पूजा की घंटी के शीर्ष पर गरुड़ आकृति क्यों?

आपने देखा होगा कि पूजा के दौरान हम जिस घंटी को बजाते हैं, उसके षीर्श पर गरुड़ की आकृति होती है। जरूर इसका कोई अर्थ या प्रयोजन होगा। वस्तुतः इसके पीछे गहरी धार्मिक मान्यता और प्रतीकात्मकता निहित है। ज्ञातव्य है कि गरुड़ को भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। पुराणों में गरुड़ और भगवान विष्णु के बीच के अटूट बंधन का वर्णन मिलता है। गरुड़ को अमरत्व का वरदान प्राप्त था और वे भगवान विष्णु के सबसे करीबी थे। मान्यता है कि गरुड़ भक्तों की प्रार्थनाओं को सीधे भगवान विष्णु तक पहुंचाते हैं। घंटी की ध्वनि के साथ गरुड़ की आकृति भक्तों की आस्था को और मजबूत करती है। शास्त्रीय उल्लेख है कि गरुड़ को नागों का शत्रु भी माना जाता है। नागों को अक्सर अशुभ शक्तियों से जोड़ा जाता है। इसलिए गरुड़ की उपस्थिति से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। इसके अतिरिक्त कुछ लोग मानते हैं कि गरुड़ घंटी बजाने से वास्तु दोष दूर होते हैं और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है। घंटी की ध्वनि ध्यान केंद्रित करने और मन को शांत करने में भी मदद करती है। गरुड़ की उपस्थिति इस प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाती है। इसलिए गरुड़ की उपस्थिति भगवान विष्णु के आशीर्वाद और संरक्षण का प्रतीक है।

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