यदि ज्योतिर्विद अपने कार्यालयों में यदि वास्तु सम्मत नियमों का पालन करें तो परिणाम शुभ मिलने की संभावना बढ़ जाती है
—-वास्तु के दृष्टिकोण से एक अच्छे ऑफिस में बैठते हुए यह ध्यान रखना जरूरी हैं कि स्वामी की कुर्सी ऑफिस के दरवाजे के ठीक सामने ना हो। कमरे के पीछे ठोस दीवार होनी चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि ऑफिस की कुर्सी पर बैठते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रहे।
—आपका टेलीफोन आपके सीधे हाथ की तरफ, दक्षिण या पूर्व दिशा में रहें तथा कम्प्यूटर भी आग्नेय कोण में (सीधे हाथ की तरफ) हो तो अच्छे परिणाम मिलते हैं। इसी प्रकार स्वागत कक्ष (रिसेप्शन) आग्नेय कोण मे होना चाहिए लेकिन स्वागतकर्ता (रिसेप्सनिष्ट) का मुंह उत्तर की ओर हो तो परिणाम श्रेष्ठ मिलते हैं।
—-ज्योतिषी के लिए इशान कोण अत्यंत लाभदायक कोना होता है ,इस कोण में लगातार बैठने या सोने से पूर्वाभास होता है ,इसलिए इस कोण का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए ||ध्यान रखें, किसी भी ज्योतिषी को आफिस के इशान कोण में बैठने से ज्यादा अंतर्ज्ञान होगा…
—-वास्तुशास्त्री के लिए वायव्य कोण ज्यादा लाभदायक देखा गया है क्योंकि वायव्य में बैठने से बाहर वास्तु विसीट में जाने की सम्भावना बड़ जाती है ,वास्तुशास्त्री जब घर से बाहर रहेगा तभी वह लोगों की सेवा कर पायेगा
—-आज कल एक सामान्य सा प्रचलन है कि सबको नेरित्य में बिठा दो या नेरित्य के कमरे में सुला दो ,जबकि हमारे वास्तु शोध संस्थान के बच्चों ने रिसर्च किया है कि अलग अलग जातक को अलग अलग व्यापार के अनुसार अलग अलग स्थान में सफलता मिलती है ।
—–ज्योतिषी या प्राच्य विद्या का जानकर एक गुरु का काम करता है ,वह ब्रम्हा का प्रतिनिधित्व करता है ,इसलिए ज्योतिषी को भवन के इशान कोण में पूर्व मुखी बैठना चाहिए ,क्योंकि इशान कोण में बेठने या सोने से छटी इंद्रिय कुछ जागृत हो जाती है
—ज्योतिषी के लिए पुस्तकीय ज्ञान की अपेक्षा अंतर्ज्ञान की ज्यादा आवश्यकता होती है ,ज्योतिषी के मुंह से जो निकले वो जातक को फलना चाहिए
—-ज्योतिष/वास्तु के जड़ नियम से न बंधकर अपने अंतर्ज्ञान से पुस्तकीय ज्ञान को संतुलित करना चाहिए ।
—–ज्योतिषी/वास्तु शास्त्री के लिए सबसे महत्वपूर्ण है साधना ,अगर आप अच्छे साधक नही बन सकते तो आप अच्छे ज्योतिषी भी नही बन सकते ।
—–उत्तर मुखी बैठने से धन की प्राप्ति और पूर्व मुखी बेठने से ज्ञान की प्राप्ति होती है ,ज्योतिषी को धन की बजाय अपने ज्ञान को महत्व देना चाहिए
—–ज्योतिष,वास्तु का यह कार्य हम लोग दुखी जनों की सेवा के लिए करते हैं ,इसलिए पूर्व मुखी बेठने से हमारे विचार जल्दी सम्प्रेषित होता है ……
—-मेज के पूर्व में ताजे फूल रखें। इनमें से कुछ कलियां निकल रही हों तो यह नए जीवन का प्रतीक माना जाता है। फूलों को झड़ने से पहले ही बदल देना शुभ होता है।
—–जब आप मीटिंग रूम में हों तो नुकीली मेज काम में न लाएं। कभी भी मीटिंग में दरवाजे के करीब और उसकी तरफ पीठ करके न बैठें।
—–ऑफिस में मंदिर (पूजा स्थल) ईशान कोण में होना चाहिए। फाइल या किताबों की रेक वायव्य या पश्चिम में रखना हितकारी होगा। पूर्व की तरफ मुंह करके बैठते समय अपने उल्टे हाथ की तरफ ‘कैश बॉक्स’ (धन रखने की जगह) बनाए इससे धनवृद्धि होगी। उत्तर दिशा में पानी का स्थान बनाए।
—-अगर ऑफिस घर में ही बना हो तो यह बेड रूम के पास नहीं होना चाहिए।
—-पश्चिम दिशा में प्रमाण पत्र, शिल्ड व मेडल तथा अन्य प्राप्त पुरस्कार को सजा कर रखें। ऐसा करने से आपका ऑफिस निश्चित रूप से वास्तु सम्मत कहलाएगा व आपको शांति व समृद्धि देने के साथ साथ आपकी उन्नति में भी सहायक होगा।
—- किसी सलाहकार/एडवाइजर का सलाह कक्ष काला, सफेद अथवा नीले रंग का होना चाहिए ।
—जीवन को समृद्धशाली बनाने के लिए व्यवसाय की सफलता महत्वपूर्ण हैं इसके लिए कार्यालय को वास्तु सम्मत बनाने के साथ साथ विभिन्न रंगों का उपयोग लाभदायक सिद्ध हो सकता हैं ।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)