विश्व के हर कोने में पितृत्व धर्म की महत्ता एवं गौरव को व्यापक रूप से आदर प्राप्त है l पितृत्व व पिता द्वारा मिलने वाली परवरिश की गरिमा व महत्त्व को सम्मान देने के लिए विश्व के अनेक देशों में पितृत्व दिवस अथवा “फादर्स डे” एक उत्सव के रूप में जून के तीसरे रविवार अथवा वर्ष के किसी ना किसी निश्चित दिवस को पूरी निष्ठा के साथ मनाने का भी चलन है l फादर्स डे जिसको समारोह के रूप में मनाने की शुरुआत पश्चिम वर्जिनिया के फेयरमोंट में 5 जुलाई 1908 को हुई थी l आज यह यूनाइटेड किंगडम (जून के तीसरे रविवार को), संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (जून के तीसरे रविवार को), ऑस्ट्रेलिया (सितम्बर के पहले रविवार को), सिंगापूर (जून के तीसरे रविवार को), न्यूज़ीलैण्ड (सितम्बर के पहले रविवार को), रोमानिया (मई के दूसरे रविवार को), थाईलैंड (5 दिसम्बर को), फिलिपिन्स (जून के तीसरे रविवार को), ताइवान (8 अगस्त को), जापान (जून के तीसरे रविवार को), सेशेल्स (16 जून को), नेपाल (23 अगस्त को) एवं भारत (जून के तीसरे रविवार को) समेत विश्व के कई अन्य देशों में उत्सव के रूप में पूरी गरिमा के साथ मनाया जाता है l
भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश में अनादि काल से पितृत्व धर्म की मर्यादा को सम्मान प्राप्त है l भाद्रपद महीने (अगस्त के अंत या सितम्बर के शुरूआती दिनों ) के कृष्ण पक्ष के पन्द्रह दिन जब सूर्य दक्षिणायन होता है अमावस्या तिथि को हिन्दू पूजा में वृहत्तर रूप से मान्य पितरों को दी जाने वाली पूजा, देखा जाए तो पितृत्व को सम्मान देने का सबसे प्राचीन पर्व प्रतीत होता है l इस लिहाज से पश्चिम के प्रचलित फादर्स डे जैसे उत्सव की उपस्थिति हमारे समाज में काफ़ी पहले से मौजूद है l इन्टरनेट के ज़माने में आज यह समारोह विश्व के क़रीब-क़रीब सभी देशों में पूरे जोश एवं जज्बे के साथ मनाया जाता है l
– कंचन पाठक.
कवियित्री, लेखिका