सनसनीखेज नहीं संवेदनशील खबरें जरुरी

IMG_3249IMG_3228उदयपुर। वरिष्‍ठ पत्रकार राजेन्‍द्र बोड़ा ने कहा कि सनसनीखेज पत्रकारिता के दौर में पत्रकारों को संवेदनाओं से जुड़ी खबरों को और अधिक जिम्‍मेदारी से समझना होगा। तभी संवेदनशील पत्रकारिता स्‍थापित हो पाएगी।
बोड़ा शुक्रवार को यहां नेहरु हास्‍टल के तिलक सभागार में बच्‍चों के खिलाफ होने वाली हिंसा को सामने लाने में मीडिया की भूमिका तथा मीडिया कर्मियों के क्षमता संवद्धर्न के लिए आयोजित राज्‍य स्‍तरीय कार्यशाला को सम्‍बोधित कर रहे थे। यूनिसेफ के सहयोग से लोक संवाद संस्‍थान जयपुर तथा मोहन लाल सुखाडिया विश्‍वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के संयुक्‍त तत्‍वावधान में बच्‍चों के विरुद्ध होने वाली शारीरिक, मानसिक व लैंगिंक हिंसा को रोकने के लिए यह मीडिया कार्यशाला आयोजित की गई। अध्‍यक्षीय उद्बोधन में बोड़ा ने कहा कि बाजार के दबाव के कारण असल जिन्‍दगी से जुड़ी खबरें मर जाती है। पाठक और दर्शक को भी इस दृष्टि से जागरुक बनने तथा आपत्ति दर्ज करवाने का साहस करना होगा। उन्‍होंने कहा कि मीडिया कोशिश तो कर रहा है लेकिन चाह कर भी वह दुनिया को बदल नहीं सकता। बदलाव के लिए सशक्‍त और सकारात्‍मक प्रयासों की जरुरत है।
इस अवसर पर राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय में जनसंचार केन्‍द्र के अध्‍यक्ष प्रो संजीव भानावत ने कहा कि इंटरनेट के जरिए परोसी जा रही अश्‍लीलता को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है, और इसकी हमारे पास कोई ठोस तैयारी भी नहीं दिखती। इसके लिए अभिभावकों को जागरुक ओर प्रशिक्षिज करने की आवश्‍यकता बताते हुए प्रो भानावत ने कहा कि परिवारों में इंटर पर्सनल कम्‍यूनिकशन बन्‍द हो गया है। बाल पत्रिकाओं का स्‍थान इंटरनेट और टीवी ने ले लिया है। उन्‍होंने इससे बचने के लिए आक्रामक व्‍यूह रचना की जरुरत बताई। बाल हिंसा के प्रति मीडिया के नजरिए में बदलाव के लिए तथा संवेदनापरक खबरों के लिए उन्‍होंने हर स्‍तर पर बदलाव की बात कही। बाल कल्‍याण समिति के सदस्‍य डा धर्मेश जैन ने बाल हिंसा को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों की जानकारी दी साथ ही खबरों की रिपोर्टिंग के कानूनी पहलुओं को भी विस्‍तार से समझाया। वर्द्धमान महावीर खुला विश्‍वविद्यालय के स्‍थानीय केन्‍द्र की निदेशक डा रश्मि बोहरा ने बाल हिंसा को रोकने के लिए सोच में बदलाव लाने और इसके लिए कड़े कानूनी कदम उठाए जाने की वकालात की। शोध छात्र विकास बोकडि़या ने मेवाड़ से बाल श्रमिकों के गुजरात पलायन और बीटी काटन के काम में लगे बाल श्रमिकों स्थिति बताई। साथ इस सम्‍बन्‍ध में अखबारों में प्रकाशित समाचारों पर एक शोध रिपोर्ट भी पेश की। युनिसेफ के बाल संरक्षण सलाहाकार विजय सिंह शेखावत ने फिल्‍म और पावर पाइन्‍ट प्रस्‍तुति के जरिए मीडिया रिपोर्टिंग के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला तथा युनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार विभिन्‍न सुझाव प्रस्‍तुत किए। जन संवाद संस्‍थान के सचिव कल्‍याण सिंह कोठारी ने मीडिया कर्मियों का स्‍वागत करते हुए इस अभियान के बारे विस्‍तृत जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि पूरे राजस्‍थान में इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जाएगी। कार्यशाला का संचालन सुखाडिया विश्‍वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रभारी डा कुंजन आचार्य ने किया। कार्यक्रम से पूर्व युनिसेफ की ओर से बाल हिंसा को रोकने के लिए बनाई गई फिल्‍मों का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर जन संवाद संस्‍थान की ओर से डा कुंजन आचार्य का सम्‍मान भी किया गया। पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थी मोहम्‍मद असलम खान ने धन्‍यवाद दिया।
Dr. Kunjan Acharya
Assistant Professor & Incharge
Department of Journalism
Mohan Lal  Sukhdia  University
Udaipur

0 9352727209
kunjanacharya.blogspot.com

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