कर्मयोगी ने कर्म के व्दारा भाग्य को बदल दिखाया
समस्याओं से जुझता रहा-लेकिन र्धेय नही छोड़ा कर्मयोगी इस युवक ने
आज यह बताने आवष्यकता हो गई है कि आज का युवावर्ग अपने कर्तव्य के रास्ते को छोड़कर भट रहा हे और अपने माता-पिता का मान- सम्मान करने में पीछे हो रहा हे , अपने से बड़ों का मान सम्मान समाप्त कर रहा हे जिस कारण अपने बिकाष के रास्ता से पीछे होता चला जा रहा हें , लेकिन हम ऐसे युवक के जीवन के बारे में आपको बताने जा रहे हे जो एक गरीव ब्राम्हण परिवार में किसान के बेटे के यहां जन्म लेकर आज समूचे बुन्देलखण्ड केलिए नजीर बन कर आम जनता के सामने राजनेता के रूप में आ गया हे उसकी लेखन व साहित्य आम जनता केलिए गोरव की बात हें । हम ऐसे कर्मयोगी कमर्ठ युवा के जीवन परिचय को युवा वर्ग केलिए परिचर्चा के रूप में पैष कर रहे है । आर्थिक सिध्दान्त है कि आवष्यकता अविष्कार की जननी होती है ,इसी प्रकार समाज में यदि बुध्दिजीवि व अच्छे लोग न हो तो समाज गलत रास्ता पर चला जाता है ,जो व्यक्ति सामाजिक होते है और समाज से जुडे़ होते है ऐसे व्यक्तियों को समाज में अपने आप सम्मान मिलता हैं । हर प्राणी अपना सम्मान चाहता है लेकिन ऐसे कम लोग होगे जिन्होने अपने जीवन में हमेषा दूसरों को ही सम्मान दिया अपने सम्मान केलिए जनता को जज समझ कर जनता पर छोड़ा हो….? यह बात एक ऐसे कर्मयोगी कि हे जो आज के युग केलिजए नजीर के रूप मे गिने जातेहे बेसे इस भैतिक वादी युग में तथा भारत भूमिें अनेकानेक बुध्दि मान विवेक षील व योगयता बाले हे और ऐसे योग्य व समाज सुधारक जब भी पैदा होते हे वह समाज मे ऐसे परिवार में ही पैदा होते जिसमें खाने केलिए दाने दाने केलिए मोहताज हो वह व्यकित ही समाज को संचालन करने केलिए सुमाज सुधारक के रूप में आते हैं ।
बुन्देलखण्ड की राजधानी कहे जाने बाला कस्बा नगर नौगॉव के ग्राम बीरपुरा में ग्राम जुझौरिया ब्राम्हण संत परिवार में 11 दिसम्बर 1956 को जन्म संतोष गंगेले बचपन से ही प्रतिभा के धनी मान जाते है । संघर्षषील जीवन व्यतीत करते हुए अध्ययक्ष करने के साथ साथ बचपन से ही अपनी माता व पिता के कार्यो में सहयोगी रहे । आर्थिक तंगी व निर्धनता के बाद भी अपने होसले बुलन्द करने वाले संतोष गंगेले ने अपने जीवन में कभी बुराईयों को स्थान नही दिया । बचपन से ही
कक्षा 8 वी पास के बाद रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराया और सन! 1977 के आखिरी माह में एम0ई0एस0 नौगॉव में चौकीदारी के पद पर नौकरी मिल गई यहॉ से बिकाष का रास्ता मिला ओर अच्दे लोगों की संगत से आगे बढ़ते हुये दो साल तक नौकरी की , बाद में यह नौकरी समाप्त होजाने के कारण सन्1979 में रोजगार की तलाष में दिल्ली रवाना होगये , दिल्ली में एक ठेकेदार के साथ एक साल तक ईट गारे व लेवर के साथ कार्य करते हुये बापिस नौगॉव आ गये और क्षय चिकित्सालय चौराहे पर चाय-पान की दुकान संचालित की ,इसी समय श्री गनेषी लाल साहू नौगॉव बालोंु ने बैक से ण प्रदान कराकर गुमटी कोआगे बढ़ाया , इसी बीच नगर सेठ श्रीबालचन्द्र जैन के जेष्ठ पुत्र श्री