उसका अवलोकन किया तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
विदेश में अपने सनातन समाज व अपने पुर्वजों के ग्रंथ के उपलब्ध होने पर महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम का सीना गौरव से फूला न समाया तथा उन्होंने वहां रह रहे हिन्दूस्तान मूल के लोगों का आव्हान किया वो सभी संगठित होकर सनातन समाज संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए बढ़चढ़ कर कार्य करें।
महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम ने आज वाशिंगटन से बताया कि यह पुस्तक जिसके लेखक डी एच भूटानी हैं। यह पुस्तक 14 जनवरी 1981 को इस पुस्तकालय में रखी गई। इस पुस्तक को लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस वाशिंगटन डीसी के अलावा अमेरिका की न्यूयॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी, सेंटर फॉर रिसर्च लाइब्रेरी मिशिगन, हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया, कोलंबिया यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी सहित अनेक पुस्तकालयों में रखा गया है। जो भीलवाड़ा ही नहीं देश के सनातन समाज के लिए गौरव है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के अलावा बाबा हरिराम साहिब की इस पुस्तक को द ब्रिटिश लाइब्रेरी सेंट पैनक्रास लंदन, कनाडा, जर्मनी सहित विश्व के अनेक शहरों के पुस्तकालयों एवं अनेक महाविद्यालयों की लाइब्रेरी में जगह दी गई है जिसका अध्ययन यहाँ के विद्यार्थीयों एवं आम जन द्वारा किया जाता हैं तथा उसमें दी जानकारी से वो सनातन समाज संस्कृति के प्रति आस्थावान हो रहे है।
महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम ने बताया कि वे इस पुस्तकालय में खास इस पुस्तक के दर्शन कर वो स्वयं को गौरान्वित महसूस कर रहे है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्मियों एवं हरिशेवा उदासीन आश्रम भीलवाड़ा के भक्तों के लिए यह सौभाग्य की बात है कि उनके आराध्य, पूज्य बाबा हरिराम साहेब की पुस्तक विश्व के अनेक पुस्तकालयों में है। बाबा हरिराम साहिब एक ऐसे संत हैं जिनका व्याख्यान शब्दों में करना जैसे सूर्य के आगे दीपक जलाने जैसा होगा । उनका संपूर्ण जीवन मानव कल्याण को समर्पित था। उनकी खाट ( खट साहेब ) एवं अन्य वस्तुएँ आज भी दर्शन हेतु दरबार साहिब भीलवाड़ा में मौजूद है। बाबा हरिराम साहेब पर अध्ययन करने के लिए कुछ वर्ष पूर्व पेरिस के विद्यार्थी शोध कार्य करने के लिए उनकी वस्तुओं का दर्शन एवं विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए भीलवाड़ा भी आये थे।
लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस वाशिंगटन डीसी के सीनियर लाइब्रेरियन एंड्रयू गौडीओ ने बताया की इस विशाल पुस्तकालय की स्थापना सन् 1857 में हुई । इस लाइब्रेरी का कैपिटल हिल से वाकवे कनेक्शन है । यहाँ वर्तमान में 3300 कर्मचारी कार्य करते हैं व लगभग चार करोड़ पुस्तकों का यहां पर संग्रह है । यहाँ संग्रहित पुस्तकों का अध्ययन अमेरिका के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित अमेरिकन सीनेट के मेम्बर एवं राजनीतिज्ञ किया करते हैं । यहाँ रखी पुस्तके आम जन भी परमिशन लेकर पढ़ते हैं। आज पुस्तकालय का अवलोकन करने के दौरान स्वामी जी के साथ दीपिका भंभानी एवं जॉन हेस व विकास मूलचंदानी ने भी लाइब्रेरी जा कर इस पुस्तक के दर्शन किए।

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