जन्म के बाद नामकरण तक पूजा वर्जित क्यों?

जन्म के बाद नामकरण संस्कार तक पूजा-पाठ को वर्जित माना जाता है? इसके पीछे धार्मिक, शास्त्रीय और व्यवहारिक कारण होते हैं, जो भारतीय सनातन परंपरा और संस्कृति से जुड़े हैं। वस्तुतः बच्चे के जन्म के बाद लगभग 10 दिन तक का समय सूतक काल कहलाता है। इस अवधि में घर में पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन, मंदिर प्रवेश आदि वर्जित माने जाते हैं। यह समय मां और नवजात के लिए शुद्धिकरण और विश्राम का होता है। प्रसव के दौरान शरीर से रक्त और अन्य तरल पदार्थ निकलते हैं, जिसे धार्मिक दृष्टि से अशुद्ध माना जाता है। मां का शरीर और घर का वातावरण संक्रमण की दृष्टि से संवेदनशील होता है, अतः विश्राम और शुद्धि जरूरी मानी गई है। नवजात शिशु को इस दौरान संस्कारों और पूजा के योग्य नहीं माना जाता, क्योंकि वह अभी सामाजिक और धार्मिक जीवन का हिस्सा नहीं बना होता।
नामकरण संस्कार के साथ ही उसे एक धार्मिक पहचान और सामाजिक स्थान प्राप्त होता है। नामकरण संस्कार केवल नाम देने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह एक धार्मिक अनुष्ठान है, संस्कार है, जिसमें शिशु को पहली बार उसका नाम सुनाया जाता है।
इसके बाद ही शिशु को धार्मिक अनुष्ठानों में सम्मिलित किया जाता है। मनुस्मृति, गृह्यसूत्र, धर्मशास्त्रों में स्पष्ट निर्देश है कि सूतक काल में कोई भी पवित्र कर्म जैसे पूजा, यज्ञ, श्राद्ध आदि नहीं करने चाहिए।
एक सवाल यह भी कि क्या जन्म के बाद नामकरण संस्कार तक पूजा करने से वह नकारात्मक शक्तियों को मिलती है? शास्त्रों में बताया गया है कि शिशु के जन्म के बाद सूतक काल में की गई पूजा को देवताओं तक नहीं पहुंचने योग्य बताया गया है। इससे उल्टा प्रभाव हो सकता है, यानी आत्मिक शुद्धि की जगह मानसिक व्याकुलता। यदि धार्मिक कार्य अशुद्ध शरीर, वस्त्र या भाव से किए जाएं, तो वे फलदायी नहीं होते, बल्कि कुछ शास्त्रों में इसे अपवित्र यज्ञ कहा गया है, जो पितरों या अन्य अदृश्य शक्तियों को अप्रसन्न कर सकता है। सूतक काल में शरीर की ऊर्जा कमजोर होती है। पूजा-पाठ एक उच्चतर ऊर्जा स्तर की क्रिया है, यदि वह अशुद्ध या कमजोर ऊर्जा से की जाए तो आसपास की सूक्ष्म नकारात्मक शक्तियां आकर्षित हो सकती हैं।
परंपराएं बताती हैं कि नवजात शिशु के आसपास की रक्षा करने वाले तंत्र बहुत कोमल होते हैं। कोई भी असंतुलन जैसे शास्त्रविरुद्ध पूजा उस सुरक्षा कवच को भेद सकता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव संभव है।

 

Leave a Comment

This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

error: Content is protected !!