अनिल जैन मुन्ना से परिचित हो जाने के कारण मदद मिली और प्राइवेट स्कूल बुन्देलखण्ड कौचिंग कालेज में हायरसेकेन्ड्री की तैयारी की जिसमें सफलता प्राप्त होने ही सन् 1981 में बापू महाबि़द्यालय में प्रवेष लिया और बी0ए0 की तैयारी की लेकिन महाबि़द्यालय में विवाद हो जाने के कारण षिक्षा से बंचित हो गये , कालेज से बाहर हो जाने के कारण न्यायालय में बैठने केलिए श्री दयाराम मिश्रा अधिबक्ता के पास बैठे , चूॅकि टाइपिंग की परीक्षा भी सन् 1981 में भोपाल से पास कर ली थीं , बार टाइपिस्ट के रूप में जिला जज छतरपुर के यहां से लाईसेन्स प्राप्तहो गया था , इसी बीच पं0गोविन्द कुमार तिवारी अधिबक्ता की षरण प्राप्त हो जाने के कारण उन्हे अच्छी खासी आमदानी हुई और अपनी पढ़ाई पुनः जारी कर दी जिसमें सफलताये प्राप्त होती चली गई । आर्थिक विकास एवं सफलताओं की ष्षुरूआत कड़ी मेहनत व लगन के साथ सर्वसुविधाओं की फली भूति होती चली गई । अपने बचपन के जीवन काल को याद कर आगे चलने वाले संतोष गंगेले आस पास के तीन जिला में अपना सामाजिक स्थान रखते है ।
अपनी कड़ी मेहनत व तपस्या के कारण न्यायालय में बैठते हुये भी छतरपुर से प्रकाषित दैनिक राष्ट्र भ्रमण छतरपुर समाचार पत्र के संपादक श्री सुरेन्द्र कुमार अग्रवाल से भेंट हो जाने के बाद उन्होने नौगॉव का संवाददाता नियुक्त किया लगन व ईमानदारी से पत्रकारिता में इस प्रकार नाम आया कि दो साल में जिला के तमाम पत्रकारों में इस बालक की गिनती हो गई सन् 1983 में मध्य प्रदेष ऑचलिक पत्रकार संघ में जिला प्रचारमंत्री का पद मिला इस संघ के अध्यक्ष श्री राकेष
ष्षुक्ला , सचिव प्रो0सुमितप्रकाष जैन थें अनेक संपादक व संवाददाताओं से भेंट होने के कारण प्रादेषिक समाचार पत्रों में समाचार भेजने का कार्य किया । भोपाल, रीवा,झॉसी, कानपुर के समाचार पत्रों में समाचार भेजते हुये पत्रकारिता मे ख्याती प्राप्त की , जिला पुलिस अधीक्षक श्री बी0एल0 अटल ने उन्हे एक अपराधी बिजय ढीमर को गिरफतार कराने के कारण लिपिक की नौकरी में रखने का बचन दिया लेकिन उन्होने पुलिस की नौकरी से दूर रहे । अपनी समाज सेवा पत्रकारिता में ही रूचि रखी
हमेषा से कॉग्रेस के समर्थन में कार्य किया हैं वह राजनीति में आने केलिए स्व0 श्रीमती इन्द्रिरा गॉधी के बिचारों को महत्व देते आ रहे , उन्होने देष देष व राष्ट्र प्रेम को लेकन नारेबाजी, कबितायें , नाटक किये , कौमी एकता सप्ताह में बढ़ चढ़ कर भाग लिया , देष के अनेक बरिष्ठ नेताओुं के साथ मंच पर भाषण देना एक अच्छी कला हैं । सन्तोष कुमार गंगेले सन् 1982 में बाढ़ पीड़ित व्यक्तियेां की मदद केलिए सांसद श्रीमती बिद्यावती चतुर्वेदी बिधायक श्री यादवेन्द्र सिंह लल्लूराजा साहब के साथ अनेक ग्रामों में गये और जनता की सेवा की में बीए0 करते हुये छतरपुर जिला कलेकटर श्री होषियार सिंह ने इनके कार्यो की सराहना करतेहुये कहा था कि पत्रकारिता से जीवन सफल नही होगा यानी परिवार का संचालन नही होगा ।
