भरतपुर। भरतपुर जिले में प्रतिवर्ष अप्रैल से जून माहों के बीच दूरदराज के ग्रामों में होने वाले अग्निकाण्डों में सैंकडों की संख्या में गरीब लोगां के आशियाने जलकर समाप्त हो जाते हैं। साथ ही उनका घरेलू सामान भी आग की भैंट चढ़ जाता है। ऐसे सभी अग्निपीड़ित परिवारों को लुपिन फाउण्डेशन आवश्यक सहायता सामग्री उपलब्ध कराती है ताकि पीड़ित परिवार को राहत मिल सके।
लुपिन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता ने बताया कि भरतपुर जिले में अक्सर आगजनी की घटनाऐं गांव के आसपास एकत्रित किए गए चारे अथवा ईंधन में किसी न किसी तरह आग लग जाने से होती रहती हैं। कई बार तो आगजनी की घटनाऐं पूरे गांव को ही अपने आगोश में ले लेती हैं। जिससे गरीब लोगों का पूरे वर्ष का अनाज, कपडे, बिस्तर आदि जलकर राख हो जाते हैं। इन आगजनी की घटनाओं में पशु-पक्षी भी इसकी भैंट चढ़ जाते हैं। राज्य सरकार द्वारा ऐसे पीडित परिवारों को इतनी कम सहायता राशि दी जाती है कि उससे पीड़ित परिवार को कोई राहत नहीं मिलती। ऐसे पीडित परिवारों की सहायता के लिए ग्रामीण एवं दानदाता आगे आते हैं। जिनसे उसे पीडित परिवार को राहत अवश्य मिल जाती है। आगजनी की जिले में गर्मी के तीन माहों में 500 से भी अधिक घटनाएंें होती हैं। जिन्हें रोकने के लिए केवल भरतपुर, डीग व बयाना में दमकल मौजूद हैं। डीग व बयाना की दमकलें तो इतनी छोटी हैं कि वे बड़ी आगजनी की घटनाओं पर उपयोगी सिद्ध नहीं हो पातीं।
लुपिन के अधिशाषी निदेशक ने बताया कि संस्था ने 20 मई तक डीग व वैर में 10-10, रूपवास में 34, नगर में 2 तथा अप्रैल माह में 19 अग्निपीड़ित परिवारों को बर्तन सैट, बिस्तर, कपडे आदि उपलब्ध कराए गए हैं ताकि पीडित परिवारों को तात्कालिक राहत मिल सके। संस्था का प्रयास रहता है कि ऐसे अग्निपीड़ित परिवार जिनका पूरा सामान ही आग की भैंट चढ़ गया हो उन्हें अनाज एवं रोजगार के वैकल्पिक संसाधन भी मुहैया कराये जाते हैं और गांव की बैठक आयोजित कराकर ग्रामीणों को ऐसे पीड़ित परिवारों की सहायता करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि वे भी पीड़ित परिवारों की किसी न किसी रूप में मदद कर सकें।
कल्याण कोठारी