हाय तनाव !— कैसे मुक्ति पायें टेंशन से ? Part-1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
क्या है तनाव—— तनाव का मतलब है अनियंत्रित एवं और असंतुलित मन | तनाव का अर्थ अनियत्रित भावनात्मक अवस्था | दिमाग पर अनियंत्रित दबाव (स्ट्रेस), यानी निराशा एवं हताशा, तनाव का मतलब है बोद्धिक क्षमता एवं मानसिक शांति की शिथलता |
तनाव के विनाशकारी दुष्परिणाम——-
तनाव का प्रभाव बचपन से म्रत्यु तक बना रहता है | शोधकर्ताओं ने बताया है कि “ अगर कोइ गर्भवती स्त्री तनाव, भय या चिंता ग्रस्त रहती है तो उसके गर्भ से जन्म लेने वाला बालक/ बालिका भी जन्म से ही चिडचिडे स्वभाव वाला होगा, वह आवेश ग्रस्त भी होगा | तनाव के कारण जहाँ एक तरफ आदमी के मन की शांति कुंठित होती है, वहीं दूसरी तरफ उसकी आखों की देखने की क्षमता भी कमजोर होती जाती है , और तो और तनावग्रस्त आदमी की स्मरण शक्ती भी कमजोर होती जायेगी, वो भुलक्कड भाईसाहिब या भुलक्कड बहिनज़ी बन जायेगें | तनावग्रस्त व्यक्ति हकलाकर बोलने लगता है , घबराहट उसकी आदत बन जाती है, उसके हाथ-पावों में सूजन तक आ जाती है, ह्रदय की धडकन कम हो जाती है, यहाँ तक उसकी आतें भी सिकुड जाती है और पाचन तन्त्र खराब हो जाता है, डाक्टर तो यह भी कहते हैं कि उसके गुर्दे भी ख़राब हो सकते हैं | कुछ शोधकर्ताओं ने तो यहाँ तक कहा है कि तनाव से पुरुष अपना पोरुष –सामर्थ्य खो कर नपुंसक तक बन जाता है | तनाव आदमी के अंतर्मन को जीते जी ही मार डालता है|तनावग्रस्त आदमी की सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता भी नष्ट प्राय हो जाती है, वो अपनी मानसिक शांति और मानसिक स्थिरता खो देता है, उसका जीवन दुखी, चिंताग्रस्त बन जाता है, खुशीयाँ उससे दूर हो जाती है |
डा.जे,के.गर्ग
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