उन्होने संतोष कुमारगंगेले से कहा कि तुम कलेकटर कार्यालय आना तुम्हे रोजगार का अवसर प्रदान करेगें, कलेक्टर महोदय ने अपने हस्ताक्षर से अर्जीनवीसी का लाईसेन्स बनाया जिसका नं0 3/83 रहा , इसी प्रकार रोजगार का अवसर प्रदान हुआ, जिला रोजगारकार्यालय छतरपुर में नाम दर्ज होने के कारण तथा टाइपिंग परीक्षा उत्तीर्ण होने के कारण जिला उद्योग कार्यालय छतरपुर से गंगेले टाइपिंग सेन्टर नौगॉव के लिए 25 हजार रूपया ़ऋण लिया और श्री पूरन साहू की दुकान में टाइपिंग सेंटर का संचालन किया यह सेन्टर उत्तम चला और आय का जरिया मिला । जिला जन सम्पर्क अधिकारी श्री जी एल सोनाने जी ने विकास से जोड़ने में काफी मदद की ।
सन् 1984 में नौगॉव में रजिस्ट्रार कार्यालय का ष्षुभारम्भ होने पर यहां दस्तावेज लेखक के रूप में कार्य किया आगे बढ़ते हुये प्रगति के पथ मिला । इसी बीच 21 फरवारी 1985 दिन षिवरात्रि के दिन पं0 गुमान बिहारी दुवे की पुत्र सौ0 का0प्रभादेवी के साथ संस्कार विवाह का हुआ । इसी साल बी0ए0 फाइनल हो जाने के बाद एल0एल0बी0 में प्रवेष लिया लेकिन
समस्याओं व व्यवसाय में व्यस्त होने के कारण बकालत की पढ़ाई आगे नही की जा सकीं, परिवार का दायित्य निर्वाहन करते हुये अपने छोटे भाई श्री राजेन्द्रकुमार गंगेले का साथ में स्टाम्प बेन्टर के रूप में तहसील में साथ में रखा तथा सबसे छोटे भाई श्री सुरेष कुमार गंगेले को टाइपिंग का प्रषिक्षण दिया और बराबर का सम्मान देते हुये भाईयों को तहसील का कार्य सिखाया ।
पत्रकारिता में प्रगति करते हुये नौगॉव ही नही छतरपुर जिला व टीकमगढ़ जिला में चर्चित पत्रकार के रूप में गिने जाने लगे दिनांक 14 जनवरी 1986 को छतरपुर जिला जज एवं सत्र न्यायाधीष महोदय श्री एम0एस0 कुरैषी को आमंत्रित कर नगर पालिका नगर नौगॉव में अध्यक्ष के रूप में अपने साथिओं सहित ष्षपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया , इस ष्षपथ ग्रहण समारोह के बारे में नव भारत भोपाल ने लिखा था कि पहली बार किसी पत्रकार संघ ने जिला जज के समक्ष गोपनीयता एवं कर्तव्य निष्टा की ष्षपथ ग्रहण कर पत्रकारिता को षिखर पर पहुॅचाया । दिनांक 3 अगस्त 1987 को मध्य प्रदेष के मुख्य मंत्री श्री मोती लाल जी बोरा अचानक नौगॉव हेलीकॉपटर से उतरे तो पत्रकार श्री सन्तोष गंगेले ने उनकी सर्किट हाउस नौगॉव में व्यवस्था की तथा नौगॉव थाना प्रभारी डा0 रजनीष को सूचना देकर बताया कि मुख्य मंत्री जी नौगॉव में हैं मुख्यमंत्री जी उस समय संतोष गंगेले के साथ रहे और उन्होने समाज सेवा की सराहना की तथा सिर पर हाथ धर कर आर्षीवाद दिया था कि तुम एक दिन प्रगति करोगें । इस साल प्रदेष कॉग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं सांसद श्री दिग्बिजय सिंह आलीपुरा स्टेट पधारे और श्री मानवेन्द्रसिंह भंवर राजा साहब के निवास पर भोजन करने के बाद उन्होने श्री सन्तोष कुमार गंगेले का एकअच्छे पत्रकार केलिए अपने हस्ताक्षर से प्रषन्नसा पत्र दिया , श्री मानवेन्द्र सिंह जी ने खादी उद्योग के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री तारिक अनवर अली से भी भेंट कराइ्र और अच्छे पत्रकार केलिए सराहना की हैं पूर्व सिचाई मंत्री श्री सत्यबृत चतुर्वेदी जी ने अनेकों बार
