डूंगरपुर में पहली बार हुआ आदिवासी विमर्श: प्रोफेसर डाॅ. निनामा
आदिवासी परंपरा में 24 पालो के अध्यक्ष गमेती विजयपाल रोत ने कार्यक्रम को सराहा
राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम का आदिवासी विमर्श कार्यक्रम संपन्न
डूंगरपुर जिले के पत्रकार, साहित्यकार और प्रबुद्धजन रहे मौजूद
डूंगरपुर। प्रकृति हमारी सृजनहार है इसलिए हम जितने भी आदिवासी हैं, अटूट विश्वास के साथ प्रकृति पूजक होते हैं। हमने प्रकृति को धर्म से जोड़ा है। मेरी पहली पुस्तक ‘मतई‘ को भी मैंने सबसे पहले प्रकृति को ही भेंट की थी ।
यह बात राजस्थान साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष डा.सुनीता घोघरा ने रविवार को श्री भोगीलाल पण्डया राजकीय महाविद्यालय परिसर में राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के बैनर तले आदिवासी विमर्श, अवधारणा और चुनौतियां विषय पर आयोजित परिचर्चा में कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए फोरम के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अनिल सक्सेना ने कहा कि पत्रकारिता और साहित्य के उच्च मानदंड स्थापित करने के उद्देश्य से राजस्थान के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में जाकर व्याख्यान, कार्यशालाएं, संगोष्ठी और परिचर्चाओं जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों के मुकाबले में आज आदिवासी समाज में बहुत परिवर्तन आए हैं। इस समाज में शिक्षा का स्तर भी बढ़ा है लेकिन आज भी कई मामलों में सुधार की जरूरत है।
कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों के द्वारा सरस्वती वंदना व दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। इसके बाद कार्यक्रम व्यवस्था संयोजक डॉ. रेखा खराड़ी ने स्वागत उद्बोधन देकर कार्यक्रम की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। फोरम के प्रदेश सचिव पत्रकार गिरीश पालीवाल ने फोरम की कार्यप्रणाली की जानकारी दी। वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार अनिल सक्सेना ने मंचासीन पत्रकार, साहित्यकार और प्रबुद्धजनों से आदिवासी विमर्श को लेकर सवाल कर उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया।
समाजसेवी एस.एस. खराड़ी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आदिवासी समाज क्षेत्र के विकास में सहयोगी रहा है लेकिन कुछ लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए बरगलाने का कार्य करते हैं।
प्रोफेसर डाॅ. गणेश निनामा ने कहा कि आदिवासी समाज ने अपनी लड़ाईयां खुद ही लड़ी है लेकिन वर्तमान में मीडिया को चाहिए कि वे आदिवासी समाज का सही चित्रण प्रस्तुत करे। उन्होंने बताया कि उनकी जानकारी के अनुसार वागड़ के इतिहास में पहली बार आज डूंगरपुर में आदिवासी विमर्श हुआ है।
वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. जयप्रकाश ‘ज्योतिपुंज‘ ने कहा कि आज के दौर में डाॅ. सुनीता घोघरा और डाॅ. रेखा खराड़ी जैसी आदिवासी साहित्यकारों ने अपनी योग्यता से पहचान बनाई है। साहित्यकार दिनेश पंचाल ने कहा कि आदिवासी विमर्श बीसवी सदी के अंतिम दशकों में शुरू हुआ आदिवासी अस्मिता की पहचान, उसके अस्तित्व संबधी संकटो और उसके खिलाफ जारी प्रतिरोध का साहित्य है। डाॅ रेखा खराड़ी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जिस तरह से आदिवासी को फिल्मों में या अन्य जगह दर्शाया जाता है, वह मात्र मिथक ही है। शिक्षाविद् सेवानिवृत्त प्राचार्य जी. रोत ने आदिवासी समाज में बेरोजगारी की समस्या से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को रोजगार के लिए सरकारों की तरफ नही देखकर स्वयं का कार्य शुरू करने की पंरपरा आरंभ करनी होगी।
डाॅ. वेलाराम घोघरा ने कहा कि हमारी समस्याओं का हल हम मिलकर निकाल लेंगे लेकिन समस्या यह है कि बाहरी मिशनरीज आती है और लालच देकर धर्म परिवर्तन का कार्य करती है, जिसे रोका जाना चाहिए। डाॅ. घोघरा ने बताया कि वरिष्ठ पत्रकार अनिल सक्सेना ने वागड़ क्षेत्र में आदिवासी समाज के साथ ही दूसरे सभी जाति-समाज को साथ लेकर आदिवासी विमर्श कराकर एक नई पहल शुरू कर दी है।
आदिवासी परंपरा में 24 पालो के अध्यक्ष गमेती विजयपाल रोत ने मंच पर आकर आदिवासी विमर्श कार्यक्रम की सराहना की। एक दर्जन से भी ज्यादा प्रबुद्धजनों ने आदिवासी विमर्श को लेकर अपने विचार व्यक्त किये। संचालन एडवोकेट ऋषि ने किया। आभार डाॅ.गणेश निनामा ने व्यक्त किया। शिक्षाविद् रश्मि गुप्ता और उनकी टीम ने व्यवस्थाओं को संभाला।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप कोठारी, अमित चेचाणी, संदीप माली, प्रवीण सिंह कोठारी सहित डूंगरपुर जिले के पत्रकारगण भूपेन्द्र गामोठ, तेजसिंह राठौड़, जगदीश खटीक, रितिक मेहता, सादिक अली, स्थानीय साहित्यिक संस्था के पदाधिकारी और दूसरे प्रबुद्धजनों के साथ डाॅ दीपक घोघरा, डाॅ. रवि घोघरा, भरत डामोर, विजयपाल रोत गटटुलाल रोत, प्रकाश पंचाल, हितेश भट्ट, प्रेरणा भट्ट, चिराग व्यास , मुकेश श्रीमाल, डाॅ. सुबोधकांत नायक, बृजराज, रणछोड लाल मनात, विपिन वत्सल, विपुल विद्रोही, रश्मि गुप्ता, डाॅ. प्रकृति पण्डया, चंद्रकला पंचाल, सत्यदेव पंचाल, मोहनदास वैष्णव, दीपक पण्डया, हर्षिल, विशाल पंचाल, लोचन जोशी, नरेश जोशी, राजेन्द्र सिंह चैहान, रमेशचंद्र चैबीसा, विक्रांत चैबीसा , मेहुल चैबीसा, गौरांग चैबीसा, नीतिन कलाल, भूवनेश भारत, प्रवीण श्रीमाल , विनोद पंचाल, रमेश वरियाणी, पंकज जैन, चंद्रेश सुथार, विजय जोशी , विमला व्यास, बाबूलाल व्यास, संदीप शौर्य, मनीषा पण्डया और आदिवासी समाज के पदाधिकारी कांतिलाल तोरणिया के साथ अन्य मौजूद रहे।
अशोक लोढ़ा
महासचिव
राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम
मो. न. 9214983707