डॉ. उमाकांत गुप्त का बाल कविता संग्रह ‘दोस्त मेरी सोन चिरैया’ लोकार्पित

बीकानेर । डॉ. उमाकांत की बाल कविताओं में बाल सुलभ गतिविधियों का सुंदर चित्रण हुआ है वहीं इनमें सहजता और सरलता देखने योग्य है। उक्त उद्गार जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष प्रख्यात साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने बाल कविता संग्रह ‘दोस्त मेरी सोन चिरैया’ के लोकार्पण अवसर पर व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. उमाकांत गुप्त जितने प्रखर आलोचक हैं उतने ही प्रखर बाल कविता के लेखन में पहचाने जाएंगे। शर्मा ने कहा कि देश भर में बाल साहित्य अकादमी की विविध विधाओं में विपुल मात्रा में श्रेष्ठ प्रकाशनों को लेकर चर्चा इन दिनों है और अकादमी ने डॉ. उमाकांत गुप्त जैसे अनेक नए लेखकों को बाल साहित्य से जोड़ने का उत्तम कार्य किया है। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि समाजसेवी कृष्ण कुमार अग्रवाल ने कहा कि डॉ. उमाकांत गुप्त के इस संग्रह में शामिल कविताओं में बच्चों का बलपन सहज ही दिखाई देता है साथ ही इसमें शिक्षा और संस्कार की बातें प्रभावित करने वाली है।
राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष साहित्यकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि डॉ. उमाकांत की कविताओं में बच्चों की सहज सरल गतिविधियों को शब्दबद्ध करने का सुंदर कार्य हुआ है। बाल कविताओं में गेयता का गुण होना चाहिए जो कि डॉ. गुप्त की इन कविताओं में है। आलोचक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि दोस्त मेरी सोन चिरैया में जिन बच्चों पर कविताएं केंद्रित हैं वे कवि के अपने घर-परिवार के देख परखे यथार्थ पर आधारित है साथ ही कविताओं में बाल मनोविज्ञान का खास ध्यान रखा गया है।
इस अवसर पर ‘दोस्त मेरी सोन चिरैया’ की चयनित बाल कविताओं का प्रभावी वाचन डॉ. उमाकांत गुप्त ने किया तथा पुस्तक की पहली प्रति ईशा को भेंट की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. जयकांत ने तथा आभार श्रीमती कनुप्रिया ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम में कवि कमल रंगा, नवनीत पाण्डे, राजाराम स्वर्णकार तथा ऋर्षि कुमार अग्रवाल आदि प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।

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