जिस इन्सान का जन्म हुआ है एक न एक दिन उसकी म्रत्यु भी होनी ही है | इसलिए म्रत्यु का डर अपने मन से निकाल दें और हर दिन को खुशी के साथ निष्काम भाव से सात्विक कर्म करते हुए जीयें | नकारात्मकता एवं नकारात्मक सोच म्रत्यु से भी ज्यादा दुखदायी होती है | प्रति दिन सुबह उठते ही अपने आपसे कहें कि में आज बीते कल से ज्यादा उर्जावान हूँ, स्फूर्ति मेरे रोम रोम मै विद्यमान है | नकारात्मकता मेरे समीप आ भी नहीं पायेगी | नित्य सुबह कर्णप्रिय गाने सुने, पार्क या लॉन में जाकर प्रक्रति का आनन्द लें | सकारात्मक रहें और जीवन में सकारात्मकता को अपनायें | वर्तमान क्षण का भरपूर आनन्द उठायें | भूतकाल को भूल जायें एवं भविष्य की भी अनावश्यक चिंता नहीं करें | जो हो रहा है, उसे होने दें, उसका आनंद लें | दिन में कम से कम एक बार आत्म-चिन्तन जरुर करें | सज्जनों के साथ वार्तालाप करें | बच्चों के साथ बच्चा बन कर जियें और उनके साथ मौज-मस्ती करें | रोज ताली बजाये | अपने आत्मविश्वाश को मजबूत बनाएं क्योंकि आत्मविश्वाश ही सफलता की कुंजी है | अनुकूल अथवा प्रतिकूल परिस्थतीयों के अन्दर रिलैक्स रहें | सामाजिक सम्बन्धों को मजबूती प्रदान करें | गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए मददगार बनें |
डा. जे.के. गर्ग, सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न संतों के सत्संग, मेंडी ओकलेंडर आदि |
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