आधुनिक भारत के शिल्पकार एवं लोकतांत्रिक समाजवाद के प्रर्वतक मानवतावादी जवाहरलाल नेहरु

Nehruमहात्मा गाँधी के सच्चे उत्तराधिकारी, उत्कृष्ट लेखक, इतिहासकार, स्वपनदृष्टा और आधुनिक भारत के निर्माता की पदवी प्राप्त करने का अगर कोई दावेदार है तो वो निसदेह पंडित जवाहरलाल नेहरु ही हैं | मानवीय गरिमा को उच्चतम शिखर तक पहुँचाने वाले नेहरु जी के बारे में मलेशिया के प्रधानमंत्री टुंकू अब्दुल्ल रहमान का कहना था कि, “नेहरु मेरी प्रेरणा के स्रोत थे” | स्वतंत्रता-संग्राम के आंदोलनों में अनेक बार जेल यातनाओं को सहते हुए नेहरू को अपार लोकप्रियता एवं देशवासियों का प्यार मिला | जनता ने उनकी खुशमिजाजी और बदमिजाजी को समान रूप से सहेजा और सहारा| युवा उनके जैसे वस्त्र पहनने लगे,उनकी तरह बोलने और लिखने लगे, नेहरूजी उनके रोल मोडल थे |
हम सभी जानते हैं कि आधुनिकता का मानसिकता से, मानसिकता का जागरूकता से, जागरूकता का तर्क से, तर्क का विज्ञान से, विज्ञान का प्रयोग से और प्रयोग का परिवर्तन से गहरा संबंध है | पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मानसिक जागरूकता और वैज्ञानिक दृष्टि से आधुनिक भारत की नींव भी रखी और नव-निर्माण भी किया | इसको हम यों भी कह सकते हैं कि उस दौर में जबकि भारत को ताजा-ताजा आजादी मिली थी और आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पं. नेहरू के समक्ष सिर्फ समस्याएँ ही समस्याएँ थीं जिनका उन्हें समाधान तो खोजना ही था, सच्चाई तो यही हे कि पंडित नेहरूजी की समाजवादी नीति के लिये अग्रेजों के चंगुल से मुक्त भारत के तात्कालीन हालात भी बड़े स्तर पर जिम्मेवार थे | आज़ादी के तुरन्त बाद 1947 में देश के अन्दर 60 प्रतिशत से भी अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे थी, इन परिस्थतीयों में नेहरूजी ने महात्मा गांधी के स्वदेशी और गाँव आधारित विकास की नीति पर चलने के साथ भारतीय मझले और भारी ऊद्योग, पब्लिक सेक्टर और राज्य की निगरानी में चलने वाली अर्थव्यस्था पर भी जोर दिया | नेहरूजी ने उच्च तकनीकी शिक्षा के लिये अनेकों आईआईटी स्थापित किये गये। इसी तरह प्रबंधन के गुर सिखाने केलिए उन्होंने आईआईएम खोले । वैज्ञानिक सोच को बड़ावा देने एवं युवाओं में विज्ञान के अध्ययन की रुची जाग्रत करने हेतु नेहरू ने ‘भारतीय विज्ञान कांग्रेस’ की स्थापना की। भारत के विभिन्न भागों में स्थापित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अनेक केंद्र नेहरूजी की दूरदर्शिता के प्रतीक हैं। पं. नेहरू की वैज्ञानिक दृष्टिï और आधुनिक सोच का ही परिणाम है कि भारत आज अंतरिक्ष को न केवल ‘टटोल रहा है बल्कि उसके रहस्यों को भी निरंतर खोल रहा है |
खेलों में नेहरू की व्यक्तिगत रुचि थी। उन्होंने खेलों को मनुष्य के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए आवश्यक बताया। एक देश का दूसरे देश से मधुर सम्बन्ध क़ायम करने के लिए 1951 में उन्होंने दिल्ली में प्रथम एशियाई खेलों का आयोजन करवाया | पंचशील के प्रतिपादक नेहरु जी के अंर्तराष्ट्रीय चिन्तन और मानवतावादी दृष्टीकोंण का सर्वाधिक उज्जवल पक्ष यह था कि वे विश्वशान्ति में विश्वास रखते थे। नेहरु जी का मानना था कि युद्ध का विचार जंगली और असभ्यता का विचार है। एक बार उन्होने कहा था कि यदि हमने युद्ध को समाप्त नही किया तो युद्ध हमें समाप्त कर देगा। मिस्र के राष्ट्रपति नासीर ने कहा था कि, “नेहरु जी की जिंदगी एक मशाल की तरह थी, जिससे हिन्दुस्तान, एशिया और दुनिया को रौशनी मिलती थी” |
