उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक आपको अपना लक्ष्य प्राप्त ना हो जाये।
किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए अपना हाथ बढ़ा सकते हैं तो ज़रुर बढाएं, अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिये। वही जीते हैं,जो दूसरों के लिए जीते हैं।
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे या उनके काम आए तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा यह धन सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है |
उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता |
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते।
हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा, और परमात्मा उसमे बसेंगे।
बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है।
दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।
प्रेम विस्तार है, स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है।वह जो प्रेम करता है जीता है , वह जो स्वार्थी है मर रहा है। इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो , क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है , वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो।
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे। यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो , तुम कमजोर हो जाओगे ; अगर खुद को ताकतवर सोचते हो , तुम ताकतवर हो जाओगे।
प्रस्तुती एवं सकलंकर्ता—डा.जे. के. गर्ग
