जयपुर। राजस्थान सहित पूरे भारत में विटामिन ए एवं विटामिन डी की कमी से प्रारंभिक जीवनकाल से होने वाली बीमारियों की स्थिति खतरनाक स्तर पर है। इससे निपटने के लिए नीतिगत तरीके से राष्टृीय स्तर पर जनसहभागिता से बहुआयामी प्रयास करने होंगे। विटामिन ए एवं डी मनुस्य को बीमारियों से लडने की ताकत देते हैं।
यह नतीजा स्वास्थ्य प्रबंधन षोध संस्थान-आईआईएचएमआर एवं ग्लोबल एलायंस फॉर इंप्रूव्ड न्यूटृीषिन-गेन जिनेवा के तत्वावधान में गुरूवार को विटामिन ए एवं डी के साथ भोजन के फोर्टिफिकेषन पर यहां सांगानेर स्थित संस्था के सभागार में आयोजित कार्यषाला में उभरकर सामने आया। इसमें अंतरराष्टृीय विषेसज्ञों द्वारा विटामिन ए एवं डी की कमी से होने वाले चुनौतियों पर चर्चा तथा पोषक तत्वों की आपूर्ति में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर विचार किया गया।
एंडोक्राइन एंड थॉयराइड रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ न्यूक्लीयर मेडिसिन एंड एलायड साइंसेज नई दिल्ली के पूर्व अतिरिक्त निदेषक एवं प्रमुख मेजर जनरल डॉ आरके मारवाह ने इंटरनेषल्स जर्नल्स एवं प्रमाणिक सर्वेक्षणों के हवाले से बताया कि विटामिन डी की कमी से हर साल 9 मिलियन फ्रेक्चर होते हैं, इनमें सबसे ज्यादा एषिया में होते हैं। 50 से ज्यादा की उम्र में 20 प्रतिषत तक कूल्हे का फ्रेक्चर होता है जो मुख्यतः केल्षियम व विटामिन डी की कमी से होते हैं तथा इससे हड्डियों की कई अन्य बीमारियां भी आती हैं। उम्र बढने के साथ ये बीमारियां भी बढती जाती हैं तथा ऑस्टोपोरियस 35 प्रतिषत तक पाया जाता है। उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल में 760 बच्चों पर किए गए सर्वे के नतीजों में बताया कि पर्याप्त दूध की मात्रा बच्चों को देने पर उनमें विटामिन डी की मात्रा बढ गई।
विटामिन डी की कमी से जन स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को रेखांकित करते हुए मारवाह ने कहा कि भारत में विटामिन डी को ग्रहण करने की मात्रा बहुत कम है। इसका मुख्य कारण विटामिन डी से युक्त भोज्य पदार्थों का कम उपयोग, फोर्टिफिकेषन का अभाव एवं पूरक पोषक तत्वों कम लेने की प्रवृति है। उन्होंने कहा कि सूरज की धूप का पर्याप्त नहीं करने से विटामिन डी की कमी होती है जो सामान्य आहार से पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि विटामिन डी निषुल्क उपलब्ध है जो धूप में सुलभ है। उन्होंने बताया कि विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियां कमजोर और त्वचा रोग होते हैं। मारवाह ने बताया कि इसे दूर करने के लिए रोजाना आधा घंटे धूप का सेवन करना चाहिए तथा दूध एवं दूध के उत्पादों के सेवन से केल्षियम कमी दूर की जा सकती है। इसके साथ ही खाद्य आहार में फूड फोर्टिफिकेषन के जरिए पोषण क्षमता बढाई जा सकती है।
राज्य सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव ललित मेहरा ने कहा कि विटामिन ए एवं डी की कमी से जीवन पर्यन्त परेषानियां होती हैं जो कल्याणकारी राज्य के लिए चिंता की बात है। इस चुनौती से निपटने के लिए खाद्य आहार फोर्टिफिकेषन के माध्यम से जबरदस्त बदलाव लाया जा सकता है। मेहरा ने सुझाव दिया कि कॉरपोरेट सोषल रेस्पोंसबिलिटी के तहत इस तरह के सहयोग में बढावा दिया जाना चाहिए।
