जीएसटी से जुड़ा सारा फंडा…

parliamentराज्यसभा में बुधवार को बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (GST) से जुड़े ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर देश में नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए रास्ता खोल दिया गया। इससे पहले सरकार ने कांग्रेस के एक प्रतिशत के अतिरिक्त कर को वापस लेने की मांग को मान लिया और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा दिलाया कि GST के तहत कर दर को यथासंभव नीचे रखा जाएगा। राज्यसभा में वोटिंग के दौरान GST बिल के विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। GST के पक्ष में राज्यसभा के 203 सदस्यों ने मत दिया। हालांकि तमिलनाडु में सत्तारूढ़ AIADMK ने राज्यसभा में GST बिल पर मतविभाजन से खुद को अलग रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी पार्टियों के नेताओं और सदस्यों को GST बिल के पारित होने पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि एकीकृत राष्ट्रीय बाजार के लिए हम साथ मिलकर काम करते रहेंगे। उन्होंने GST बिल के पारित होने को सहकारी संघवाद का सबसे अच्छा उदाहरण बताया है। जेटली ने बुधवार को 122वां संविधान संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि GST दर को यथासंभव नीचे रखा जाए। निश्चित तौर पर यह आज की दर से नीचे होगा।
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वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने शून्य के मुकाबले 203 मतों से विधेयक को पारित कर दिया। साथ ही इस विधेयक पर लाए गए विपक्ष के संशोधनों को खारिज कर दिया गया। यह विधेयक लोकसभा में पहले पारित हो चुका है। किन्तु चूंकि सरकार की ओर से इसमें संशोधन लाए गए हैं, इसलिए अब संशोधित विधेयक को लोकसभा की मंजूरी के लिए फिर भेजा जाएगा।
राज्यसभा में विधेयक पर मतदान से पहले सरकार के जवाब से असंतोष जताते हुए AIADMK ने सदन से वॉकआउट किया। कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर अपने विरोध को तब छोड़ा जब सरकार ने एक प्रतिशत के विनिर्माण कर को हटा लेने की उसकी मांग को मान लिया। साथ ही इसमें इस बात का स्पष्ट रुप से उल्लेख किया गया है कि राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की पांच साल तक की भरपाई की जाएगी। इससे पहले GST बिल पर सरकार का पक्ष रखते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘भारत राज्यों का कोई संगठन नहीं है बल्कि राज्यों का संघ है। GST के लिए राज्य अपनी शक्तियां नहीं छोड़ रहे हैं बल्कि वे अधिकारों के इस्तेमाल का हिस्सा बनने जा रहे हैं। केंद्र और राज्य एक साथ बैठेंगे और दोनों के लिए एक जैसा टैक्स ढांचा होगा।’
GST पर कांग्रेस के शुरुआती मसौदे पर जेटली ने कहा, ‘अगर हमने कांग्रेस का GST वर्जन आज सदन के पटल पर रखा होता तो एक भी राज्य इस पर दस्तखत के लिए तैयार नहीं होता। 2011 के कानून में यह लिखा था कि सहमति के आधार पर निर्णय लेंगे। सहमति का क्या मतलब था, इस पर कुछ नहीं कहा गया था। यह आम सहमति होती या बहुमत की राय, यह तय नहीं था। 2011 के मसौदे में राज्यों के लिए मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं था।’
राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को GST से संबंधित 122वां संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी GST विचार का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन UPA सरकार ने साल 2011 से साल 2014 के बीच GST विधेयक को पारित कराने का प्रयास किया किन्तु उस समय की मुख्य विपक्षी पार्टी का सहयोग न मिल पाने के कारण यह विधेयक पारित न हो सका।
तब से है अटका
गुड्स ऐंड सविर्सेज टैक्स व्यवस्था यानी जीएसटी को आजादी के बाद से टैक्स क्षेत्र का सबसे बड़ा रिफॉर्म माना जा रहा है। इसकी चर्चा सबसे पहले 2007-08 का बजट पेश करते समय उस समय के फाइनैंस मिनिस्टर पी चिदंबरम ने की थी। उन्होंने इसे लागू करने के लिए अप्रैल 2010 का समय तय किया था। लेकिन कारोबारी समुदाय के विरोध और राज्यों की असहमति के कारण टलता हुआ यह अब भी हकीकत की जमीन पर उतरने की बाट जोह रहा है। उम्मीद है कि राज्यसभा से संशोधन विधेयक पारित होने के बाद इस जीएसटी लागू करने की दिशा में काम आसान हो जाएगा। जीएसटी एक ऐसा टैक्स है, जो राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी सामान या सेवा की मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री और इस्तेमाल पर लगाया जाता है। इस सिस्टम के लागू होने के बाद चुंगी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), राज्य स्तर के सेल्स टैक्स या वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फी, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, सामान के ट्रांसपोटेर्शन पर लगने वाले टैक्स इत्यादि खत्म हो जाएंगे।
