*जर्जर भवनों को किया जाए सही, ताकि पीपलोदी जैसा हादसा ना हो*
संवाददाता जितेन्द्र गौड़

लाखेरी उपखंड क्षेत्र की खरायता पंचायत के डपटा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के दशकों पुराने क्षतिग्रस्त भवन की कुछ दिनों पूर्व पट्टियां टूटकर गिर गई, गनीमत रही कि उस समय वहां कोई नहीं था, जिसके कारण कोई हादसा नहीं हुआ। वहा के छ: कमरों में पानी टपकता है, भवन जर्जर है, ऐसी हालात में विद्यालय का संचालन करना किसी चुनौती से कम नहीं है। जबकि सरकार को भी अवगत कराने के बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ, जिम्मेदार भी यही कहते हैं, कि प्रस्ताव भिजवा रखा है। परन्तु इन छोटे बच्चों के साथ कुछ अनहोनी हो जाती है, तो कौन जिम्मेदार होगा।
*निजी विद्यालय भी नियमों के विपरीत संचालन*
लाखेरी उपखंड क्षेत्र में कई निजी विद्यालय भी ऐसे है, जो नियमों को ताक में रखकर संचालित हो रहे हैं। उनके पास ना तो नियमानुसार भवन है, ना ही कोई खेल मैदान, ना कोई पार्किंग। आवासीय भवनों में ही उच्च माध्यमिक तक निजी विद्यालय संचालित हो रहें हैं, विद्यार्थियों के बैठने की भी उचित व्यवस्था नहीं है, छोटे छोटे बच्चों को ऊंची ईमारतो में बैठाया जा रहा है, जिनमें स्वयं का घर भी संचालित हैं, नीचे घर है, ऊपर विद्यालय संचालित हैं। कई कमियों के बाद भी उपखंड क्षेत्र में विद्यालय संचालित हो रहें, जिनकी जांच करने के लिए शिक्षा विभाग ध्यान क्यों नहीं देता।
*कई बार उच्च अधिकारियों को कराया अवगत*
लाखेरी उपखण्ड क्षेत्र के घाट का बराना, बलदेवपुरा झपायता के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय का कमरा क्षतिग्रस्त हैं, जिसमें सामान भरा हुआ है। दीवारों में दरारें चल रही है, लोहे का लेंटर काफी पुराना है, दीवारों पर काई जमी हुईं हैं, दीवारों में जगह जगह दरारें हो रही है, जिसके कारण हमेशा हादसे का अंदेशा बना रहता है। घाट का बराना सरपंच कृष्ण मुरारी एवं पूर्व सरपंच संदीप जैन तथा ग्रामीणों ने कई बार विद्यालय प्रशासन एवं उच्च अधिकारियों को भी अवगत करवा दिया, परन्तु अभी तक कोई समाधान नहीं निकला। समय रहते पुराने भवनों का कायाकल्प होना आवश्यक है, जिससे किसी भी घटना से बचा जा सकें।
उपखण्ड क्षेत्र के जाडला गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भवन की दीवार से प्लास्टर उखड़ गया और आरसीसी दिखाई दे रही है। ऊपर छत से प्लास्टर उखड़ गया, जिससे लोहे के सरिए दिखाई दे रहें हैं। छोटी छोटी समस्याओं का समय रहते समाधान होना जरूरी है, नहीं तो कभी भी बड़ा हादसा होने खतरा बना रहता है। विद्यालय एवं प्रशासन द्वारा ऐसी समस्याओं कि समय रहते समाधान करना आवश्यक है, अन्यथा घटना होने पर कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता है, और इसका खामियाजा अन्य को भुगतना पड़ता है। बारिश के दिनों में जर्जर भवनों में कार्य करना किसी चुनौती से कम नहीं होता है, और बारिश के दिनों में ही हादसे का डर बना रहता है। आखिर प्रशासन को हादसों से सबक लेते हुए जर्जर भवनों की जांच करके उचित समाधान किया जाना चाहिए।