अब मिला शहादत का गौरव

sahidजयपुर। 12 साल से मन में एक ही पीड़ा थी, कि संसद पर हमले का मास्टरमाइंड अफजल जिंदा है। उसे फांसी पर लटकाने की सूचना मीडिया से मिली, तब मेरे कलेजे को ठंडक मिली है। पति की शहादत का सच्चा गौरव आज महसूस कर रही हूं। संसद हमले में शहीद जेपी यादव की पत्नी प्रेम देवी ने शनिवार को पत्रिका संवाददाता से मन की पीड़ा साझा की। उन्होंने कहा कि इंसाफ के लिए लंबा इंतजार जरूर करना पड़ा, लेकिन अब हमे चैन मिला है।

देरी से हो गए थे दु:खी

मूलत: नीमकाथाना, सीकर निवासी जेपी यादव बतौर सुरक्षाकर्मी संसद के गेट पर तैनात थे। फिलहाल उनका परिवार जयपुर के ही विश्वकर्मा इलाके में रहता है। जेपी यादव के परिजनों को 2002 में सम्मानित किया गया था, लेकिन न्याय में देरी से दु:खी होकर 2006 में राष्ट्रपति को सम्मान लौटा दिया था, अब प्रेम देवी ने सम्मान को फिर से स्वीकार किए जाने की इच्छा जताई है।

 

सालता है काला दिन

13 दिसम्बर 2001 का वह काला दिन परिवार को आज भी सालता है। प्रेम देवी ने बताया कि सुबह पति से फोन पर बात हुई थी। उन्होंने आठ माह की बेटी गरिमा व बेटे गौरव के साथ माता-पिता व अन्य परिजनों का ध्यान रखने की बात कही, कुछ देर बाद ही संसद पर आतंकियों ने हमला कर दिया था। आखिरी क्षणों में हुई बातचीत को वे आज भी सहेजे हैं।

 

आज तक नहीं मिली जमीन

शहीद जेपी यादव के परिजनों को 25 बीघा भूमि देने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक नहीं दी गई है। सेना मुख्यालय ने मामला संसद सिक्योरिटी से संबंघित बता टरका दिया था।

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