कुशल वित्तीय प्रबंधन से मिली विकास को रफ्तार

ashok gehlotजयपुर। किसी भी प्रदेश का विकास राज्य सरकार की रीति नीति एवं कार्यक्रमों के सफल एवं प्रभावी क्रियान्वयन के साथ ही वित्तीय प्रबंधन पर निर्भर करता है। मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत के नेतृत्व में वर्तमान राज्य सरकार ने न केवल जनोपयोगी नीतियां बनाईं बल्कि विभिन्न कल्याण कार्यक्रमों के जरिये विकास को नई ऊंचाइयां दीं। गत दो वर्षों के बजटीय आंकड़ों पर नजर डालें तो यह बात उभर कर आयेगी कि एक तरफ योजना खर्च में वृद्घि हुई है वहीं कर एवं गैर कर राजस्व में वृद्घि के प्रयास भी फलीभूत हुए। वर्ष 2011 – 12 में राज्य के स्वयं कर राजस्व में वृद्घि दर 22.3 प्रतिशत दर्ज की गई वहीं राजस्व प्राप्तियों में वर्ष 2010-11 के मुकाबले 24.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ। प्रदेश में कुशल वित्तीय प्रबंधन की बानगी इसी से मिलती है कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में कभी ओवर ड्राफ्ट नहीं लिया गया एवं न ही राज्य सरकार मार्गोंपाय अग्रिम में रही।

योजनागत विकास

राज्य की वार्षिक योजना के आकार में निरंतर वृद्घि हो रही है। वर्ष 2011 -12 की वार्षिक योजना जहां 27 हजार 500 करोड़ रुपये की थी वहीं योजना आयोग ने वर्ष 2012-13 की वार्षिक योजना का आकार 33 हजार 500 करोड़ रुपये तय किया जो पिछले साल की तुलना में 21.8 प्रतिशत अधिक है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजनाकाल में कुल अनुमोदित व्यय 94,526 करोड़ के मुकाबले 94,195 करोड़ रुपये रहा जो लक्ष्य का 99.6 प्रतिशत है। इन आंकड़ों से तय है कि राज्य सरकार योजना में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये पूर्ण सजग एवं सक्रिय है।

राज्य सरकार ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अपेक्षित परिणामों को देखते हुए अधिक उत्साह से काम करने की ठानी है। यही कारण है कि राज्य की बारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए 1 लाख 96 हजार 992 करोड़ के प्रस्ताव भेजे गये हैं जो ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अनुमोदित व्यय 71 हजार 732 करोड़ रुपये (2006-07 की कीमतों पर) के मुकाबले ढाई गुना से अधिक है।

वर्ष 2011-12 में पिछले वर्ष (2010-11) के मुकाबले बजटीय योजना व्यय में रुपये 6253 करोड़ की वृद्घि रही है। प्रतिशत के रूप में यह वृद्घि 51.9 प्रतिशत है। यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार द्वारा योजना व्यय में वृद्घि के लिए अधिक वित्तीय संसाधन जुटाकर राज्य के विकास पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है।

राजस्व आधिक्य में वृद्घि

राज्य सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि गत दो वर्षों में बजट में राजस्व आधिक्य में उत्तरोत्तर वृद्घि हो रही है। वर्ष 2010-11 में राजस्व आधिक्य 1055 करोड़ के मुकाबले वर्ष 2011-12 में 3,357 करोड़ रुपये रहा। प्रदेश सरकार की राजस्व प्राप्तियों में वृद्घि एवं राजस्व खर्च में समुचित नियंत्रण का यह साफ प्रमाण है।

घाटा नियंत्रण में

राज्य का राजकोषीय घाटा भी पूर्ण रूप से नियंत्रण में है। वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा रुपये 3,626 करोड़ का रहा है जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद ¼GSDP½ का मात्र 0.9 प्रतिशत है तथा राज्य के लिए एफ.आर. बी.एम. अधिनियम में निर्धारित अधिकतम सीमा 3 प्रतिशत से काफी कम है। इसी तरह वर्ष 2011-12 में ब्याज भुगतान में वृद्घि दर मात्र 7.1 प्रतिशत रही है जो यह इंगित करती है कि राज्य सरकार द्वारा लिए जा रहे ऋणों का औचित्यपूर्ण प्रबंधन किया जा रहा है।

राजकोषीय देयताएं ¼Fiscal Liabilities½ 31 मार्च, 2012 को रुपये 1,06,560 करोड़ की रही हैं जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 25.6 प्रतिशत हैं तथा राज्य के लिए एफ.आर.बी.एम. अधिनियम द्वारा निर्धारित सीमा 39.3 प्रतिशत से काफी कम हैं।

राज्य सरकार के इन्हीं प्रयासों से आज प्रदेश सक्षम, समर्थ एवं सम्पन्न राज्य के रूप में उभरते हुए बहुआयामी विकास का प्रतीक बन रहा है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की मंशा है कि राजस्थान की तस्वीर बदले और प्रदेशवासियों को सभी सुविधाएं मिलें।

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