प्राचीन काल से ही मनुष्य बहुत ही महत्वाकांक्षी है , वह भूत के अनुभवों और वर्तमान की वास्तविकताओं को लेकर तो काम करता ही आया है , भविष्य के बारे में भी अनुमान लगाने की उसकी प्रवृत्ति रही है। प्राचीन काल से ही एक आसमान से उन्हें बहुत सारी सूचनाएं मिल जाती थी , सूर्योदय और सूर्यास्त की , अमावस्या और पूर्णिमा की तथा ऋतु परिवर्तन की भी। आसमान में होनेवाले हवा के रूख और बादलों के जमावडे को देखकर ही बारिश का अनुमान वे लगाते थे , यहां तक कि आसमान में फैले धूल तूफान का और धुआं आग के फैलने की जानकारी देता था। इस तरह से भविष्य को कुछ दूर तक देख पाने में मनुष्य आसमान पर निर्भर होता गया और आसमान को देखने की प्रवृत्ति भी विकसित हुई।
कालांतर में ग्रहों नक्षत्रो के पृथ्वी पर पडनेवाले प्रभाव को देखते हुए ‘ज्योतिष’ जैसे विषय का विकास किया गया। घटनाओं का ग्रहों से तालमेल होता है , इस दिशा में शोध की अनगिनत संभावनाएं हो सकती है , पर वैदिक ज्ञान ही इस मामले में पर्याप्त है , ऐसा नहीं माना जा सकता। क्यूंकि सैद्धांतिक ज्ञान भले ही सैकडों वर्ष पुरानी पुस्तकों में लिखी हों , पर व्यावहारिक ज्ञान हमेशा देश , काल और परिस्थिति के अनुरूप होता है। इसलिए आज के प्रश्नों का जबाब हम वैदिक कालीन ग्रंथ में नहीं तलाश सकते। इसके लिए हमें नए सिरे से शोध की आवश्यकता है ही , यही कारण है कि जब जब ज्योतिष को साबित करने की बारी आती है , तो इसकी कई कमजोरियां उजागर हो जाती हैं , हम सफल नहीं हो पाते। लेकिन इतना तो अवश्य तय है कि भविष्य को जानने और समझने की एकमात्र विधा ज्योतिष ही है , इसलिए किसी भी काल में इसका महत्व कम नहीं आंका जा सकता।
इसके महत्व को देखते हुए ही हर क्षेत्र के लोगों ने इस विषय में घुसपैठ करने की कोशिश की है , कर्मकांडी , आयुर्वेदाचार्य या गणितज्ञ को तो छोड ही दें , जादूगरों और तांत्रिक ने भी इस क्षेत्र में प्रवेश की पूरी कोशिश की। यज्ञ , हवन , पूजा पाठ आदि के लिए विधि विधान की जो बातें हैं , उनकी जानकारी कर्मकांडी पंडितों को बहुत अच्छी तरह होती है , पर वैसे सभी पंडित एक अच्छे ज्योतिषी नहीं हो सकते। इसी प्रकार गणित जानने वाला का ज्योतिष से कोई संबंध नहीं होता। आयुर्वेदाचार्य भले ही कुछ बीमारियों का ज्योतिष से संबंध बनाकर ज्योतिष में एक पाठ जोड दें , पर उनको एक सफल ज्योतिषी मानने में बडी बाधाएं आएंगी। जादूगर और तांत्रिक की कला और माया से भी ज्योतिष को कोई मतलब नहीं ।
पर इस दिखावटी दुनिया में कुछ गणितज्ञ अपने गणित की गति से , कुछ जादूगर अपने जादू से , कुछ तांत्रिक अपने तंत्र मंत्र से तो कुछ कर्मकांडी अचूक कर्मकांडों से लोगों को भ्रमित कर ज्योतिष के क्षेत्र में भी अपना सिक्का चलाना चाहते हैं। इनके क्रियाकलापों के कारण आम जनता ‘ज्योतिष’ जैसे पवित्र विषय का सटीक मतलब नहीं समझ पाती। इसके साथ साथ सदियों से चले आ रहे जन किंवदंतियों को भी ज्योतिष में भी जोड दिया गया है। सबका घालमेल होने से ही ज्योतिष के एक सही स्वरूप की कल्पना कर पाने में लोग असमर्थ है। लोगों को यह ज्ञात नहीं हो पाता कि ज्योतिष भविष्य के बारे में अनुमान में और समय समय पर निर्णय लेने में उनकी बहुत मदद कर सकता है , और यही समाज में ज्योतिष के महत्व को कम करने की मूल वजह भी है।