इस व्यवस्था में गुड्स और सविर्सेज की खरीद पर अदा किए गए जीएसटी को उनकी सप्लाई के वक्त दिए जाने वाले जीएसटी के मुकाबले अजस्ट कर दिया जाता है। हालांकि यह टैक्स आखिर में कन्जयूमर को देना होता है क्योंकि वह सप्लाई चेन में खड़ा आखिरी शख्स होता है। मिसाल के तौर पर, अगर दिल्ली का कोई मैन्युफैक्चरर 1 करोड़ रुपये का सामान दिल्ली के ही किसी डिस्ट्रीब्यूटर को बेचता है तो 18 फीसदी जीएसटी (काल्पनिक) के लिहाज से उसे 18 लाख रुपये सरकार को अदा करने होंगे। लेकिन अगर उस मैन्युफैक्चरर को 1 करोड़ के सामान का इनपुट कॉस्ट 60 लाख रुपये पड़ा हो तो उसने पहले ही टैक्स के तौर पर 10.8 लाख रुपये चुका दिए हैं।
ऐसे में डिस्ट्रीब्यूटर को बिक्री के बाद उसे केवल 7.20 लाख (18-10.80) रुपये ही अदा करने होंगे। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। क्योंकि जीएसटी में सेवाएं भी शामिल हैं, तो उसने मैन्युफैक्चरिंग में जो बिजली खर्च की है और उस पर सर्विस टैक्स के रूप में जीएसटी का जो भुगतान किया है, वेयरहाउस के इस्तेमाल का सविर्स टैक्स दिया है और जो दूसरी सविर्सेज के लिए टैक्स दिए हैं, वे सब भी इनपुट टैक्स क्रेडिट के तौर पर उसकी अंतिम देनदारी में से घटेंगे। यह प्रक्रिया फिर डिस्ट्रीब्यूटर से डीलर, डीलर से रीटेलर और रीटेलर से कन्जयूमर तक दोहराई जाएगी।
जीएसटी के फायदे: जीएसटी मौजूदा टैक्स ढांचे की तरह कई जगहों पर न लग कर सिर्फ डेस्टिनेशन पॉइंट पर लगेगा। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक किसी सामान पर फैक्ट्री से निकलते समय टैक्स लगता है और फिर रीटेल पॉइंट पर भी जब वह बिकता है, तो वहां भी उस पर टैक्स जोड़ा जाता है। जानकारों का मानना है कि टैक्सेशन के नए सिस्टम से जहां भ्रष्टाचार में कमी आएगी, वहीं लालफीताशाही भी कम होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
सरकार को फायदे: जीएसटी के तहत टैक्स स्ट्रक्चर आसान होगा और टैक्स बेस बढ़ेगा। इसके दायरे से बहुत कम सामान और सेवाएं बच पाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद एक्सपोर्ट, रोजगार और आर्थिक विकास में जो बढ़ोतरी होगी, उससे देश को सालाना अरबों रुपये की आमदनी होगी।
आम आदमी को फायदे: जीएसटी सिस्टम में केंद्र और राज्यों, दोनों के टैक्स सिर्फ बिक्री के समय वसूले जाएंगे। साथ ही ये दोनों ही टैक्स मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट के आधार पर तय होंगे। इससे सामान और सेवाओं के दाम कम होंगे और आम कन्जयूमर को फायदा होगा।
कंपनियों को फायदे: गुड्स और सविर्सेज के दाम कम होने से उनकी खपत बढ़ेगी। इससे कंपनियों का प्रॉफिट बढ़ेगा। इसके अलावा कंपनियों पर टैक्स का औसत बोझ कम होगा। टैक्स सिर्फ बिक्री के पॉइंट पर लगने से प्रॉडक्शन कॉस्ट कम होगी। इससे एक्सपोर्ट मार्केट में कंपनियों की प्रतिस्पर्द्धी क्षमता बढ़ेगी।
नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकनॉमिक रिसर्च के मुकाबिक जीएसटी लागू होने से…
1. इकनॉमिक ग्रोथ में 0.9 से लेकर 1.7 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
2. एक्सपोर्ट में 3.2 से 6.3 फीसदी तक की बढ़ोतरी होगी।
3. इंपोर्ट में 2.4 से 4.7 फीसदी तक की बढ़ोतरी होगी।
जीएसटी का मॉडल
1. भारत में प्रस्तावित जीएसटी सिस्टम ड्युअल होगा। इसमें किसी भी सामान की टैक्सेबल वैल्यू पर सेंट्रल गुड्स ऐंड सविर्सेज टैक्स (सीजीएसटी) और स्टेट गुड्स ऐंड सविर्सेज टैक्स (एसजीएसटी) लागू होंगे। साथ ही इसमें सेवाएं और सामान में टैक्स स्लैब के लिहाज से कोई फर्क नहीं किया जाएगा।
