राजस्थान में बना महिला अत्याचार निवारण कानून

महिलाओं के साथ दुष्कर्म,प्रताड़ना और हत्या की बढ़ रही घटनाओं को देखते हुए राजस्थान सरकार ने महिला अत्याचार निवारण कानून बनाने का निर्णय किया है। कानून इस माह के अंत तक लागू हो जाएगा। महिला अत्याचार निवारण विधेयक को विधानसभा में पारित करवाने से पहले सरकार इसे अध्यादेश जारी कर इसी महीने में लागू करेगी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महिला अत्याचार रोकने पर एक्शन प्लान तय करने के सुझावों के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला संगठनों की बैठक में इसकी घोषणा की है। गहलोत ने कहा कि महिला अत्याचार निवारण विधेयक पर बुधवार को कैबिनेट का फैसला हो जाएगा। विधेयक को सर्कुलेशन प्रणाली के जरिये कैबिनेट से मंजूर करवाकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी आने के बाद जल्द अध्यादेश जारी कर दिया जाएगा। बालिका नीति पर भी जल्द ही फैसला होगा। मुख्यमंत्री खुद राष्ट्रपति से इस बारे में व्यक्तिगत तौर पर बात कर कानून को शीघ्र मंजूरी का आग्रह करेंगे। महिला अत्याचार निवारण विधेयक का प्रारूप तैयार हुआ था, इसे विधानसभा में पारित कराने पर ही यह लागू होता। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगने की संभावना थी। सरकार ने इसके प्रावधानों को जल्द लागू करने के लिए अब अध्यादेश जारी करने का फैसला किया है।

कानून में महिलाओं के खिलाफ होने वाले उन अपराधों पर कार्रवाई का प्रावधान किया गया है, जिनमें अभी मौजूदा कानूनों में स्पष्ट प्रावधान नहीं थे। इस विधेयक में महिला को डायन कहने पर 3 से 5 साल की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान है। महिलाओं के लिए हर जिले में विशेष थाना खोलने का प्रावधान है। महिला पर तेजाब फेंकने, अशोभनीय एसएमएस भेजने, अभद्र इशारे करने, सोशल नेटवर्किग साइट या अन्य स्थान पर भी गलत तरीके से चित्रण करने, फब्तियां कसने और गलत निगाह से देखने पर सजा का प्रावधान किया है। इधर मुख्यमंत्री ने बालिका नीति के प्रारूप को मंजूरी दे दी है। अब नीति को कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा, इसके बाद पूरे प्रदेश में लागू होगी। इस नीति में बेटी के मूल्य को समाज में फिर से स्थापित करने पर फोकस रहेगा। इस नीति के बाद बेटियों के सामाजिक, स्वास्थ्य, शैक्षणिक एवं अलग पहचान को लेकर हर विभाग का एक्शन प्लान बनेगा। मुख्य सचिव प्लान की मॉनिटरिंग करेंगे।

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