आधुनिक भारत के महान राजनितिज्ञों में नेहरु जी का नाम शिखर पर है। उनके द्वारा लिखी पुस्तकों, ‘भारत एक खोज’, ‘मेरी कहानी’ तथा ‘विश्व इतिहास की झलक’ उनके अन्दर छिपी हुए लेखक और चिंतक की प्रतिभा की परिचायक है । जेल में रहते हुए बिना किसी संदर्भ के और इतिहास लेखन की विधिवत ट्रेनिंग लिए बिना उन्होंने अपनी बेटी इंदिरा गाँधी को जो पत्र लिखे और जिसने बाद में एक विशाल ग्रंथ का रुप लिया वह पंडित जी की अदभुत पुस्तक है | दुनिया के पाँच हज़ार साल के इतिहास को जिस तरीके से पंडित जी ने लिपिबद्ध किया है उसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता है | इतिहासकारों ने इसे एच जी वेल्स की ‘आउटलाईन ऑफ़ द वर्ल्ड हिस्ट्री’ के समकक्ष का स्थान दिया है |इसी किताब में पंडित जी ने लिखा है कि महमूद ग़ज़नवी ने सोमनाथ पर हमला किसी इस्लामी विचारधारा से नहीं किया था बल्कि वो तो विशुद्ध रुप से लुटेरा था और उसकी फ़ौज का सेनापति एक हिंदू तिलकधारी था | फिर इसी महमूद ग़ज़नवी ने जब मध्य एशिया के मुस्लिम देशों को लूटा तो उसकी सेना में असंख्य हिंदू थे |

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
नेहरू के समय में एक और अहम फ़ैसला भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का था। इसके लिए राज्य पुनर्गठन क़ानून (1956)पास किया गया। आज़ादी के बाद भारत में राज्यों की सीमाओं में हुआ यह सबसे बड़ा बदलाव था। संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ा गया जिसके तहत भाषाई अल्पसंख्यकों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिला | नेहरु जी को भारत से अगाध प्रेम था। उन्होने लिखा है कि, “हिन्दुस्तान मेरे खून में समाया हुआ है और उसमें बहुत कुछ ऐसी बातें हैं जो मुझे स्वभावतः प्रेरित करती हैं।” उन्होने अपनी पुस्तक भारत एक खोज में लिखा है, “किसी भी पराधीन देश के लिये राष्ट्रीय स्वतंत्रता प्रथम तथा प्रधान आकांक्षा होनी चाहिये।” नेहरू मानवतावादी धर्म में विश्वास करते थे किसी परंपरागत धर्म में नहीं | नेहरू उस धर्म में विश्वास करते थे जो परस्पर प्रेम, सौहार्द,पारस्परिक सद्दभावना और मानवता का संदेश देता हो | नेहरूजी मानते थे कि सह- अस्तित्व का केवल एक ही विकल्प है और वह है सह- विनाश |
1960 से 1980 के समय में पत्रकार भारत का नवनिर्माण काल में राष्ट्र हित में बनने वाले नए-नए मंदिर यथा भाखड़ा नांगल बाँध, रिहंद बाँध, भिलाई, बोकारो इस्पात कारख़ाना आदि और हम उनके निर्माण और आधारशिला रखने की ख़बरों की रिपोर्टिंग किया करते थे जब कि 80 के दशक के अंत और 90 के दशक में मण्डल-कमंडल और साम्प्रदायिक वैमनष्य,जाति के बारे में रिपोर्टिंग करने में पत्रकार व्यस्त रहते थे | नेहरु ने अपनी पार्टी के सदस्यों के