यहां घरों और खेतों में दफनाते है मुर्दों को

-लखन सालवी- भीलवाड़ा/ बात कर रहे है भीलवाड़ा जिले की रूपाहेली ग्राम पंचायत के पोण्डरास गांव की। यहां घुमन्तु कालबेलिया समुदाय के करीब 30 परिवार निवास करते है। इनके नसीब में रहने और खेती के लिए थोड़ी बहुत जमीनें है लेकिन मुर्दों को दफनाने के लिए जमीन नहीं है नतीजन इन्हें अपने मृत शरीरों को घरों मंे या खेतों की मेड़ पर दफनाने पड़ रहे है।
गांव के राजू कालबेलिया ने बताया कि हाल ही मंे 24 दिसम्बर को गीता बाई कालबेलिया की मृत्यु हो गई थी। हम उसके मृत शरीर को अन्य समुदायों की श्मसान भूमि के पास खाली पड़ी जमीन पर दफनाने के लिए ले जाने लगे तो इसकी पड़ने पर गांव के ही लौहार समुदाय के लोगों ने आपत्ति जताते हुए वहां दफनाने के लिए मना कर दिया।
कैलाशनाथ का कहना है कि श्मसान भूमि नहीं होने के कारण 40 साल पहले हमारे पूर्वज दल्लानाथ को घर के पास ही स्थित बाड़े में दफनाना पड़ा। नंगजीराम कालबेलिया हमें खेत पर ले गए और खेतों की मेड़ों पर कई कब्रें दिखाई। उन्होंने बताया कि खेतों की मेड़ों पर उनके कई मृत परिजनों को दफनाया गया है। विडियों देखने के लिए यहां क्लिक करें –
22 जनवरी 2013 की रात को 11 बजे 62 वर्षीय नाथूनाथ कालबेलिया की मृत्यु हो गई। इस बार समुदाय के लोगों ने मांग की है कि उन्हें श्मशान के लिए भूमि दी जाए। वो श्मशान भूमि की मांग को लेकर मृतक के घर के बाहर ही बैठ गए और कहा कि वे लाश का अंतिम संस्कार तब ही करेंगे जब उनके समुदाय के लिए जमीन आवंटित की जाएगी।
कालबेलिया अधिकार मंच राजस्थान के प्रदेश संयोजक रतननाथ कालबेलिया ने बताया कि श्मशान भूमि की मांग के बारे में जिला कलक्टर को अवगत कराया गया। आज (23 जनवरी) दोपहर बाद प्रशासन की ओर से पटवारी राजेश पारीक व वार्ड पंच राजू जाट (वार्ड पंच एवं सरपंच पति) मृतक के घर आए और उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए अन्य समुदायों की श्मशान भूमि के पास ही खाली पड़ी जमीन को कालबेलिया समुदाय के लिए श्मशान भूमि हेतु आवंटित करने का आश्वासन देते हुए मृतक का अंतिम संस्कार वहीं पर करने को कहा। लेकिन कालबेलिया समुदाय के लोगों ने उस जमीन को बस्ती से बहुत दूर होने की बात कहते हुए वहां दफनाने से इंकार कर दिया।
कालबेलिया बस्ती के लोग नहीं चाहते है कि श्मशान भूमि उनके घरों से अधिक दूरी पर हो, वो अपनी बस्ती से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित खाली पड़ी जमीन मंे अपने लिए श्मशान भूमि की मांग कर रहे है। बहरहाल नाथूनाथ कालबेलिया को उसके मृत पूर्वजों की कब्रों के समीप ही दफना दिया गया है। लेकिन इस समुदाय को दरकार है श्मसान भूमि की।
(लेखक खबरकोश डॉट कॉम के कार्यकारी सम्पादक है।) 

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