2. सेंट्रल जीएसटी में दिए गए टैक्स को सिर्फ सेंट्रल जीएसटी के लिए ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) किया जा सकेगा। उसी तरह स्टेट जीएसटी में दिए गए टैक्स को सिर्फ स्टेट जीएसटी के लिए ही इनपुट टैक्स क्रेडिट किया जा सकेगा। सीजीएसटी और एसजीएसटी के बीच आईटीसी को अदल-बदल कर इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। (आईटीसी उस व्यवस्था को कहते हैं, जिसमें किसी प्रॉडक्ट की खरीद के समय दिए गए टैक्स को उसे बेचते समय दिए गए टैक्स में से घटा दिया जाता है, ताकि टैक्स भुगतान के दोहराव को खत्म किया जा सके।)
3. हर टैक्सपेयर को पैन लिंक्ड टैक्सपेयर आइडेंटिफिकेशन नंबर जारी किया जाएगा, जिसमें 13 या 15 अंक होंगे। उसके जरिए टैक्सपेयर को सेंट्रल और स्टेट जीएसटी अधिकारियों के पास तय अवधि में रिटर्न दाखिल करते रहना होगा। आईडी नंबर और पैन के आपस में जुड़े होने से टैक्स चोरी को रोकने में मदद मिलेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
4. हर ट्रांजैक्शन में सेंट्रल जीएसटी और स्टेट जीएसटी के हिस्से होंगे और वे एक ही कीमत पर लगेंगे। एसजीएसटी सिर्फ तभी लगेगा जब सप्लायर और जिसे सप्लाई किया जाए, दोनों एक ही राज्य में स्थित होंगे।
जीएसटी की न्यूनतम सीमा: हालांकि, इस पर अंतिम फैसला होना अभी बाकी है, लेकिन ऐसा अनुमान है कि जीएसटी के दायरे में आने के लिए ग्रॉस सालाना टर्नओवर कम-से-कम 10 लाख रुपये होगा। यह टर्नओवर गुड्स और सविर्सेज को मिलाकर होगा और पूरे देश में लागू होगा। अगर कोई ट्रांजैक्शन एक राज्य के भीतर ही हो, तो उस पर सिर्फ एसजीएसटी लगेगा। हालांकि, इस पर केंद्र और राज्य सरकारों पर कई बार बातचीत हो चुकी है। सरकार राज्यसभा में इसे क्लियर कर सकती है।
टैक्स दरों पर असर: हालांकि अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन अनुमान है कि पहले साल में जीएसटी दरें अधिकतम 18 फीसदी के लगभग होंगी। बाद में धीरे-धीरे इसमें कटौती की जाएगी। फिलहाल सविर्सेज पर 14 फीसदी की दर से टैक्स लगता है, जबकि ज्यादातर गुड्स पर कुल इनडायरेक्ट टैक्स 20 फीसदी लगता है यानी टैक्स दरें कुल मिलाकर कम ही होंगी। जीएसटी के रेट तय होने के बाद ही केंद्र और राज्य सीजीएसटी और एसजीएसटी की दरों का फैसला करेंगे।
जीएसटी के दायरे से बाहर: अल्कोहल, तंबाकू प्रॉडक्ट्स और पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स पर जीएसटी की दरें लागू नहीं होंगी। इसके अलावा एक्सपोर्ट को भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। एक्सपोर्ट के लिए खरीदे गए गुड्स और सविर्सेज पर जो जीएसटी वसूला जाएगा, वह में बाद रिफंड कर दिया जाएगा। इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और कैपिटल गेन टैक्स जैसे डायरेक्ट टैक्सेज पर भी इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
राज्यों पर असर: चूंकि, जीएसटी उपभोग आधारित टैक्स है, इसलिए जिस राज्य में गुड्स और सविर्सेज की खपत जितनी अधिक होगी, उसका टैक्स रेवेन्यू उतना ही ज्यादा होगा। ऐसे में जो राज्य पिछड़े हैं, जीएसटी लागू होने के बाद उनका रेवेन्यू घटेगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि किसी राज्य को जीएसटी लागू होने के बाद जो घाटा होगा, उसे वह पूरा करेगी।
वैधानिक स्थिति 1. आज संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा में मौजूद तथा वोट देने वाले सदस्यों के दो-तिहाई हिस्से का समर्थन मिलना जरूरी होगा। इसके साथ ही इस टैक्स सिस्टम के हकीकत बनने के लिए कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं को इसे सहमति देना भी जरूरी होगा।
2. इसी तरह, राज्यों को मॉडल बिल की तर्ज पर अपने अलग जीएसटी बिल तैयार करने होंगे और उन्हें अपनी विधानसभाओं में पारित कराना होगा।
3. लागू होने के बाद जीएसटी कई स्थानीय टैक्स के अलावा सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सविर्स टैक्स और वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) की जगह लेगा।
जीएसटी ट्रिविया
1. दुनिया के 140 देशों में लागू है जीएसटी।
2. 1954 में जीएसटी लागू कर फ्रांस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बना।
3. ज्यादातर देशों में केंद्र और राज्यों का एक जीएसटी (एकल) सिस्टम लागू है।
4. भारत की तरह का ड्युअल जीएसटी सिस्टम ब्राजील और कनाडा में भी है।

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