जिला स्तरीय महिला सहायता समिति की बैठक आयोजित

बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला प्रमुख सुश्री वन्दना नोगिया ने कहा कि महिलाओं के हितों की रक्षा हेतु बने विविध अधिनियमों एव कानूनों के संबंध में महिलाओं को पर्याप्त जानकारी का अभाव है। महिला का घरेलू हिंसा संरक्षण, कार्यस्थल पर उत्पीडन, महिला सुरक्षा सलाह केन्द्र, संरक्षण अधिकारी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से मिलने वाली कानूनी सलाह आदि के बारे में प्रचार-प्रसार किया जाना नितान्त आवश्यक है। कई मर्तबा पर्याप्त जानकारी के अभाव में समय पर न्याय सुलभ नही हो पाता है।
उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय महिला सहायता समिति के माध्यम से महिलाओं के हितों की रक्षा हेतु बने विविध अधिनियम व कानूनों की जानकारी प्रचार-प्रसार के माध्यम से दूर-दराज के गांवों तक पहुंचाया जाना आवश्यक है। जिससे शहर ही नही बल्कि गांवों में निवासरत महिलाओं को उनके अधिकारों का ज्ञान हो साथ ही शोषण के विरूद्ध कार्यवाही हेतु सम्बल मिल सकें। इस अवसर पर उन्होंने बैठक में महिला सुरक्षा सलाह केन्द्र की प्रगति एवं महिलाओं द्वारा दर्ज कराएं गए विभिन्न प्रकरणों पर की गई कार्यवाही के संबंध में जानकारी ली।
उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग प्रियंका जोधावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जिला महिला विकास अभिकरण का विलय जिला परिषद में किया गया है। इससे पूर्व यह समिति जिला कलक्टर की अध्यक्षता में एक रजिस्टर्ड संस्था के रूप में थी। समिति द्वारा उत्पीडित व निराश्रित महिलाओं को आश्रय, विधिक सहायता की व्यवस्था हेतु कार्य किया जाता है। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 का प्रभावी क्रियान्वयन, महिला अशिष्ट रूपण अधिनियम 1986 के प्रकरण, कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन के प्रकरण, परामर्श सहायता, शोषित महिलाओं के प्रकरणों का पुनरीक्षण आदि भी समिति के कार्यक्षेत्रा में शामिल है। उन्होंने बताया कि महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने हेतु समय-समय पर विविध कार्यक्रम चलाए जाते है, इसी क्रम मेें एक अक्टूबर 2014 को जिला परिषद सभागार अजमेर में महिला सुरक्षा संबंधी कार्यशाला का आयोजन किया गया था। जिसमें जिला स्तरीय अधिकारियों ने भाग लिया था। इसी क्रम में आगामी 26 मार्च 2015 को भी महिला सुरक्षा विषयक कार्यशाला प्रस्तावित है। उन्होंने उक्त कार्यशाला में अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव प्रस्तुत किया। साथ ही कहा कि ऐसे कार्यक्रम ब्लाॅक व ग्राम पंचायत स्तर पर भी आयोजित किए जाने चाहिए।
कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग महावीर सिंह ने बताया कि महिला उत्पीडन की रोकथाम हेतु ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालय, आंगनबाडी केन्द्र, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति मुख्यालय पर पोस्टर व बैनर एवं नुक्कड नाटक आदि के माध्यम से जागरूकता लाई जा सकती है। इस अवसर पर उन्होंने महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र की त्रोमासिक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र की संचालक संस्था ‘‘विशाखा’’ की परामर्शदाता शैफाली शर्मा व दुर्गा माहिच ने विविध प्रकरणों की स्थिति व कार्यवाही के संबंध में जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर उपनिदेशक सामाजिक न्याय व आधिकारिता विभाग श्रीमती विजयलक्ष्मी गौड, थानाधिकारी श्रीमती सुशीला, समेत कई अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।