रक्षा बंधन को मनायें—बहन-बेटी सुरक्षा बंधन एवं व्रदावस्था सुरक्षा कवच बंधन दिवस के रूप में

डा. जे. के. गर्ग
डा. जे. के. गर्ग
किसी ने सच ही कहा है कि “ रिश्ते बनाना ऐसा ही है जैसे मिट्टी पर मिट्टी से लिखना किन्तु रिश्ते निभाना ऐसा है जैसे पानी पर पानी से पानी लिखना।” भारत के अतिरिक्त अन्य देशों यथा विकसित एवं पाश्चात्य देशों में तो रिश्तों के नाम पर सिर्फ अंकल-आंटी जैसे रिश्ते ही जिंदा हैं बाकी सब रिश्ते मर से गए हैं लेकिन भारत में प्रत्येक स्त्री-पुरुष अपने जीवन में कई रिश्तों को बनाते और उन्हें यथाशक्ति निभाते भी हैं यानि माँ-बाप, पति-पत्नी, भाई-बहिन ,दादा-दादी, चाचा-चाची, नाना-नानी, मामा-मामी, भुआ-फूफा, मौसा-मौसी, भांजा-भांजी, भतीजा-भतीजी, पोता-पोती एवं दोहता-दोहती आदि । भारतीयों ने इन सारे रिश्तों के अलावा परम पिता परमात्मा से भी अपना रिश्ता बनाया हुआ है और वो है ”त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव,त्वमेव विध्याद्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वं ममः देवदेवा।“
इन सभी रिश्तों में से भाई-बहनका रिश्ता एक पवित्र एवं अनूठा रिश्ता है क्योंकि भाई-बहिन का रिश्ता बनाया नहीं जाता बल्कि यह तो जन्म से ही बना हुआ होता है। भाई-बहिन का रिश्ता खून का रिश्ता होता है जबकि अन्य रिश्ते परिवार या समाज के जरिये निर्मित होते हैं | “खून” का रिश्ता “नाखून” जैसा होता है। जिस प्रकार नाखून को हम अपनी चमड़ी से अलग नहीं कर सकते हैं उसी प्रकारभाई-बहन के प्यार को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है ।
पश्चिमी देशों में वैसे तो रक्षाबंधन की तरह का कोई त्योहार नहीं है जिसकी जड़ें उन देशों की प्राचीन संस्कृति से जुड़ी हुई हों किन्तु इन मुल्कों में भी भाई बहन के रिश्तों पर आधारित ‘;ब्रदर्स एंड सिस्टर्स डे’;(मार्च माह के अंतिम शनिवार को)तथा’;नेशनल सिब्लिंग डे’;(10अप्रेल को ) मनाए जाते हैं। वैसे तो इन दोनों दिवसों की शुरूआत दिवंगत भाई बहनों की याद के तौर पर की गई थी किन्तु अब इनका स्वरूप बहुत कुछ बदल गया है। पश्चिमी देशों में इन दोनों दिवसों पर भाई बहन साथ साथ रहते हैं या साथ साथ घूमने फिरने जाते हैं। इस दिन वे उपहारों का आदान प्रदान भी करते हैं। जो भाई बहन इस दिन किसी कारण से नहीं मिल पाते हैं वे कार्ड और बधाई संदेश के जरिए एक दूसरे से अपने सम्बन्धों को मजबूत एवं स्नेहमय बनाने का प्रयास करते हैं।

रक्षा बंधन यानि नारी सुरक्षा बंधनदिवस (WOMEN SECURITY DAY)
सत्य तो यही है कि बहिन अपने भाई के हर सुख-दुःख में हमेशा मददगार होती है। बहिन अपनी स्नेहमयी सद्भावना से भाई के मस्तिष्क में विद्धयुत की प्रकाशमयी, स्फूर्तिदायक और प्रेरणादायक तरगें उत्पन्न करती है जिसके निर्मल प्रकाश से भाई की कार्य क्षमता कई गुणा बढ़ जाती है एवं जिससे भाई के ह्रदय में असीम ऊर्जा संचारित होती है | किसी भी मुसीबत में बहिन अपने भाई लिये एक “स्ट्रांग पिलर” बन कर खड़ी रहती है और भाई को निराशा के गर्त में डूबने से बचाती है जिसके फलस्वरूप भाई को अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलताएँ भी मिलती है। वास्तव में राखी का धागा एक “स्नेहबंधन” है जो समय-समय पर भाई के मन को को संबल प्रदान करता है।राखी का धागा भाई के लिये एकमौन संदेश होता है कि “भैयाआज तेरी इस कलाई पर इस आशा से यह राखी बांध रही हूं कि तेरे यह बाजू अपनी इस बहन की लाज की रक्षा करने में सदा समर्थ हो”।
पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश के विभिन्न भागों में बलात्कार, अपहरण, यौनाचार एवं युवतियों से अमानवीय व्यवाहर की ह्रदय विदारक घटनायें लगभग रोज घटित हो रही है जो निसंदेह हमारी गौरवमयी सांस्कृतिक परम्पराओं के विपरीत होने के साथ हम भारतीयों के माथे का कलंक बनती जा रही है | ऐसा लगता है कि आज के इस माहौल में बहिनें यहाँ तक कि अबोध बालिकायें भी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं | आज के तथा कथित सभ्य समाज के अधिकांश माता-पिता अपनी बेटियों की सुरक्षा और अस्मिता के लिये चिंतित रहते हैं | ऐसी अवस्थाओं में हर एक के मन के भीतर प्रश्न उठता है कि” क्या ऐसे वीभत्स वातावरण में हमारी बहिनें एवं बेटियां सुरक्षित हैं?“ ?दुर्भाग्य से इनसभी प्रश्नों का उत्तर ना ही है।

