3- सदलज/चालन क्रियाएं/शिथिलीकरण अभ्यास
सदलज, चालन अथवा शिथीलीकरण की क्रियाओं के द्वारा शरीर में सुक्ष्म संचरण बढ़ाने में सहायता मिलती है। इसमें पैरों के बल आराम से खड़े होकर संचालन क्रियाएं की जाती है। सामान्यतः ग्रीवा (गर्दन), स्कंद (कंधा), कटि (कमर) एवं घुटनों का संचालन इसके अन्तर्गत समाहित किया गया है।
ग्रीवा चालन
हाथों को कमर पर रखकर ग्रीवा चालन सम्पादित किया जाता है। श्वास को बाहर निकालते हुए सिर को धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकाए और थुड़ी को वक्ष स्थल पर स्थित कण्ठकूप पर लगाने का प्रयास करें। श्वास को अन्दर लेते हुए सिर को जितना पीछे ले जा सकते है ले जाएं। द्वितीय चरण में श्वास को बाहर छोड़ते हुए सिर को धीरे-धीरे दायी तरफ झुकाएं। कान को गर्दन के पास तक स्पर्श करने का प्रयास करें। श्वास को अन्दर लेते हुए सिर को सामान्य स्थिति में लाए। श्वास को बाहर छोड़ते हुए सिर बायी तरफ झुकाएं। पुनः सामान्य स्थिति में आए इस चरण में कंधों को ऊपर उठाने से बचना चाहिए। यह प्रक्रिया 2 बार दोहराएं। तृतीय चरण में श्वास को बाहर छोड़ते हुए सिर को धीरे-धीरे दायी ओर घुमाकर ठुड्डी को कंधे के समानान्तर लाने का प्रयास करें। श्वास को अन्दर लेकर सिर को सामान्य स्थिति में लाए। श्वास बाहर छोड़ते हुए सिर बायी ओर घुमाएं। पुन- सामान्य स्थिति में लाए। चतुर्थ चरण के अन्तर्गत ग्रीवा को चारो तरफ घुमाया जाता है। श्वास छोड़ते हुए सिर को सिने के लगाए। श्वास को अन्दर लेते हुए घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में घुमाएं। सामने सिने पर ठुड्डी लगते समय श्वास छोड़े। यही प्रक्रिया घड़ी की सुई की दिशा में दोहराएं।
स्कंध संचालन
सीधा खड़े रहते हुए बगल से दोनो भुजाओं को सिर से ऊपर उठाएं ओर नीचे लाए।इसके पश्चात हाथो का जांघो के सामानान्तर लेकर आए। इसके द्वितीय चरण में हाथो को कोहनी से मोड़कर अंगुलियां कंधे पर रखे। दोनो कोहनियों को चकराकार घुमाएं।कोहनियों के सिने की तरफ आने पर उन्हें मिलाने की कोशिश करें। यही प्रक्रिया विपरीत दिशा में भी दोहराएं, ऐसा 5 बार करें। यह क्रिया कंधे के आसपास की हड्डीयों, मांसपेशियों, तंत्राीकाओं एवं सर्वाइकल स्पान्डिलाइट्स (रीढ़ की हड्डी की अपकर्षण) के लिए लाभदायक होती है।
कटि चालन
दोनो पैरों के मध्य दो से तीन फीट की दूरी रखते हुए भुजाओं को कंधे के समानान्तर उठाएं। हथैलियां एक दूसरे के आमने सामने हो। श्वास को बाहर छोड़ते हुए शरीर को बायी ओर घुमाए जिससे की दायी हथैली बाये कंधे को स्वाभाविक स्पर्श करें। श्वास को अन्दर लेते हुए सामान्य स्थिति में आए। यही प्रक्रिया दायी ओर दोहराएं। गम्भीर पीठ दर्द, रीढ़, डिस्क, उदर आॅपरेशन एवं मासिक धर्म में कटि चालन से परहेज करना चाहिए।
घुटना चालन
श्वास को अन्दर ग्रहण करते हुए भुजाओं को कंधे के स्तर तक सामने की तरफ लेकर आए। हथेलियां नीचे की ओर रहे। श्वास छोड़ते हुए घुटनों को मोड़े ओर अपने शरीर को कुर्सी की तरह बैठने की स्थिति में लाए। श्वास को ग्रहण करते हुए सीधे खड़े हो जाए। यह प्रक्रिया 2 बार दोहराए। आर्थराइटिस का दर्द होने की स्थिति में इस संचालन को नहीं करें।
संतोष प्रजापति
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