अगर आप 50 वर्ष पार कर चुके तो जरा थम कर स्वयं को जांचें

विश्व किडनी दिवस ( 9 मार्च) पर विशेष
मोटापा कहीं आपके गुर्दों का स्वास्थ्य तो नहीं बिगाड़ रहा

डॉ रणवीर सिंह चौधरी
डॉ रणवीर सिंह चौधरी
अजमेर। आप जीवन मंे 50 की उम्र पार कर चुके हैं तो थोड़ा थम कर अपने आप को जांच लेवंे। शारीरिक रूप से आपका मोटापा कहीं अनजाने में आपके गुर्दों का स्वास्थ्य तो नहीं बिगाड़ रहा है। आप गुर्दे ( किडनी ) के स्वास्थ्य की दृष्टि से जोखिम की श्रेणी में आते हैं यदि आप शारीरिक रूप से मोटे हैं अथवा धूम्रपान करते हैं।
विश्व किडनी दिवस (9 मार्च) पर इस बार की थीम ‘‘मोटापा और गुर्दारोग’’ है। जाहिर है स्वस्थ गुर्दों के लिए स्वस्थ जीवन शैली जरूरी है। विश्व स्तर पर आज मनुष्य के स्वास्थ्य को संक्रामक रोगों की अपेक्षा उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी रोग, मधुमेह व गुर्दे की बीमारियों से ज्यादा खतरा है। आपको मधुमेह (डायबिटीज), उच्च रक्तचाप रहता है अथवा आप 50 साल की उम्र पार कर चुके हैं तो ऐसे में आपको चाहिए कि आप अपने गुर्दों के स्वास्थ्य की जांच एक बार अवश्य करवा लें।
गुर्दों के कार्य की क्षमता अगर कम हो जाती है तो उसे क्रोनिक किडनी डिसीज कहते हैं। क्रोनिक किडनी डिसीज की पांच अवस्थाएं होती हैं। पहली से चौथी अवस्था तक दवाइयों से उपचार किया जाता है, पांचवी अवस्था को एंड स्टेज रिनल डिसीज कहते हैं व इस अवस्था में डायलिसिस व गुर्दो प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है।
भारत में क्रोनिक डिसिज की स्थिति–
एक अध्ययन के अनुसार एक प्रतिशत भारतीय जनता किडनी की किसी न किसी बीमारी से ग्रसित पाई गई है। इस हिसाब से 10 लाख की आबादी पर 10 हजार किडनी के मरीज पाए जाते हैं। एंड स्टेज रिनल डिसिज के मरीजों की संख्या तो 800 प्रति 10 लाख पाई गई है। और 150 से 200 मरीज प्रति 10 लाख की आबादी पर हर साल इस अवस्था में आते हैं जिन्हें डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत होती है। अध्ययन में यह भी स्पष्ट हुआ कि किडनी रोग के अंतिम अवस्था की स्थिति में पहुंचे मात्र 10 प्रतिशत मरीजों को ही गुर्दा प्रत्यारोपण व 10 प्रतिशत को ही डायलिसिस की सुविधा मिलती है। बाकी 80 से 90 प्रतिशत मरीजों की ईलाज के अभाव में या उपचार की जानकारी के अभाव में ही मृत्यु हो जाती है।
किडनी डिसिज का मुख्य कारण–
एक अध्ययन के अनुसार किडनी डिसिज का मुख्य कारण डायबिटीज है। लेकिन जो बात सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है वो यह कि 90 प्रतिशत मरीज किडनी रोग विशेषज्ञ (नेफ्रोलॉजिस्ट) से सम्पर्क करते हैं जब उनकी किडनी 90 प्रतिशत से ज्यादा डैमेज हो चुकी होती है। उस अवस्था में कष्टकारी डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण ही ईलाज होता है।
क्या है नेफ्रोलॉजिस्ट की सलाह–
दुनिया के सभी नेफ्रोलॉजिस्ट इस बात से सहमत है कि यदि किडनी के मरीज शुरुआती अवस्था (क्रोनिक किडनी डिसिज की स्टेज 1 ,2 ,3, व 4) से ही अपना ईलाज अच्छे ढ़ंग से चालू करे तो उन्हें भविष्य में डायलिसिस या गुर्दा प्रत्योरोपण से बचाया जा सकता है।

किडनी रोग को लेकर अजमेर जिले की स्थिति–
कुल आबादी- 25 लाख से अधिक
किडनी डिसिज के मरीज- लगभग 25000
किडनी फेलियर के संभावित मरीज- 1600 से 1800 लगभग
कुल डायलिसिस सेंटर-7
कुल डायलिसिस मशीन – 40
कुल डायलिसिस मरीज- 130 से 140
कुल डायलिसिस प्रति माह- 1250 से 1300
गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र- शून्य
कुल नेफ्रोलॉजिस्ट- एक ( निजी क्षेत्र में )

किडनी रोग से बचाव के लिए कैसी हो लाइफ स्टाइल–
हर दो-चार माह में व्यक्ति खून और पेशाब की जांच कराते रहें, शरीर की जांचों से संबंधित डाक्टर की सलाह को नजर अंदाज ना करंे, किडनी डेमेज की शुरुआती अवस्था में ही नेफ्रोलॉजिस्ट से सलाह ले, खूब पानी पिएं, किसी भी तरह के संक्रमण से बचे यानी साफ-सफाई और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें, आवश्यकता से ज्यादा मीठा ना खाएं, तनाव से मुक्त रहें, नियमित व्यायाम करंे या कम से कम 30 मिनट नियमित रूप से वॉक करें।
—-डॉ रणवीर सिंह चौधरी
नेफ्रोलॉजिस्ट, मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर

सन्तोष गुप्ता
प्रबन्धक जनसम्पर्क/9116049809

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