यह हमारे संज्ञान में है कि महाभारत काल में संजय को दिव्य दृश्टि हासिल थी। उन्होंने उसी दिव्य दृश्टि से महल में बैठे बैठे दूरस्थ हो रहे युद्ध को देखा और धृतराश्ट को पूरा वर्णन सुनाया। ऐसा होना काल्पनिक लगता है, मगर धार्मिक आस्था के कारण हमारी मान्यता है कि ऐसा हुआ ही होगा। लेकिन विज्ञान ऐसी किसी दिव्य दृश्टि की पुश्टि नहीं करता। विज्ञान ऐसी स्थिति किसी भी सूरत में मानने को तैयार नहीं है। परंतु वर्तमान काल में एक घटना ने उसे मानने को मजबूर कर दिया है। हालांकि वह अब भी उस गुत्थी को सुलझाने की क्षमता नहीं रखता। ओषो ने अपने एक प्रवचन में बताया कि अमेरिका में टेट सीरियो नामक एक व्यक्ति हुआ। उसे हजारों किलोमीटर दूर हो रही घटना को देखने की क्षमता हासिल थी। किसी स्थान पर घटित हो रही घटना को वह देखना चाहता तो पांच मिनट आंख बंद कर ध्यान में बैठता और उसे घटना दिखाई देने लग जाती। केवल घटना को देखने में ही नहीं, बल्कि घटना के चित्र को पकडने में भी सक्षम था। वह चित्र उसकी आंख में दिखाई देता था, जिसके हजारों फोटो खींचे गए हैं। ओषो कहते हैं कि दिव्य दृश्टि के लिए आत्मज्ञानी होना आवष्यक नहीं, किसी आध्यात्मिक षक्ति की जरूरत नहीं, वह तो एक प्राकृतिक षक्ति है। टेट कोई आत्मज्ञानी नहीं था, अलबत्ता उसे असामान्य व्यक्ति जरूर कहा जा सकता है।
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