राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ललित के.पंवार ने 19 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया कि अब आयोग का कैम्प ऑफिस जयपुर स्थित शिक्षा संकुल में लगेगा। इसके लिए स्थान भी निर्धारित हो गया है। मैंने 19 अगस्त को ही अपने ब्लॉग में विखंडन की बात पुरजोर तरीके से लिखी थी। मेरी यह पोस्ट आज भी मेरे ब्लॉग spmittal.blogspot.in पर प्रदर्शित है। इसके बाद राजस्थान के सबसे बड़े अखबार राजस्थान पत्रिका ने आयोग के विखंडन के मामले को ओर प्रभावी तरीके से उठाया। इसमें कोई दो राय नहीं कि पत्रिका में जब इस मामले को उठाया तो भाजपा नेताओं पर दबाव पड़ा और यही वजह रही कि अजमेर के प्रभारी मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि फिलहाल आयोग का कैम्प ऑफिस जयपुर में नहीं लगेगा। देवनानी ने दबी जुबान से यह भी संकेत दिए कि प्रदेश का शिक्षामंत्री होने के नाते जयुपर स्थित शिक्षा संकुल पर उन्हीं का अधिकार है। उनकी लिखित अनुमति के बिना आयोग का कैम्प ऑफिस शिक्षा संकुल में नहीं लग सकता। देवनानी का कथन अपनी जगह हो सकता है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या कैम्प ऑफिस का निर्णय आयोग के अध्यक्ष पंवार ने अपने स्तर पर ले लिया? सब जानते हैं कि पंवार 31 जुलाई को आईएएस की सेवा से रिटायर हुए और पांच अगस्त को पंवार को आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया। अध्यक्ष बनने के एक सप्ताह के अंदर -अंदर पंवार ने दो बार राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे से मुलाकात की। मैं अपने अनुभव के साथ कह सकता हंू कि पंवार ने आयोग के कैम्प ऑफिस पर सीएम राजे की सहमति करवाई। जिस कैम्प ऑफिस पर सीएम राजे ने सहमति दे दी हो, क्या उस कैम्प ऑफिस को देवनानी रुकवा सकते हैं?
राजस्थान पत्रिका में जिले के भाजपा विधायकों, मंत्रियों और नेताओं ने कुछ भी बयान दे दिए हो, लेकिन अजमेर जिले के किसी भी नेता में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह सीएम राजे के सामने जाकर आयोग के कैम्प ऑफिस का विरोध कर दे। जब विकास के मुद्दे पर ही इन नेताओं की जुबान नहीं खुलती है, तब राजे के निर्णय का विरोध करने की हिम्मत है ही नहीं। राजे के सामने बोलना तो दूर ये भाजपा नेता एक झूठी सच्ची चि_ी भी सीएम राजे को नहीं लिख सकते। राजस्थान पत्रिका को देवनानी के बयान पर पूरा भरोसा नहीं करना चाहिए। अजमेर का जनप्रतिनिधि होने के नाते देवनानी कैम्प ऑफिस के पक्ष में नहीं हो, लेकिन सीएम राजे के निर्णय को तो देवनानी को मनना ही पड़ेगा। इसलिए पत्रिका को अपना अभियान लगातार जारी रखना चाहिए। पत्रिका ने अजमेर के हितों को ध्यान में रखते हुए सराहनीय कार्य किया है। जहां तक आयोग अध्यक्ष पंवार का सवाल है तो उनकी रुचि अजमेर से ज्यादा जयपुर में टिके रहने में है। पंवार तो यही चाहते हैं कि आयोग का कैम्प ऑफिस जयपुर में लगे और वह शान से जयपुर में रह सके। अजमेर स्थित आयोग मुख्यालय का काम तो जयपुर में बैठकर भी संभाला जा सकता है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511