गुरूवार को चने के व्यंजन क्यों खाते हैं?

दोस्तो, नमस्कार। एक मित्र ने पूछा कि गुरूवार को चने के व्यंजन क्यों खाते हैं? इस विशय पर विद्वानों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि यह परंपरा धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं से जुड़ी हुई है। वस्तुतः बृहस्पति देव को पीला रंग व भोज्य पदार्थ चना पसंद है। इस कारण गुरुवार के दिन चने की दाल और बेसन से बने व्यंजन बृहस्पति देव को अर्पित किए जाते हैं। ज्योतिशीय दृश्टि से देखा जाए तो बृहस्पति ग्रह को बलवान बनाने के लिए पीले रंग के खाद्य पदार्थ खाने की परंपरा है। गुरुवार का व्रत रखने वाले लोग अक्सर चने की दाल या बेसन के व्यंजन खाते हैं। कई लोग गुरूवार के दिन पहले पहर में, अर्थात सूर्योदय से डेढ घंटे तक की अवधि में पीला वस्त्र धारण करते हैं या पीले रंग का धागा बांधते हैं। मान्यता है कि इससे व्यक्ति की बुद्धि, धन, और समृद्धि में वृद्धि होती है। ऐसी मान्यता है कि एक समय गुरु बृहस्पति गरीब ब्राह्मण का रूप धारण कर एक घर में भिक्षा मांगने गए। गृहणी ने उन्हें चने की दाल और गुड़ का भोजन कराया, जिससे वे प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दे गए। तभी से चने की दाल और उससे बने व्यंजन गुरुवार को खाने और बांटने की परंपरा बन गई।

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