श्री सन्तोष गंगेले की सराहना की और जिला कॉग्रेस कमेटी में उच्च स्थान दिया । श्री सन्तोष कुमार गंगेले एक अच्छे बक्ता व मंच का संचालन करने बाले युवा नेता है वह अपनी बात को अपने ढ़ग से करते हैं उनकी वाणी में मधुरता व रस होने के कारण वह हर व्यक्ति के मन में स्थान बनाने बाले लोकप्रिय नेता गिने जाते हैं । उनकी जीवनी का प्रसारण आकाषवाणी से हो चुका है तथा वह अनेक परिचर्चाओं में स्वंय भाग ले चुके है ।
सूचना एवं प्रषारण केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन सिंह ने सन् 1988 में सन्तोष गंगेले को सेवादल कॉग्रेस में अच्छे कार्यकर्ता केलिए प्रमाण पत्र दिया था । इस प्रकार कॉग्रेस कमेटी केलिए अनेक बर्षो से कार्य करते हुये पार्टी की सेवा की तथा समय समय पर दलितों एवं हरिजनों, पिछड़ों वर्ग के लोगों के बीच बीच में जाकर उन्हे सम्मान दिया लेकिन राजनीति में आने केलिए कभी चुनाव में खड़े होने की बात नही की हैं । सन् 1989 में सुश्री उमा भारती ने कॉग्रेस कार्यकर्ताओं पर राजनैतिक प्रकरण दर्ज करायें और परेषान किया । अनेक संर्घर्ष झेलते हुये कभी बदले की भावना से कार्य नही किया और आगे बढ़ते रहने का संकल्प दुहराया । सन् 1990 में एक प्रकरण भाजपा सरकार में दर्ज कराकर दस्तावेज लेखक का लाईसेन्स तक निलंबित करा दिया लेकिन जिला कलेक्टर श्री एम0के0 राउत ने जब इस बालक की कर्तव्य निष्ठा व ईमानदारी को देखा तो उन्होने तत्काल उसकी मदद की और उसका लाईसेन्स बहाल किया हैं ।
प्रकृति प्रकोप के कारण 20 अक्टूवर बर्ष 1993 में चार बच्चों को छोड़कर अचानक धर्मपत्नी का निधन हो गया लेकिन प्रभु कृपा से दो माह के अंदर ही युवा पत्रकार संतोष गंगले ने एक निर्धन व पीड़ित परेषान गरीव परिवार की कन्या रंजना देवी ग्राम झीझन थाना नौगॉव क्षेत्र में दूसरा विवाह सम्पन्न किया । परिवारिक व्यवस्थायें यथावत संचालन के साथ समाज सेवा का रास्ता नही छोड़ा । दूसरी धर्म पत्नी श्रीमती रंजना देवी ने 5 अगस्त 1998 को एक पुत्र रतनदीप को जन्म दिया । पॉचों बच्चों का पालन पोषण परिवार का संचालन समाज के सामाजिक कार्यो में बाधा नही बना । छतरपुर जिला की पत्रकारिता से जुड़े होने के बाद सामाजिक कार्यो को व्यापक गति देते हुऐ क्षेत्रीय आयोजनों में भाग लेकर ख्याती प्राप्त करते रहे । भोपाल के बरिष्ठ पत्रकार श्री लज्जा ष्षंकर हरदेनिया जी के मुख्य अतिथ्यि में एक बुन्देलखण्ड स्तरीय पत्रकार सम्मेलन नौगॉव में कराया जिसमें विधायक श्री मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा ने हर तरह से सहयोग किया । अनेक बर्षो तक तहसील व जिला के पदो पर रहकर कार्य करने वाले युवा पत्रकार ने बर्ष 2011 इस इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़ कर भोपाल से संचालित एमपी मिरर समाचार पत्रिका, बेब पोर्टल के संचालक श्री पवन देवलिया, श्री मनोहर पाल से चर्चा कर छतरपुर जिला की पत्रकारिता में सक्रियता से कदम रखा । उसके बाद इंटरनेट के जरिये भारतीय पत्रकारिता का अध्ययन किया । सन् 1995 में छतरपुर जिला कलेक्टर श्री राधेष्याम जुलानिया जी उन्हे सम्मान के साथ साक्षरता षिक्षा के प्रचार प्रयार के लिए साक्षरता कोरगु्रप में ब्लाक सदस्य मनोनीत किया और आकाषवाणी से इन्टरव्यू प्रसारण कराया ।
