माँ से सुविधा के लिये जुदा होना पड़े, उसमें कोई हर्ज नहीं है किन्तु स्वभाव के कारण, जुदा होना पड़े
वो तो सबसे बड़ी शर्म है।
माँ! पहले आँसू आते थे, और तू याद आती थी। आज तू याद आती है, और आँसू आते हैं।।
बचपन के आठ साल तुझे, अंगुली पकड़कर जो माँ—बाप, स्कूल ले जाते थे, उस माँ—बाप को, बुढ़ापे के आठ साल, सहारा बनकर मन्दिर ले जाना…..शायद थोड़ा सा तेरा कर्ज, थोड़ा सा तेरा फर्ज पूरा होगा।
माँ — बाप को सोने से न मढ़ो, चलेगा। हीरे से न जड़ो, तो चलेगा।पर उसका जिगर जले और अंतर आँसू बहाये,
वो कैसे चलेगा?
जिस दिन तुम्हारे कारण माँ— बाप की आँख में आँसू आते हैं, याद रखना …….
उस दिन तुम्हारा किया सारा धर्म आँसू में बह जाता है।
पत्नी पसंद से मिल सकती है, माँ पुण्य से ही मिलती है। पसंद से मिलने वाली के लिये, पुण्य से मिलने वाली को मत ठुकराना।
माँ की गोद में सातों बेटे यूं ही बड़े हो जाते हैं (मगर) सातों बेटे अपने महल में माँ को नहीं रख पाते हैं कपूत जिसे माँ की परवाह नहीं है, नरक में भी उसके लिये जगह नहीं है माँ का अनादर न माफ करेगा, माँ का आशीष जो पायेगा वो सीधा स्वर्ग में जायेगा…
गर्व ना कर तू धन का ओ पगले, गाड़ी ये बंगले यहीं तो रहेंगे माता—पिता की ले ले दुआई, जीवन बनेगा तेरा सुखदाई जिसने नहीं ली माँ की दुआयें, हरदम वो पछतायेगा जो माँ की ना सुनेगा…..जो माँ की ना सुनेगा
याद रखना माँ को जानने वाला ही महात्मा को जान सकता है।
माँ को जानने वाला ही परमात्मा को जान सकता है।
किसी ने मां के कंधें परसर रख के पूछा मां कब तक अपने कंधों पर सोने दोगी ? मां ने कहा जब तक लोग मुझे अपने कंधें पर न उठा लें |………..अज्ञात
मत कहिये मेरे साथ रहती है मां, कहिये कि मां के साथ रहते हैं हम |
मां भगवान से भेजा गया एक फरिस्ता है———————-अज्ञात
भगवान्सभीजगहनहींहोसकतेइसलिए उसनेमां बनायीं .———रुडयार्ड किपलिंग
मैंजोकुछभीहूँयाहोनेकीआशारखताहूँउसकाश्रेयमेरीमाँकोजाताहै .–अब्राहम लिंकन
मातृत्व : साराप्रेमवहीँसेआरम्भऔरअंतहोताहै |
कलाकीदुनियामेंऐसाकुछभीनहींहैजैसाकीउन लोरियों मेंहोताथाजोमांगातीथीं .-बिली संडे
यकीननमेरी माँमेरीचट्टान है————–अज्ञात .
सकलंकर्ता एवम् प्रस्तुतिकरण—जे.के. गर्ग
सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने, संतों के प्रवचन,गूगलसर्च एवम् युट्यूब आदि
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