प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ी डायरेक्ट कैश सब्सिडी स्कीम

राजस्थान के तीन जिलों में शुरू की गई डायरेक्ट केश सब्सिडी स्कीम की पहले सप्ताह में ही पोल खुल गई। प्रदेश के अजमेर जिले से ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यूआईडी योजना री-लॉन्च की थी। लेकिन राज्य की नौकरशाही की लापरवाही के कारण अब तक तो यह सोच के मुताबिक सफल नहीं हो पा रही। अजमेर में जहां पहले दिन केवल 527 लोगों को लाभ मिला और अब एक सप्ताह पूरा होने पर यहां दो हजार तीन सौ लोगों को ही फायदा मिल पाया। इसी तरह उदयपुर में पहले दिन 600 लाभार्थियों के खाते में पैसा जमा हुआ और अब एक सप्ताह पूरा होने पर लाभार्थियों की संख्या रही 2,160। अलवर में अब तक दो हजार आठ सौ लोगों को फायदा मिल सका।

आधार कार्ड और बैंक खातों के अभाव में तीन जिलों में शुरू की गई डायरेक्ट कैश सब्सिडी का प्रसूताओं को भी सही ढंग से फायदा नहीं मिल रहा। जननी-शिशु सुरक्षा योजना के तहत प्रसूताओं को सीधे खाते में राशि जमा कराने के स्थान पर क्रॉस चेक से ही भुगतान किया जा रहा है। डायरेक्ट कैश सब्सिडी स्कीम में सभी लाभार्थियों के आधार कार्ड बनाने और खाते खोलने की प्रक्रिया 1 जनवरी से पहले होनी थी, लेकिन अब तक ना तो सभी लोगों के आधार कार्ड बने और ना ही खाते खुल सके। अलवर में अब कलेक्टर के निर्देश पर सीएमएचओ कार्यालय और अस्पताल आने वाली प्रसूताओं के आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया जारी है। दो प्रसूताओं नंगली निवासी रजनी और बरकती के खाते में सीधे राशि जमा हो पाई। वहीं, उदयपुर में क्रॉस चेक देने से भी राशि बैंक खातों में जमा हो पा रही है। इसके लिए भी प्रसूताओं को बैंक तक जाना पड़ रहा है।

योजना को सफलता दिखाने के लिए पहले से ही कैश मिलने वाली योजनाओं का सहारा लिया जा रहा है। इनमें अलवर में 14, अजमेर और उदयपुर में आठ-आठ स्कीमें शामिल की गई हैं। इनमें जननी शिशु सुरक्षा योजना और स्कॉलरशिप स्कीम हैं, जिनमें पैसा पहले भी सीधे लाभार्थी के खाते में ही जाता था। योजना के क्रियान्वयन को लेकर हालात यह है कि अजमेर जिले में 25 लाख लोगों के यूआईडी कार्ड बनने थे, बने करीब 6 लाख। 22 हजार लाभार्थियों में से 11 हजार तो केवल जननी शिशु सुरक्षा योजना के हैं। उदयपुर जिले में में 16,500 चयनित लाभार्थियों में 800 के बैंक खाते नहीं खुले। अलवर जिले में तीन दिन पहले तक 99,174 लोगों के यूआईडी बने जिनमें से 84 हजार के ही बैंक खाते हैं। यहां 14 योजनाएं शामिल की गई।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अजमेर, अलवर और उदयपुर में डायरेक्ट कैश सब्सिडी स्कीम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया। इसमें सबसे चर्चित जननी-शिशु सुरक्षा योजना भी शामिल है, लेकिन प्रशासनिक शिथिलता के कारण यहां इस योजना का भी तीनों ही जिलों में सही क्रियान्वयन नहीं हो सका। अलवर में तीन दिनों में केवल 26 प्रसूताओं के खाते में जननी शिशु सुरक्षा योजना में दी जाने वाली राशि ट्रांसफर हो सकी। वहीं, इस अवधि में 220 प्रसव हुए, जिनको चेक से ही भुगतान किया गया। वहीं उदयपुर में जनाना अस्पताल से बुधवार को सलूंबर निवास महिला को छूट्टी दी गई। उसे चेक दिया गया। गांव ले जाने के लिए टैक्सी के भुगतान के लिए चेक को नजदीकी एसबीबीजे में ले जाया गया, लेकिन इसका भुगतान नहीं मिला। यहां तीन दिन में 340 प्रसव हुए और इन प्रसूताओं को 4.61 लाख रुपये का भुगतान किया गया।

इधर अजमेर में तीन दिन में 450 महिलाओं के प्रसव हुए। इनमें से 12 महिलाओं को ही सीधे कैश ट्रांसफर स्कीम में 14,800 रुपये की कुल राशि ट्रांसफर की गई। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने इन योजनाओं को लागू करने से एक माह पहले ही सभी लाभान्वित होने वाले लोगों के बैंक में खाते खुलवाने और आधार कार्ड बनवाने के निर्देश दिए थे। लेकिन राज्य के अधिकारियों ने इस मामले में ढिलाई बरती।

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