महातपस्विनी जयमाला जी म.सा.

सिद्धार्थ जैन
सिद्धार्थ जैन
*महासाध्वी जयमाला जी म.सा. “जीजी”* जैन साध्वी। इनके श्रद्धालु जन *जीजी* म.सा. के नाम से भी पुकारते हे। सौम्य। सरल। तप साधिका। तप चक्रेश्वरी। गुरुदेव ब्रजमधुकर की सुसंस्कारित शिष्या। पग-पग चल कर हजारो किमी की दूरी नाप लेने वाली तपस्विनी। इनकी साथिन साध्वियां *आनंदप्रभा जी चन्दनबाला जी डा.चन्द्रप्रभा जी विनीत रूप प्रज्ञा जी और सुरभि जी म.सा.।* सभी ने अपने चरण कमलो से राजस्थान दिल्ली पंजाब हरियाणा उत्तरप्रदेश गुजरात छ्त्तीसगढ़ मध्यप्रदेश आंध्रप्रदेश कर्नाटक तमिलनाडु महाराष्ट्र आदि प्रदेशो को पदाति नापते हुए लाखो लोगो को शाकाहारी जीवन व जीओ और जीने दो का संदेश दिया। *समूचे विश्व में जैन साधू-साध्वियों का यह सब पैदल विहार अनूठा अनुपम हैरतअंगेज व अविश्वमरणीय हे।*

लेकिन इस सब अनुष्ठान में *जीजी म.सा.* की बात ही निराली हे। जैन साधुवृन्दो में तपस्याओ का जबरदस्त दौर चलना अमूमन आम बात हे। लेकिन उन में भी दिनो-महीनों तक अनवरत तपस्या तो बिरले साधू ही कर पाते हे। *तपस्या का मतलब: खालिस निराहार। केवल मात्र पानी का सेवन। वह भी सूर्यास्त के बाद पूर्णतः वर्जित…!* अपन कभी ऐसा कर देखे…! एक दिन में ही तारे दिख जाते हे। एक दिन-दो दिन-तीन-चार-पांच-छह-सात-आठ दिन नही…! *जीजी म.सा. को आज अस्सी दिन हो गये।* ब्यावर चातुर्मास होने के साथ ही इन्होने उपवास की यह सघन तपस्या प्रारम्भ कर दी। किसी अनुयाई को मालुम नही कि यह तपस्या कब तक चलेगी। सभी कयास ही लगाते रहे। अब कुछ समय पूर्व उन्होंने अपनी मंशा जाहिर की कि सम्भवतया वे *इक्यासी उपवास* कर पारणा करेंगे।

जीजी म.सा. के साधू जीवन में यह कोई पहला मौका नही हे। ये जहां भी चातुर्मास करते हे। तपस्या में रम जाते हे। साधू जीवन की शुरुआत में उपवास से तपस्या का शुभारम्भ किया। तीन-आठ-नो-ग्यारह-पन्द्रह-सोलह-इक्कीस-तीस-तेतीस-पैतीस-सेतीस-इकतालीस-पैतालीस-इक्यावन-बावन दिनों तक लगातार उपवास कर रिकार्ड बनाये। वे इतने पर ही नही थमे। *दो-दो बार इकतीस-पैतालीस-इक्यावन-बावन और पचपन की तपस्या कर डाली।* जीजी म.सा. का जीवट देखिएगा…! वे तपस्याओ की अवधि और आगे बढाते ही चले गये। ऐसा करते एक चातुर्मास काल में तो म.सा. ने सभी को विस्मृत कर दिया। उन्होंने अनवरत *एक सौ ग्यारह उपवास* कर अपने पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। एक अकल्पनीय बात और…साधारण दिनों मेंआप विगत *चालीस वर्षो से एकान्तर* तपस्या भी कर रहे हे। याने कि दिन में एक समय ही खाना। फिर केवल पानी।

मै भाग्यशाली हू… मुझ पर आपका अटूट स्नेह जो बना हुआ हे। आज दिन में ब्रज मधुकर भवन में भारी भीड़। देश भर से इनके अनुयाईयो का ब्यावर पहुंचना शुरू हो गया। 16 सितम्बर को भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा हे। ब्रज मधुकर भवन में श्रद्धालुओ को कमरे के बाहर से ही दर्शन करने का आग्रह था। यह सब सावधानी उनके स्वास्थ्य को लेकर बरती जा रही थी। मालुम होते ही मुझे कमरे में बुलवा लिया। बातचीत करते मै भी दंग रह गया। उपवास के 80वें दिन भी इतना जीवट…!!! चहरे पर कही कोई शिकन नही। *लगभग सत्तर वर्ष की आयु के पड़ाव पर पहुंच रही इन दिव्यात्मा की ऐसी विरल तपस्या…!!!* समूचे विश्व में ऐसे कोई गिनती मात्र के ही उदाहरण होंगे? होंगे भी कि नही…? मालुम नहीं…। *इन दिव्य साध्वी जी को शत-शत नमन।*

*सिद्धार्थ जैन पत्रकार, ब्यावर (राज)*

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