बनाईये अपने बुढ़ापे को जिन्दगी का गोल्डन पिरीयड –पार्ट 3

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
खुश रहें, खुशीयाँ बाटें | दुखी नहीं रहें, दूसरों को दुखी नहीं करें | खुश रहने के लिये दु:ख रुपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीख लें और हो सके तो उसे उठायें ही नहीं | अपनी सदभावनाओं, आशीर्वाद, स्नेह-प्रेम तथा शुभकामनाओं की दोलत दूसरों को दें | दिमाग पर बोझ नहीं रक्खें | आपकी एक हॉबी तो अवश्य होनी चाहिये इससे जहाँ आपका समय सार्थकता के साथ व्यतीत होगा एवं आपको खुशी भी प्राप्त होगी | अपने इष्ट मित्रों, सहयोगीयों के साथ समय बितायें, सामाजिक कार्यों से जुड़ें, स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़ें | लोगों की मदद करें | उन कार्यों को प्राथमिकता से करें जिनमें आपको खुशी मिलती है | पालतू जानवरों से प्यार करें | दूसरों की मदद करते हुए स्वार्थी के स्थान पर परमार्थी बनें | लोगों से बिना शर्त स्नेह एवं प्यार करें | हर दिन आपके प्रयासों से एक आदमी के चहरें पर मुस्कराहट आनी चाहिये |
जिस इन्सान का जन्म हुआ है एक न एक दिन उसकी म्रत्यु भी होनी ही है | इसलिए म्रत्यु का डर अपने मन से निकाल दें और हर दिन को खुशी के साथ निष्काम भाव से सात्विक कर्म करते हुए जीयें | नकारात्मकता एवं नकारात्मक सोच म्रत्यु से भी ज्यादा दुखदायी होती है | प्रति दिन सुबह उठते ही अपने आपसे कहें कि में आज बीते कल से ज्यादा उर्जावान हूँ, स्फूर्ति मेरे रोम रोम मै विद्यमान है | नकारात्मकता मेरे समीप आ भी नहीं पायेगी | नित्य सुबह कर्णप्रिय गाने सुने, पार्क या लॉन में जाकर प्रक्रति का आनन्द लें | सकारात्मक रहें और जीवन में सकारात्मकता को अपनायें | वर्तमान क्षण का भरपूर आनन्द उठायें | भूतकाल को भूल जायें एवं भविष्य की भी अनावश्यक चिंता नहीं करें | जो हो रहा है, उसे होने दें, उसका आनंद लें | दिन में कम से कम एक बार आत्म-चिन्तन जरुर करें | सज्जनों के साथ वार्तालाप करें | बच्चों के साथ बच्चा बन कर जियें और उनके साथ मौज-मस्ती करें | रोज ताली बजाये | अपने आत्मविश्वाश को मजबूत बनाएं क्योंकि आत्मविश्वाश ही सफलता की कुंजी है | अनुकूल अथवा प्रतिकूल परिस्थतीयों के अन्दर रिलैक्स रहें | सामाजिक सम्बन्धों को मजबूती प्रदान करें | गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए मददगार बनें |
डा. जे.के. गर्ग, सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न संतों के सत्संग, मेंडी ओकलेंडर आदि |

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