केन्द्र सरकार ने जयपुर के एयरपोर्ट को निजी हाथों में देने की तैयारी कर ली है। इस प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की बैठक में अंतिम मोहर लगेगी। जानकारी के अनुसार योजना आयोग, वित्त, विधि और न्यायिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों की आपसी चर्चा में यह तय हुआ एवं राजस्थान सरकार को इसकी सूचना आज शाम ही मिली है।
सूत्रों के मुताबिक संचालन और रखरखाव के बढ़ते खर्च के कारण जयपुर का सांगानेर एयरपोर्ट लगातार घाटे में चल रहा है। पिछले दो सालों में इस घाटे में करीब 37 करोड़ रुपए कह बढ़ोतरी हुई है। इसको देखते हुए केन्द्रीय टास्क फोर्स ने जयपुर एयरपोर्ट का नाम निजीकरण के लिए प्रस्तावित किया है।
एयरपोर्ट के निजीकरण के संबंध में केन्द्र सरकार की ओर से पूर्व में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था। इस कमेटी ने देश के विभिन्न एयरपोट्रस की जांच के बाद जयपुर सहित डेढ़ दर्जन एयरपोट्रस को निजी हाथों में देने लायक बताया था। इसके बाद नागरिक उड्यन मंत्रालय की ओर से निजीकरण का प्रस्ताव तैयार कर योजना आयोग और वित्त मंत्रालय को भेजा गया। वित्त मंत्रालय ने इसके नियम और कानून का प्रस्ताव तैयार करने का काम विधि मंत्रालय को सौंपा था। एयरपोर्ट के निजीकरण के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की निविदाएं आमंत्रित की जाएगी।
निविदा में चयनित कंपनी को एयरपोर्ट संचालन, रखरखाव और विस्तार करने की अनुमति दी जाएगी। एयरपोर्ट में वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों को निविदा में चयनित कंपनी की शर्तो के तहत काम करना होगा। राजस्थान सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को इस बारे में सूचना आज ही मिली और विभाग के अधिकारियों ने नागरिक उड्यन मंत्रालय के अधिकारियों से इस बारे में टेलिफोन पर बात की। उल्लेखनीय है कि जयपुर एयरपोर्ट की जमीन राजस्थान सरकार की है।