अरस्तु ने कहा था कि आलोचनाएं जीवन का हिस्सा होती हैं। अक्सर लोगों को आलोचनाएं और उनकी कमियां बताया जाना पसंद नहीं आता।वास्तविकता तो यह ही है कि दूसरे ही हमारी कमियों के बारे में ज्यादा सही बता सकते हैं । यह बात भी समझना चाहिए कि आलोचना हमेशाअपमान नहीं होती। यह किसी की सोच अथवा उनका आकलन भी हो सकता है। इसलिए जब किसी की आलोचना का सामना करना पड़े तोसम्मानजनक जवाब दिया जाना चाहिए क्योंकि आलोचनाएं हमें बेहतरी की तरफ ही ले जाती हैं। आलोचना करने वाले से सलाह भी ली जासकती है कि कैसे समस्या का समाधान किया जाए। सच्चाई तो यही है कि आलोचनाएं इंसान को जीवन में सफलता के मार्ग पर ले जाने मेंसाहयक ही बनती हैं।
प्रस्तुतिकरण—डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न पत्र-पत्रिकाये ,मोटिवेशन गुरुओं के लेख, शुभविलास दास, एडवर्ड मॉर्गन फोर्स्टर, आदि
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