हाय तनाव !— कैसे मुक्ति पायें टेंशन से ? Part-3

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
भय-Fear: ——भयही है मन की नपुंसकता——-भय जहाँ तनाव के उत्पन्न होने का कारण बनता है वहीं दूसरी तरफ भय रोग, बुढ़ापा , स्म्रति- लोप और पलायन प्रवर्ती तक का कारण भी बनता है | भय कमजोर मन का परिणाम है वहीं आत्मविश्वास मजबूत मन का परिचायक है | मन को मजबूत बनाये , भय अपने आप निकल जायेगा और तनाव भी आपसे कोसों दूर रहेगा | भय मुक्त बने | हर हाल में मस्त रहें |
भ्रम-बहम– Confusion-Suspicion:—–भ्रम के चलते स्वयं की अन्यमनस्कसी स्थिती रहती है, जहाँ भ्रम या बहम का मन मे आ जाता उसी क्षण आप मे तनाव का प्रवेश भी हो जाता है | (यह भी सर्वविदित है कि भ्रम या बहम ला इलाज यानि इसका कोई भी कहीं पर भी उपचार नहीं है) अपने मन को स्थिर और शांत बनाये और भ्रम एवं बहम को मन से निकाल दें, मन का बहम खत्म तो तनाव भी खत्म |
अतिमहत्वाकांक्षा Over ambition:—-अतिमहत्वाकांक्षा ही मन मे व्यर्थ की लालसाओं को जन्म देती है | यदि सम्राट धर्तराष्ट्र अपनी अतिमहत्वाकांक्षा पर सयंम रखने में समर्थ हो जाते तो शायद महाभारत का युद्ध हुआ ही न होता | अतिमहत्वाकांक्षा से अहंकार का जन्म होता है | अहंकार से क्रोध उत्त्पन होता है, क्रोध से स्म्रति एवं विवेक समाप्त हो जाते हैं जिसका परिणाम है– ‘तनाव’ | जरूरत से ज्यादा भोंतिक सुख हमारे चापलूस दुश्मन हुआ करते हैं | हर एक को इनका विवेक पूर्वक और संभलकर ही उपयोग करना चाहिये |
डा.जे,के.गर्ग
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