भारतीय पत्रकारिता के क्षेत्र में पं0 मदन मोहन मालवीय, ंप0 दीन दयाल उपाध्याय, पं0 महावीर प्रसाद व्दिवेव्दी, श्री अटल बिहारी बाजपेयी, श्री बाल गंगाधर तिलक, श्री माखन लाल चतुर्वेदी, श्री राजाराम मोहन राय जैसे दिग्गज साहित्यकारों के साथ श्री गणेष षंकर विद्यार्थी जी ने सरकारी नौकरी छोड़कर समाजसेवा, राजनीति में भाग लिया तथा साहित्य एवं लेखक के साथ साथ पत्रकारिता में रूचि रखी । गणेष ष्षंकर विद्यार्थी जी ने जब से पत्रकारिता की कलम पकड़ी फिर पीछे मुड़कर नही देखा, उन्होने किसी के साथ पत्रकारिता न करते हुए अपने समाचार पत्र प्रताप को ही जीवन का प्रमुख अंग मान कर पत्रकारिता की । पत्रकारिता के बसीभूत होने के कारण उन्होने अपना जीवन भी समाजसेवा में न्यौछावर कर 25 मार्च 1931 को कानपुर दंगों में ष्षहीद हो गए । उनकी जीवनी का अध्ययन करने के बाद बुन्देलखण्ड के बरिष्ठ पत्रकार संतोष गंगेले ने अपने साथी पत्रकारों के साथ गणेष ष्षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब का गठन किया , उसका पंजीयन कराया । सर्व प्रथम छतरपुर जिला में संगठन का गठन कर दैनिक भोपाल की जान के संपादक श्री विनोद अग्रवाल को अध्यक्ष बनाया । एक भव्य आयोजन श्री आलोक चतुर्वेदी पज्जन भैया के सहयोग से एक विषाल होटल में हुआ जिसमें छतरपुर जिला के 11 सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले समाजसेवी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, अधिकारियों को सम्मानित किया जिसका समाचार जिला के सभी समाचार पत्रों में प्रकाषित हुए । उसके बाद विषाल सम्मान राजगढ़ जिला की तहसील जीरापुर में श्री दिनेष जमीदार एवं श्री माखन विजयवर्गीय जी ने कराया कर संगठन को प्रदेष में नाम दिया । उसके बाद गॉधी भवन भोपाल में 26 अक्टुवर 2014 को किया गया जिसमें राजधानी के ख्याती प्राप्त सौ पत्रकारों ने भाग लिया तथा तीन बरिष्ठ पत्रकार श्री राम भुवन सिंह कुषवाहा, श्री दीपक तिवारी, श्री पवन देवलिया जी ं को सम्मानित किया गया । बर्तमान में यह संगठन 45 जिलों में पहुॅच चुका है तथा संगठन के प्रान्तीय अध्यक्ष संतोष गंगेले इस संगठन के लिए दस से बाहर घंटे प्रतिदिन समय देकर प्रदेष के 25 से 50 पत्रकारों से स्वयं बातचीत करते है । इस संगठन ने प्रदेष के लगभग बारह जिला में जिला स्तरीय सम्मेलन कराते हुऐ संगठन को षिखर तक ले जाने का संकल्प दोहराया है ।