विरोध के बावजूद 1963 में अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष की ओर से लाए गए पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराना मंज़ूर किया और उसमें सक्रिय रूप में भाग लिया |जितना समय पंडित जी संसद की बहसों में दिया करते थे और बैठकर विपक्षी सदस्यों की बात सुनते थे उस रिकॉर्ड को अभी तक कोई प्रधानमंत्री नहीं तोड़ पाया है बल्कि अब तो प्रधानमंत्री के संसद की बहसों में भाग लेने की परंपरा निरंतर कम होती जा रही है | पंडित जी प्रेस की आज़ादी के भी बड़े भारी पक्षधर थे और कहा करते थे लोकतंत्र में प्रेस चाहे जितना ग़ैर-ज़िम्मेदार हो जाए मैं उसपर अंकुश लगाए जाने का समर्थन नहीं कर सकता शायद इसकी वजह एक ये भी थी कि वे एक दौर में ख़ुद पत्रकार थे और प्रेस की आज़ादी का महत्व समझते थे |
आजादी के बाद जब देश की कमान नेहरुजी के हाथों में आई तब उन्होंने नये भारत के निर्माण में सरदार पटेल एवं बाबू राजेद्र प्रसाद जैसे परम्परावादी, सी राजगोपालाचारी और अम्बेडकर जैसे विरोधी तथा वामपंथी विचार वाले मोलाना आजाद को भी साथ लिया और उनके सहयोग से राष्ट्र निर्माण का काम किया | 1947 से 1964 तक नेहरु ने एक ऐसे हिन्दुस्तान के निर्माण की कोशिश की जिसमें धर्म,जाति,रंग और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न होता हो | नेहरूजी की यही सोच और विचार ही उनकी विरासत है जो आज़ादी के 69 साल तक लगभग सभी सरकारों के लिये मार्ग दर्शक के रूप में कार्य करती हे |
कश्मीर समस्या के बारे में उनके निर्णय विवादग्रस्त रहे | अंतिम समय में पंडित जी को चीन के समबन्ध में कुछ नाकामियों का भी मुंह देखना पड़ा | चीन के साथ दोस्ती करना काफ़ी मंहगा साबित हुआ | हालांकि चीन के साथ दोस्ती की पहल उन्होंने काफ़ी ईमानदारी से की थी और पंचशील के सिद्धांत के साथ-साथ हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा दिया लेकिन 1962 में चीन द्वारा भारत पर हमला करने से पंडित जी भी बहुत दुःखी हुए और कुछ लोगों का तो ये भी मानना है कि उनकी मौत का कारण ये सदमा भी था |
आजाद भारत में जहाँ सरदार पटेल ने अपनी सूझबूझ से सभी राजे-रजवाड़ों का भारत में विलय करवाकर एक संघटित राष्ट्र का स्वरूप दिया वहीं नेहरू ने भारत को एक शक्तिशाली आर्थिक नींव देने के लिए आवश्यक योजनायें बनाईं और उनके क्रियान्वयन के लिये उपयुक्त वातावरण भी। नेहरूजी ने अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत के सम्मान को शिखर तक पहुंचाया एवं उनकी नीतियों की वजह से ही देश के भीतर एक ऐसा राजनीतिक-आर्थिक एवं सामाजिक आधार निर्मित किया गया जिससे भारत की एकता,अखण्डता व प्रजातंत्र को कोई ताकत खत्म नहीं कर सकी। मानवतावादी तथा लोकतांत्रिक समाजवाद के प्रर्वतक एवं आराम हराम है को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनानेवाले जवाहरलाल नेहरु जी की 127वीं जयंती पर हम उन्हें शत् शत् नमन करते हैं।
प्रस्तुत कर्ता—–डॉ. जे. के. गर्ग
Reference——–क़ुरबान अली, गोपाल मिश्रा, विभिन्न पत्र-पत्रिकायें, मेरी डायरी के पन्ने
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