यूनिसेफ के राज्य प्रमुख सेमुअल मुवांनगिज ने कहा कि स्तनपान एवं खीस के उपयोग से विटामिन ए एवं डी की कमी को पूरा किया जा सकता है, इसलिए इस ओर प्रमुखता से जनजागरूकता की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि 6 से 59 महीने के बीच के उम्र के बच्चों में विटामिन ए की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होती है। उन्होंने इस बात की जरूरत बताई कि वंचित वर्ग व 6 से 11 महीने के बच्चों को विटामिन ए की खुराक देना बडी चुनौती है, इसके लिए व्यापक रूप से एडवोकेसी, गवर्नेन्स, लीडरषिप, सतत प्रयास तथा निगरानी की व्यवस्था करनी होगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह सामाजिक दबाव से भारत को पोलियो मुक्त किया गया है, उसी तरह इस समस्या को भी चुनौती के रूप में लेकर हल निकाला जाना चाहिए।
कार्यषाला में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए आईआईएचएमआर के ट्स्टी एवं पूर्व मुख्य सचिव एम एल मेहता ने कहा कि हमें इस समस्या से निपटने के लिए साक्ष्य आधारित प्रभावकारी बहुआयामी प्रयास करने होंगे। इसके लिए अपने व्यवहार में भी बदलाव लाकर मिषन एवं पेषन मोड में काम करना होगा। मेहता ने कहा कि सही नेतृत्व से ही सही क्रियान्वयन संभव होगा।
कार्यषाला में गेन जिनेवा के फूड फोर्टिफिकेषन कार्यक्रम के निदेषक ग्रेग गेरेट ने बताया कि विटामिन ए की कमी दूर करने में खाद्य आहार को फोर्टिपिफकेषन करने के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि औसतन ढाई से पांच लाख तक बच्चे विकासषील देषों में विटामिन ए की कमी से अंधता व रतौंधी के षिकार होते हैं, जिसमें साउथ ईस्ट एषिया एवं अपफ्रीका में इसकी दर सबसे ज्यादा है।
गेन की सीनियर एसोसिएट दीप्ति गुलाटी ने राजस्थान में फूड फोर्टिफिकेषन के माध्यम से माइक्रो न्यूट्एिंट की कमी विषय पर प्रस्तुतीकरण देते हुए अनीमिया एवं कुपोषण की गंभीरता को आंकडों के जरिए पेष किया। उन्होंने कहना कि माइक्रो न्यूट्एिंट की कमी से बच्चों का पूरा विकास नहीं होता, जिसे बहुत कम खर्च पर फोर्टिफिकेषन के जरिए सुधारा जा सकता है।
प्रारंभ में आईआईएचएमआर के निदेषक डॉ एस डी गुप्ता ने स्वागत भाषण करते हुए परियोजना की गतिविधियों एवं उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान में फूड फोर्टिफिकेषन के सकारात्मक परिणामों के कारण अंतरराष्ट्ीय पहचान मिल रही है। उन्होंने बताया कि तेल व दूध के फोर्टिफिकेषन की षुरूआत प्रदेष में उत्साहपूर्वक हुई है एवं इसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। परियोजना निदेषक डॉ एम एल जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यषाला का संचालन परियोजना प्रबंधक जतिन्द्र बीर ने किया।
इस अवसर पर प्रदेष में फूड फोर्टिफिकेषन में महत्वपूर्ण उपलब्धियों के लिए नांदी फाउंडेषन के बिस्वजीत पटनायक, भौंरूका चेरिटेबल ट्स्ट से अजीमउर रहमान एवं एसके लांबा, रूचि सोया बारां के जेबी अग्रवाल, रूचि सोया कोटा के पंकज गुप्ता, अजंता सोया भिवाडी के एसके सोलंकी, जैन फूड प्राडक्ट के सुरेष कुमार जैन, श्री रतन इंडस्ट्ी अजय मूंदडा, मंगल एंड माथुर फूड के नरेष गुप्ता, बुंगे इंडिया कोटा के महेष कुमार को अतिथियों ने सम्मानित किया।
-कल्याणसिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार
94140 47744
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