जयपुर, मार्च, 2025: श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी (एसजीआई), भारत में सबसे बड़ी गैर-जीवन बीमा प्रदाता कंपनी ने धोखाधड़ी और फर्जी दावों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए मोटर थर्ड पार्टी क्लैम की जांच के लिए अपनी क्लैम जांच टीम को मजबूत किया है।
मोटर दुर्घटना क्लैम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) मोटर वाहन अधिनियम के तहत स्थापित एक विशेष अदालत है, जो मोटर वाहन दुर्घटनाओं के मुआवजे के दावों का फैसला करती है। यह सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए सिविल कोर्ट की तुलना में एक तेज़ और कम खर्चीला विकल्प प्रदान करती है। दुर्भाग्य से, एमएसीटी में निपटान के लिए आने वाले कई दावे धोखाधड़ी या फर्जी दावे होते हैं।
क्लैम रिव्यू टीम विसंगतियों की पहचान के लिए दावों की गहन पड़ताल करेगी और सही क्लैम तत्काल प्रोसिसिंग और सेटलमेंट के लिए भेजे जाएंगे। संदेहजनक क्लैम प्रस्तुत दस्तावेजों और सबूत को गहन जांच-पडृताल के लिए जांच टीम को सौंपा जाएगा। जांच पूरी होने के बाद, धोखाधड़ी वाले दावों को न्यायाधिकरण में चुनौती देने के लिए लीगल टीम सौंपा जाएगा।
एसजीआई के कार्यकारी निदेशक श्री अश्विनी धनावत की अगुवाई में टीमें क्लैम की गहन जांच-पडृताल करेंगी। धोखाधड़ी का पता लगाने में नवीनतम एआई टूल्स की भी मदद ली जाएगी। कानूनी कार्यवाही को संभालने के लिए अपने क्षेत्र का विशेष अनुभव रखने वाले कर्मियों से युक्त तीन टीमें “क्लैम समीक्षा‘, “क्लैम जांच‘ और “कानूनी‘ होंगी।
श्री अश्विनी धनावत, कार्यकारी निदेशक, श्रीराम जनरल इंश्योरेंस ने कहा, “श्रीराम जनरल इंश्योरेंस शेयरधारकों के हितों की रक्षा और पॉलिसीधारकों के भरोसे को बरकरार रखने के अपने मिशन पर दृढ़ है। सिस्टम का गलत फायदा उठाने वालों पर मुकदमा चलाकर, हम न केवल अपने शेयरधारकों के हितों की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि वास्तविक दावेदारों के लिए संसाधन संरक्षित रहें जो अपनी ज़रूरत के समय हम पर भरोसा करते हैं।”
कुछ दिन पहले एसजीआई ने सूरत के दिलीपभाई मगनभाई पटेल, जिनकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, के परिवार के लिए वास्तविक क्लैम का तेजी से निपटान करने के लिए तेज गति से कार्रवाई की। एसजीआई 46 लाख रुपए के थर्ड पार्टी क्लैम की निपटान प्रक्रिया में तेजी लाई और सुनिश्चित किया कि परिवार को 15 दिनों में ही आर्थिक मुआवजा मिला।
श्री धनवत ने कहा, “एसजीआई ने 15 दिनों में मोटर टीपी दावे का निपटान करके एक बेंचमार्क स्थापित किया। एसजीआई के तेज और दक्ष सेटलमेंट ने शोक संतप्त परिवार को बहुत जरूरी राहत प्रदान की। यह शेयरधारक मूल्य और पॉलिसीधारक विश्वास की रक्षा के लिए एसजीआई की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।“
जांच दल ने अनेक फर्जी दावों का पर्दाफाश किया है और कानूनी दल ने ट्रिब्यूनल द्वारा एसजीआई को दायित्व से मुक्त कराने में सफलता प्राप्त की है।
श्रीमती प्रीति एवं अन्य बनाम श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं अन्य (एमएसीटी लखीमपुर खीरी): बहस के बाद 10 लाख रुपए के मुआवजे का दावा वापस ले लिया गया। यह साबित हुआ कि जिसमें दावेदार, वाहन मालिक और चालक की बीमित वाहन को गलत तरीके से फंसाने की साजिश की।
बालू बनाम अप्पासाहेब व अन्य (एमएसीटी उस्मानाबाद): 1 लाख रुपए के दावे को खारिज कर दिया जब ट्रिब्यूनल में यह साबित हुआ की कथित दुर्घटना फर्जी थी। इसमें बीमित वाहन नहीं शामिल था। इसमें वाहन मालिक और पुलिस अधिकारी शामिल थे।
श्रीमती सुरती बाई बनाम पंकज एवं अन्य (एमएसीटी जबलपुर): बीमित वाहन को दुर्घटना से जोड़ने वाले सबूतों के अभाव और रिपोर्ट की गई तारीख में विसंगतियों के कारण 10 लाख रुपए का दावा खारिज कर दिया गया।
राज कुमार बनाम सीताराम व अन्य (एमएसीटी चित्रकूट) होरीलाल बनाम सीताराम व अन्य(एमएसीटी चित्रकूट): पुलिस जांच में दुर्घटना के आरोपों के निराधार होने की पुष्टि हुई। 20 लाख रुपए और 21 लाख रुपए के दावों को खारिज कर दिया गया। दावेदार क्लैम को साबित करने में विफल रहे।
इन ट्रिब्यूनल फैसलों में मिली सफलताओं के आधार पर, एसजीआई अब इन धोखाधड़ी के दावे करने वाले अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर रहा है। कंपनी ने संबंधित क्षेत्रों के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेटों के समक्ष आपराधिक शिकायतें दर्ज की हैं। दो अदालतें तो पहले ही आरोपियों को नोटिस जारी कर चुकी हैं। इन धोखेबाजों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रमुख प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसमें धारा 246 भी शामिल है। यह कोर्ट में झूठे दावों की बेईमानी से पेश करने वालों से संबंधित है।
एसजीआई ने यह कदम झूठे बीमा दावों के खिलाफ अपनी “जीरो टोलरेंस’ की रणनीति के तहत उठाया तथा यह स्पष्ट संदेश दिया की इस तरह की कार्रवाइयां आपराधिक कृत्य हैं, जिनके गंभीर कानूनी दुष्परिणाम हो सकते हैं।