कांग्रेस चिंतन शिविर में कांग्रेस दिग्गज गठबंधन की राजनीति को लेकर काफी चिंतित रहे। कांग्रेस की भविष्य की नीति तय करने के लिए कांग्रेसी दिग्गजों ने शनिवार दूसरे दिन गठबंधन को लेकर तीन घंटे से भी अधिक समय तक मंथन किया। इस मंथन में कांग्रेसी दिग्गजों ने साफ कहा कि पार्टी की कीमत पर गठबंधन नहीं होना चाहिए। गठबंधन करने के बजाय कांग्रेस का ही विस्तार किया जाय तो अच्छा होगा। नेताओं की राय थी कि जिन राज्यों में पार्टी ने बड़े राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन किया,उनमें पार्टी का संगठन खत्म होता चला गया। वहीं गठबंधन वाले दल अपनी शर्तो के मुताबिक निर्णय करवाते है। इन नेताओं का कहना था कि जिस प्रदेश में गठबंधन चल रहा है, वहां कांग्रेसी कार्यकर्ता खुश नहीं है। कांग्रेसी दिग्गजों ने गठबंधन को नकारा नहीं, बल्कि इसे समय की मांग बताते हुए स्वीकार तो किया, लेकिन गठबंधन के बारे में निर्णय करते समय सोच-विचार और स्थानीय लोगों की राय जरूरी बताई।
राजनीतिक चुनौतियों को लेकर केन्द्रीय रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी की अगुवाई में बने कांग्रेसी नेताओं की ग्रुप ने काफी लम्बे चिंतन-मंथन के बाद जो रिपोर्ट तैयार की उसमें साफ कहा गया कि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को छोड़कर अन्य राज्यों में गठबंधन से परहेज नहीं किया जाय। जहां जरूरत होगी वहां गठबंधन किया जाएगा।
गठबंधन में समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जैसे बड़े दलों के बजाय छोटे-छोटे दलों को अधिक तवज्जो देने पर विचार किया गया। छोटे दलों को तवज्जो देने से एक फायदा होगा कि वे कांग्रेस पर हावी होकर अपनी बात नही मनवा सकेंगे, बल्कि कांग्रेस ही अपनी मर्जी उन पर चला सकेगी।
नेताओं की राय थी कि आगामी लोकसभा चुनाव और जिन प्रदेशों में निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होने है वहां गठबंधन को लेकर अभी से कसरत शुरू की जाय, गठबंधन करने वाले दलों से पहले ही सभी बिन्दुओं पर खुलकर बात कर भी ली जाय। पश्चिम बंगाल की कांग्रेस नेता दीपा दास मुंशी ने साफ कहा कि बंगाल में तो गठबंधन किया ही नहीं जाना चाहिए। बल्कि यहां पार्टी का जनाधार बढ़ाया जाए। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री ने यूपी में गठबंधन के बजाय अपने स्तर पर ही चुनाव लड़ने की बात कही। खत्री के अलावा अन्य नेताओं का भी कहना था कि अन्य दलों से गठबंधन के कारण ही यूपी में पार्टी का संगठन खत्म हुआ था, अब राहुल गांधी ने काफी मेहनत के बाद एक बार फिर निचले स्तर पर संगठन को मजबूत कर युवाओं को पार्टी से जोड़ा है। इसलिए यहां अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए।
वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने गठबंधन समाजवादी पार्टी के बजाय छोटे दलों से करने की जरूरत बताई। आंध्रप्रदेश में जगन मोहन रेड्डी से संभावित नुकसान को लेकर चर्चा हुई। इसी तरह से बिहार में गठबंधन से पहले काफी सोच विचार की जरूरत बताई गई।
केन्द्रीय मंत्री रेणुका चौधरी ने तो उद्घाटन सत्र के बाद भी कांग्रेस अध्यक्ष से कहा बताया कि गठबंधन के अब तक के अनुभवों को देखते हुए बड़े क्षत्रपों के स्थान पर कमजोर दलों एवं नेताओं को महत्व दिया जाना चाहिए।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी अधिकांश सदस्यों ने गठबंधन में बड़े दलों के बजाय छोटे दलों को महत्व देने की बात कही बताई।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि कांग्रेस वर्तमान में गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। आगे भी हम ही सबसे बड़ी पार्टी रहेंगे, गठबंधन तो होना चाहिए। मिजोरम के मुख्यमंत्री पी.लाल थान्हावला का कहना है कि गठबंधन में कोई बुराई नहीं है। जहां जरूरत हो, वहां यह किया जाना चाहिए।
कांग्रेस सचिव संजय बापना का कहना है कि गठबंधन करते समय स्थानीय नेताओं को महत्व दिया जाए।