राही सहयोग संस्थान की नयी कार्यकारिणी के गठन एवं परिचर्चा आयोजित

जयपुर । राही सहयोग संस्थान के निदेशक डॉ प्रबोध कुमार गोविल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि जयपुर के प्रबुद्ध साहित्यकारों की उपस्थिति में ‘राजनीति और साहित्य- एक म्यान में दो तलवारें?’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। डॉ गोविल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान का संक्षिप्त परिचय व परिचर्चा के विषय पर प्रकाश डाला तथा अगले दो वर्षों के लिए संस्थान की नयी कार्यकारिणी के गठन से सूचित किया।
इस बौद्धिक परिचर्चा में भाग लेते हुए डॉ जयश्री शर्मा, डॉ सुषमा शर्मा, डॉ कुसुम शर्मा, ज्ञानवती सक्सेना, योगेश कानवा, साकार श्रीवास्तव, डॉ नरेंद्र शर्मा ’कुसुम’, हरिराम मीना, प्रभात गोस्वामी और राजेंद्र मोहन शर्मा ने भाग लिया व आदिकाल से वर्तमान तक के साहित्य और राजनीति के सम्बन्धों पर विचार रखे। विशिष्ठ अतिथि बाबू खांडा ने कहा कि आर्थिक बिंदु ही वह बात है जो साहित्य को राजनीति से अलग करती है। डॉ दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने इसे नाज़ुक विषय बताते हुए कहा कि जब राजनीति आम आदमी के जीवन को दुरूह बना रही हो तो क़लमकार को अवश्य क़लम उठानी चाहिए। शायर लोकेश सिंह ‘साहिल’ ने कहा कि जन चेतना की जगाने के लिए जो आवश्यक उपकरण हैं वो साहित्य भी है तो राजनीति भी। अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार नंद भारद्वाज ने सभी वक्ताओं की बात के सार प्रस्तुति के बाद कहा कि साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं वह छिपे हुए सत्य को भी सामने लाता है। लोक हित में साहित्य और राजनीति में संतुलन बना रहना चाहिए।
नयी कार्यकारिणी की घोषणा करते डॉ गोविल ने बताया –
अध्यक्ष – कविता मुखर, उपाध्यक्ष- टीना शर्मा एवं निरुपमा चतुर्वेदी, सचिव – साकार श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव – प्रो नीरज रावत, कोषाध्यक्ष- राजेंद्र राजन संरक्षक सदस्य – राजेंद्र मोहन शर्मा, सुषमा शर्मा, कुसुम शर्मा, योगेश कानवा और अरुण ठाकर । निवर्तमान अध्यक्ष डॉ इन्दु बंसल ने नयी अध्यक्ष कविता मुखर को बधाई दी वहीं मुखर ने नयी टीम की ओर से इस दायित्व को कुशलता से निभाने का विश्वास दिलाते हुए आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की।
अंत में डॉ गोविल ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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