थार एक्सप्रेस को पुनः शुरू किया जाए – राठौड़

बाड़मेर। भारत आकर नए रिश्ते जोड़कर वापस पाकिस्तान गये लोगों ने कभी सोचा भी न था कि फिर से भारत जाने के रास्ते उनके लिये इतने मुश्किल और पेचीदा हो जाएंगे। केन्द्र सरकार के विदेश और रक्षा मंत्रालय व एजेन्सीयों के आपसी तालमेल की कमी की पीड़ा झेल रहे है भारत आना चाह रहे हिंदू नागरिक।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव आजाद सिंह राठौड़ ने बताया कि 1892 में तत्कालीन हैदराबाद (सिंध)ओर मारवाड़ रियासत के बीच पहली मर्तबा रेल मार्ग को बना कर ट्रेन का संचालन शुरू हुआ। उस दौर में हैदराबाद और मारवाड़ व तत्कालीन ब्रिटिश इंडिया की रियासतों को आपस में जोड़ने के लिए ट्रेन का यह मुख्य मार्ग था। व्यापार एवं अन्य कार्य के लिए आवागमन हेतु सिंध ओर मारवाड़ के साझे प्रयासों से बना यह रेल मार्ग ही एक मात्र ज़रिया था। यह सिंध ओर मारवाड़ की साझी धरोहर के रुप में सुख, दुख, अकाल व समृद्धि में भागीदार रहा है। 1947 में अंग्रेजों के जाने के बाद में भी 18 साल तक यह ट्रेन निरन्तर चलती रही, परन्तु 1965 के युद्ध में इसे बंद कर दिया गया। जनता की भारी माँग पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यू.पी.ए सरकार ने थार एक्सप्रेस को पुनः 18 फरवरी, 2006 को शुरू किया। इस दौरान पिछले 13 साल में लगभग 4 लाख लोगों ने यात्रा की। जिसमें अधिकतर हिन्दू परिवार शामिल रहे हैं। विशेषकर पाकिस्तान में निवास कर रहे माली, ब्राह्मण, राजपूत, मेघवाल, चारण, भील व मुस्लिम समाज के परिवारों ने इससे यात्रा की।
पाक विस्थापित जोमादत्त चारण बताया कि 1974 तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में दोनों देशों के मध्य प्रोटोकॉल ऑन विजिट टू रिलिजियस शराइनस के द्विपक्षीय समझौते के तहत दोनों देशों में नागरिकों को अपने धार्मिक स्थलों पर आने-जाने की छूट प्रदान की गई थी, जिसमें पाकिस्तान स्थित हिंगलाज माता मंदिर, पीर गोठ, सरवरी जमात के धार्मिक स्थल हाला शहर, जिलानी जमात के कामारो शरिफ, सिंधी समाज के शादानी दरबार व गौसिया जमात के मुलतान स्थित धार्मिक स्थलों के जाने हेतु विशेष छूट दी गयी थी। इसी के तहत पाकिस्तान से आने वाले नागरिकों को हिंदुस्तान में हरिद्वार, काशी, मथुरा, अजमेर स्थित ख्वाजा गरिब नवाज की दरगाह को आने जाने की छूट प्रदान की गई थी। इस क्षेत्र में द्विपक्षीय इस समझौते के तहत आने जाने वाले नागरिकों के लिये यह ट्रेन एक मात्र साधन है।
प्रहलाद दान देथा ने बताया कि थार एक्सप्रेस में दोनों देशों के मारवाड़ व सिंध इलाक़ों के नागरिकों के लिये एक दूसरे से जोड़ रखना का एक मात्र साधन है व इसे बंद करना दोनों तरफ़ के देशों के लिये हितकर नहीं है। थार एक्सप्रेस से पाकिस्तान में निवास कर रहे अल्पसंख्यक हिन्दू अपने बच्चों व बच्चियों की शादी करने के लिए भारत आया करते थे। क्योंकि देश की आजादी से पूर्व बाड़मेर-जैसलमेर से सटा सिंध थरपारकर, छाछरो एक ही क्षेत्र हुआ करता था। पाक विस्थापित राम सिंह सोढा ने बताया कि यहाँ आपसी रिश्तेदारियों का ताना बाना बहुत गहरा व मज़बूत रहा है। आज़ादी के बाद मारवाड़ व सिंध के बीच खिंची लकीर ने दोनों क्षेत्र में बसे एक ही परिवार के लोगों के मध्य दूरियां बढ़ा दी। पाकिस्तान में बसे हिंदुओं में अधिकतर सगोत्र होने के कारण उनके लिये विवाह संबंधों के लिए भारत आना मजबूरी है। थार एक्सप्रेस शुरू होने से दोनों देशों के लोगो की परस्पर संबंधों की महत्ता बनी रहेगी। पाक विस्थापित मंगू राम भील ने बताया कि इस रेल मार्ग से जाना किसी भी गरीब परिवार के लिए बेहद आसान, सस्ता और सुगम था । यह रास्ता बंद होने के बाद पंजाब हो कर आना – जाना अत्यंत कष्टदायक व महंगा है ।
राठौड़ ने बताया कि 11 अगस्त 2019 को भारत पाकिस्तान के मध्य चल रहे तनाव की वजह से बंद कर दिया गया। उसी समय बंद किये गए अटारी – बाघा बॉर्डर, करतारपुर कॉरिडोर, समेत पाकिस्तान आने जाने वाले बॉर्डर फिर से खोल दिए गए है परंतु थार एक्सप्रेस और मारवाड़ व सिंध का यह इलाक़ा सरकार की अनदेखी झेल रहा है। आज़ाद सिंह ने बाड़मेर-जैसलमेर के सभी जन प्रतिनिधियों से इस महत्वपूर्ण विषय को केंद्र सरकार के सामने रख कर इस अंतर्राष्ट्रीय रेल मार्ग को पुनः शुरू कर थार एक्सप्रेस आरंभ करवाने का प्रयास करे।
आजाद सिंह राठौड़ ने बताया की यह बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र में रहने वाले बहुत से परिवारों व आम नागरिकों की प्रमुख मांग है। हम केंद्र सरकार से माँग करते है कि यह रेल मार्ग शुरू कर पाक विस्थापितों एवं भारत आना चाह रहे लोगों की राह को आसान किया जाए, साथ ही साथ पाक विस्थापितो को जल्द नागरिकता दी जाये व वीसा संबंधी समस्याओं का भी सरलीकरण किया जाये।

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