होलिका दहन मुहूर्त

holi-अंजु आनंद- होलिका दहन के मुहूर्त के लिए भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये। ऐसा धर्म सिंधु में निहित है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर और देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है।
होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महत्त्वपूर्ण और आवश्यक है। यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर न की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वञ्चित होना पड़ेगा परन्तु होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है।
होलिका दहन मुहूर्त 23 मार्च 2016 = 17:00 से 17:30
भद्रा पूँछ = 22 मार्च को 23:45 से 01:04 (23 मार्च, 2016)
भद्रा मुख = 01:04 से 03:15 (23 मार्च 2016)
रंग वाली होली 24, मार्च को
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ = 22/मार्च/2016 को 15:12 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त = 23/मार्च/2016 को 17:30 बजे
इस बार होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को ही होलिका दहन उचित है। इस दौरान भद्रा से बचना चाहिए। वहीं कुछ का कहना है कि यदि भद्रा है तो भद्रा का मुख त्यागकर होलिका दहन किया जा सकता है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रदोषकाल में दहन किया जाता है। प्रतिपदा, चतुर्दशी और भद्राकाल में होली दहन के लिए सख्त मनाही है। फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रा रहित प्रदोषकाल में होली दहन को श्रेष्ठ माना गया है। इस बार पूर्णिमा 22 और 23 मार्च दो दिन पड़ रही है पूर्णिमा में भद्रा का साया होने से यह समय होलिका दहन के लिए शुभ नहीं समझा जाता, भद्रा 23मार्च 2016 को सुबह 03 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी ।
“सार्धयाम त्रयम् वा स्यात द्वितीये दिवसे यदा
प्रतिपद वर्धमाना तू तदा सा होलिका स्मृता ||”
अर्थात यदि फाल्गुन पूर्णिमा साढ़े तीन याम या इस से अधिक काल को व्याप्त करे और तदुत्तरवर्ती प्रतिपदा वृद्धिगामिनी हो तो वहां होलिका दहन सायाह्न व्यापिनी पूर्णिमा में करना चाहिए | हाँ प्रतिपदा में होलिका दहन को सभी शास्त्रकारों ने एकस्वरेण कुफलकारक कहा है

अंजु आनंद
अंजु आनंद
ज्योतिषचार्या अंजु आनंद के अनुसार महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित भविष्योत्तर के वाक्य को निर्णयसिन्धु समयप्रकाश तिथिनिर्णय धर्मसिन्धु एवं पुरुषार्थ चिंतामणि आदि सभी ग्रंथों ने निर्विवाद माना है
यदि कोई भी तिथि सार्धत्रियां व्यापिनी हो तो वह अनिवार्यतः सायह्न व्यापिनी अवश्य होती है सायह्न को गौण प्रदोष माना गया है जिस से सार्धत्रियामा-पूर्णिमा सायह्न व्यापिनी होने से प्रदोष व्यापिनी ही मानी जाएगी अतः वहां होलिका दहन शास्त्र सम्मत है
परुषार्थ चिंतामणि के अनुसार “यदा तु द्वितीये-दिने सार्धयामत्रयम् पूर्णिमा, प्रतिपदश्च वृद्धि तदा पूर्णिमान्त्यभागे सायह्नकाल एव दीपनीय होलिका | ”
ज्योतिषचार्या अंजु आनंद के अनुसार सारांश ये है की इस वर्ष संवत 2072 में होलिका दहन फाल्गुन शुकल पूर्णिमा बुधवार तदानुसार 23 मार्च 2016 को पूर्णिमा के अंतिम 30 मिनटों में यानी 17:00 से 17:30 तक के काल ही करना उचित होगा क्योंकि इस समय भारत में सर्वत्र सायह्न काल होगा
इस बार होली के दिन देव गुरु बृहस्पति राहुदेव के साथ सिंह राशि में विराजमान हैं, लेकिन देवगुरु बृहस्पति वक्री चल रहे हैं | इससे यह वर्ष आम जनता के लिए आम रहेगा। साथ ही यह पूर्णिमा अपने साथ चन्द्र ग्रहण ले के आ रही है सूर्य और चन्द्र दोनों ही कमजोर होने के कारण जनसाधारण में आपसी मतभेद बढ़ेंगे अप्रिय घटना होने की सम्भावना बनती है
होलिका दहन में आहुतियाँ
होलिका दहन में आहुतियाँ देना बहुत ही जरुरी माना गया है इसलिए होलिका दहन में आहुतियाँ जरुर दें| होलिका में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर. आदि की आहुति दी जाती है|
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम:

होली के दिन कुछ खास सावधानी:
तंत्र शास्त्र के अनुसार होली के दिन कुछ खास उपाय करने से मनचाहा काम हो जाता है।
लेकिन कुछ लोग इस रात्रि का उपयोग तंत्र शक्ति के अनुचित प्रयोग के लिए भी करते हैं उस से बचने के लिए कुछ सावधानियां आवश्यक हैं | होलिका दहन की रात्रि तंत्र साधना की रात्रि होने के कारण इस रात्रि आपको कुछ सावधानियां रखनी चाहियें
1. सफेद खाद्य पदार्थो के सेवन से बचें : होलिका दहन वाले दिन टोने-टोटके के लिए सफेद खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है। इसलिए इस दिन सफेद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिये।
2. सिर को ढक कर रखें : उतार और टोटके का प्रयोग सिर पर जल्दी होता है, इसलिए सिर को टोपी आदि से ढके रहें।
3. कपड़ों का विशेष ध्यान रखें : टोने-टोटके में व्यक्ति के कपड़ों का प्रयोग किया जाता है, इसलिए अपने कपड़ों का ध्यान रखें।
4. विशेष : होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े में बांधकर काले तिल रखें। रात को जलती होली में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा।
ज्योतिषचार्या अंजु आनंद

error: Content is protected !!