जानिये भारत के विभिन्न प्रान्तों में कैसे मनायी जाती है होली Part-2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
दक्षिण गुजरात के आदिवासि भील जाति के लोग होली को गोलगधेड़ों के नाम से मनाते हैं। इसमें किसी बांस या पेड़ नारियल और गुड़ बांध दिया जाता है उसके चारों और युवतियां घेरा बनाकर नाचती हैं। युवक को इस घेरे को तोड़कर गुड़,नारियल प्राप्त करना होता है। इस प्रक्रिया में युवतियां उस पर जबरदस्त प्रहार करती हैं। यदि वह इसमें कामयाब हो जाता है तो जिस युवती पर वह गुलाल लगाता है वह उससे विवाह करने के लिए बाध्य हो जाती है। छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है, बस्तर की होली—- बस्तर में इस दिन लोग कामदेव का बुत सजाते हैं,जिसे कामुनी पेडम कहा जाता है। उस बुत के साथ एक कन्या का विवाह किया जाता है। इसके उपरांत कन्या की चुड़ियां तोड़कर,सिंदूर पौंछकर विधवा का रुप दिया जाता है। बाद में एक चिता जलाकर उसमें खोपरे भुनकर प्रसाद बांटा जाता है। मध्यप्रदेश—– मध्यप्रदेश की होली भील होली को भगौरिया कहते हैं। इस दिन युवक मांदल की थाप पर नृत्य करते हैं। नृत्य करते-करते जब युवक किसी युवती के मुंह पर गुलाल लगाता है और बदले में वह भी यदि गुलाल लगा देती है तो मान लिया जाता है कि दोनों विवाह के लिए सहमत हैं। यदि वह प्रत्युत्तर नहीं देती तो वह किसी और की तलाश में जुट जाता है। मालवा की होली में होली के दिन लोग एक-दूसरे पर अंगारे फेंकते हैं। कहते हैं कि इससे होलिका राक्षसी का अंत हो जाता है। वहीं बिहार का फगुआ जम कर मौज मस्ती करने का पर्व है |
सकंलन कर्ता —– जे.के.गर्ग, please visit our blog————–gargjugalvinod.blogspot.in

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