आईये रक्षा बंधन को मनायें—बहन-बेटी सुरक्षा बंधन और व्रदावस्था सुरक्षा कवच बंधन दिवस के रूप में:
समाज में व्याप्त नारी की असहजता एवं असुरक्षा को देखते हुए क्या यह तर्क संगत नहीं होगा कि राखी के पावन उत्सव पर बहन जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे तो वह अपने भाई से यह शपथ और वचन लेकर राखी बांधे कि “ भैया, जैसे आप मुझे पवित्र और स्नेहपूर्ण दृष्टि से देखते हैं एवं मेरी रक्षा का संकल्प लेते हैंवैसे ही आप इस राखी को मुझ से बंधवाते समय अपने मन में यह प्रतिज्ञा करो कि आप केवल मेरी ही नहीं किन्तु भारत की प्रत्येक नारी एवं युवती को बहन की तरह निर्मल,पवित्र और स्नेह पूर्ण दृष्टि से ही देखोगे तथा हर माता व बहन की लाज एवं अस्मिता की रक्षा भी करोगे।“ जब हर बहन अपने भाई से ऐसी ही प्रतिज्ञा करवाएगीतो अवश्य ही वो समय आयेगा जब देश की हर माता-बहनें एवं बेटियां सुरक्षित रहेगीं जिसके फलस्वरूप भविष्य मेंअपहरण, यौनाचार एवं युवतियों से अमानवीय व्यवाहर की ह्रदय विदारक दुखद घटनायें घटित नहीं होंगी ।
इसी परिप्रेक्ष्य में क्या यह उचित नहीं होगा कि भारत सरकार ने जिस प्रकार योग के प्रसार एवं प्रचार के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिये सराहनीय प्रयास किए हैं, और पूर्ववर्ती सरकार ने भी “अहिंसा (NON VIOLENCE DAY ) दिवस सयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने हेतु सफलता प्राप्त की थी, उसी सिलसिले को जारी रखते हुए भारत सरकार नारी की अस्मिता और सुरक्षा हेतु प्रति वर्ष अगस्त मास की किसी निश्चित तारीख को“ नारी सुरक्षा दिवस “अथवा“WOMEN SECURITY DAY” आयोजित करवाने के लिये भी सतत प्रयास करे! (स्मरणीय है कि हमारे देश में रक्षा बंधन का पर्व साधारणतया अगस्त माह में ही मनाया जाता है ) |

आईये रक्षा बंधन को मनायें व्रदावस्था सुरक्षा कवच बंधन दिवस के रूप में:
भौतिकतावाद के वर्तमान समय में जबहम बुजुर्ग माताओं-पिताओं को अपना शेष जीवन जीने के लिये वृ्द्ध आश्रम जाते हुए देखते हैं तो उस समय दुःख और विषाद उत्पन्न होता है एवं ह्रदय कराह उठता है | इस समस्या का समाधान करने और माता-पिता के बुढ़ापे को सुखद बनाने हेतु हम रक्षा बंधन के पर्व का बेहतरीन तरीके से उपयोग कर सकते हैं— रक्षा बंधन के दिन प्रत्येक पुत्र-पुत्री अपने अपने माता-पिता की कलाई पर राखी बांध कर यह शपथ लें कि वें अपने माता पिता की सभी तरह से देख भाल करेगें, उनकी समस्त सुख सुविधाओं का ख्याल रखेंगे एवं उनके प्रति हर प्रकार के दायित्वों का निर्वाह निष्ठा पूर्वक करते हुए उनकी सेवा सुश्रुषा करेगें जिससे उनका शेष जीवन निर्विघ्न एवं सुखद बनें |
अतः आइये ! इस रक्षाबन्धन के पर्व पर राष्ट्र रक्षा का संकल्प करें।सभी भारतीयों को एक दूसरे से रक्षा सूत्र में बांधे एवं राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्र कल्याण हेतु कार्य करने का सकंल्प भी करें |
उपरोक्त उपाय एवं सुझावों पर हम सभी गम्भीरता से मनन करें (आप अपने स्तर पर इनमें संशोधन-परिवर्तन कर सकते हैं) और यदि आप इन विचारों से सहमति रखते हैं तो आईये आज ही इसी क्षण से बहन-बेटियां की सुरक्षा और अस्मिता एवं हमारे वर्द्ध माता-पिता के खुशहाल-स्वस्थ जीवन हेतु जन जागरण सामाजिक चेतना अभियान का शुभारम्भ कर इस हेतु प्रकाश दीप जलाकर हमारे समाज में विध्यमान अंधकार-कालिमा को नष्ट करने के यज्ञ को सफल करें | इन भावनाओं को अपने स्तर पर फेसबुक,ट्विटर,सोशल मिडीया, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम, लोकल चेनल्स, स्वयं सेवी संस्थाओं (NGO) स्कूलों, कॉलेजों, धार्मिक आयोजनों, सामाजिक आयोजनों पर प्रचारित और प्रसारित करें | इस संदेश का ऑडियो बनाये, वीडियो बनाकर यूटूयुब पर अपलोड करें, पारस्परिक वार्तालाप करें | स्थानीय प्रशासन से सहयोग लें |राज्य सरकारों से अनुरोध करें कि वे सभी शिक्षण संस्थाओं में परिपत्र भेज कर इस वर्ष 29 अगस्त को मनाये जाने वाले रक्षा बंधन पर्व पर बहिनों दुवारा अपने भाईयों से प्रतिज्ञा पत्र भरवाएं |
डा. जे. के. गर्ग

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सन्दर्भ—मेरी डायरी,रांची एक्सप्रेस

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