धन्यवाद कहना सीखीये Part 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
धन्यवाद दें उन मित्रों-स्वजनों को जिसने आपको सीख दी की मुश्किल से मुश्किल परिस्थती में भी मुस्कराते रहें क्योंकि इसी सलाह पर अमल करने से आप सफल एवं लोकप्रिय बने थे।
धन्यवाद दें उन मित्रों-स्वजनों को जिहोनें आपको समझाया था कि आपके दूवारा की गई गलतियों के बाद उन गलतियों से सबक लेकर इन गलतियों को दोराये नहीं किन्तु दुगने जोश के साथ अपने लक्ष्यों के प्राप्ति के लिये एक नई शुरुआत करें ।
धन्यवाद दें उन मित्रों-स्वजनों को जिन्होंने आपको आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु अनेकों चॉइस के विकल्प सुझाएँ थे ।
धन्यवाद दें उन मित्रों-स्वजनों को जिन्होंने ने आपको आपसे होने वाली गलतियों के बारे में समय से पहिले ही चेतावनी दी थी और आपको ऐसी गलती नहीं करने को कहा था|
धन्यवाद दें उन मित्रों-स्वजनों को जिन्होंने आपको रचनात्मक एवं सकारात्मक तथा आशावादी कल्पनाओं को संजोये रखने को कहा था ।
धन्यवाद दें उन मित्रों-स्वजनों को जिन्होंने आपको अपने विचारों की आज़ादी को बनाये रखने के लिये प्रेरित किया था |
धन्यवाद दें उन मित्रों-स्वजनों को जिन्होंने आपको अभिमानी के वनिस्पत स्वाभिमानी बनने को कहा था | डा.जे.के.गर्ग, सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने,संतों के प्रवर्चन एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकायें |
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