गणेष ष्षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब के संस्थापक प्रदेषाध्यक्ष संतोष गंगेले ने प्रदेष के पत्रकारो के साथ अपने विचार रखते हुए यह तय किया कि प्रत्येक पत्रकार को अपने स्वभाव एवं सम्मान की रक्षा करने के लिए निष्पक्ष पत्रकारिता करना चाहिए, पत्रकार अधिकारी नेता नही जनता की आवाज होता, पत्रकारिता को व्यवसाय बनाने वाले समाजसेवी नही हो सकते है । भारतीय संस्कृति एंव संस्कारों को बचाकर समाज को दिषा देने का कार्य पत्रकार से अच्छा कोई नही कर सकता है । निर्धन, गरीव, अनाथों दवे कुचले पीड़ित परेषान की आवाज पत्रकार होता है, समस्याओं को उजागर करना उन्हे हल कराना सरकार एवं प्रषासन की बात जनता तक पहुॅचाने का कार्य प्रेस के जरिेय ही हो सकता है । इसलिए पत्रकारिता को प्रजातंत्र का रक्षक माना गया है । बर्तमान पत्रकारिता एवं उनसे जुड़े संगठन सेवा भावना के साथ कम ही कार्य कर रहे है ऐसे समय में गणेष ष्षंकर विद्यार्थी जी की जीवन का अध्ययन कर संगठन से जुड़ने वाले प्रजातंत्र के रक्षक एक जन आन्दोलन की तरह इस संगठन में कार्य कर सकते है । स्वार्थी , ब्लेक मेल काला बाजारी करने वाले पत्रकारों को संगठन में कोई स्थान नही दिया जा रहा है । पत्रकार संतोष गंगेले को जो ईष्वरी प्रेरणा हुई जिस कारण समाज के बीच संगठन के साथ है । मध्य प्रदेष के बरिष्ठ संपादक, पत्रकार, ब्यूरो चीफ, स्वतंत्र पत्रकार, साहित्यकार, कवि, समाजसेवी संतोष गंगेले को कर्मवीर महापुरूष की दृष्टि से देखने लगे है । उनकी लोक प्रियता एवं कार्य क्षमता के कारण आज प्रदेष में वह अपने नाम व काम के लिए पहचान बना चुके है । उन्होने अपने जीवन में दो पुस्तके लिखी लेकिन उनका प्रकाषन नही करा सके । एक पुस्तक हम भूल गये अपने दायित्व दूसरी भारतीय संस्कृति का पतन , यह पुस्तके दोनो अप्रकाषित ही रह गई । बर्ष 2007 से महाराजपुर विधान सभा क्षेत्र में बच्चों को बाल सभाओं के माध्यम से षिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, समरसता एवं समाज पर कार्य कर रहे है । कन्याओं के विवाह में परिवार की मर्यादाओं को बचाने श्री राम चरित मानस ग्रन्थ भेंट करते आ रहे है । प्रत्येक आजादी पर्व में जिला के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मान करना कभी नही भूलते है ।
बर्तमान युवा वर्ग केलिए यह बताया जरूरी हो गया है कि श्री सन्तोष कुमार गंगेले ने हमेषा ईमान धर्म को सत्य को साक्षी मान पर भगवान को अपना मित्र व पिता मान कर अकेले संघर्ष किया और हर क्षेत्र में सफलताये हासिल की हैं । उन्होने स्वयं अपनी प्रगति की और अपने परिवार व ग्राम का नाम रोषन किया है आज के युग में नौगॉव व आस पास उनकी प्रगति के चर्चा जगह जगह होती आ रही है । क्षेत्रीय आम जन संतोष गंगेले की कर्मठता व मेहनत के साथ विकास के उदाहरण देने लगे है । आम जन अपने बच्चों को उनकी योग्यता व कार्यो की नजीर देकर कार्य करने केलिए प्रेरणा देते हैं । वह एक कर्तव्य निष्ठ लगनषील व योग्य पत्रकार ही नही योग्य लेखक हैं । उन्होने दो बुन्देलखण्ड स्तर के पत्रकार सम्मेलन कराकर समूचे बुन्देलखण्उ के पत्रकारों को एक मंच पर लाने का पूरा प्रयास किया हैं आज उनकी लेखनी केलिए जिला के पत्रकार उनकी सराहना करने में पीछे नही रहते हे ।
लेखक कौषल किषोर रिछारिया बरिष्ठ पत्रकार

सम्मानित संपादक जी ,आपने मेरे जीवन परिचय को प्रमुख्य स्थान देकर मुझे आगे कार्य करने शक्ति दी है। मैं आपका आभारी हूँ। संतोष गंगेले