आदमी के नकारात्मक विचार उसकी नया सीखने व नए संसाधन जोड़ने की क्षमता को कम करती हैं। जब व्यक्ति में नकारात्मकता का स्तर अधिक होगा तब वह नए काम को सीख नहीं पाएगा, उसे केरियर में सफलता नहीं मिलेगी, उसके सामाजिक संबंध भी मजबूत नही बन पायेगें | इस तरह वह विकास की ओर नहीं बढ़ पाएगा। वस्तुतः नकारात्मक सोच स्पष्ट रूप से आदमी के व्यवहार में झलकती है। सवाल उठता है कि नकारात्मक सोच के मुख्य कारण कोन कोनसे होते हैं | दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक वे जो कहते हैं कि” मै यह कामनहीं कर सकता हूँ” वहीं दुसरी श्रेणी के लोग कहते हैं कि “मै यह काम कर सकता हूँ” I प्रथम श्रेणी के लोगों के लिये किसी भी चैलेंज को स्वीकार करना या लाइफ में रिस्क लेना बहुत मुश्किल होता है और ऐसे लोग अपने एवं दूसरों के कार्यों, व्यवहारों से हमेशा नाखुश या असंतुष्ट रहते हुये अपने काम करने में पूरा ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे लोग हमेशा ग्लानि में रहकर सोचते हैं कि मैं कुछ नहीं कर सकता। ऐसे लोग दूसरों से तो सम्मान की यह अपेक्षा रखते किन्तु खुद दूसरों का सम्मान नहीं करते हैं| जीवन में छोटी मोटी अपेक्षायें पूरी न होने पर स्वयं को अपमानित महसूस करते हैं। नकारात्मक सोच वाला आदमी दूसरों में केवल उनके दोष और उनके नकारात्मक पहलू को देखता है । अपने से ज्यादा योग्य व्यक्ति को देख कर उससे ईर्ष्या करना, उसकी बुराई करना एवं अपने आप को असुरक्षित महसूस करना उनकी आदत बन जाती है। अपने अहंकार और अभिमान को स्वाभिमान बता कर अपने बढ़बोलेपन का प्रदर्शन करना। अपनी आलोचना सहन न कर पाना किन्तु दुसरे लोगो उनके दुवारा सही आलोचना करने पर भी उनसे से झगडा करना। जीवन में प्राप्त अच्छे परिणामों के लिए तो खुद को श्रेय देना किन्तु गलत परिणामों के लिए ईश्वर या दूसरों को दोष देना, आदि आदि। अमेरिका मे जब एक कैदी को फॉसी की सजा सुनाई गई तो वहॉ के कुछ बैज्ञानिकों ने सोचा कि क्यों न इस कैदी पर कुछ प्रयोग किया जाय ! तब कैदी को बताया गया कि वे कैदी को फॉसी देकर नहीं परन्तु जहरीला कोबरा सॉप डसाकर मारेगें ! और उसके सामने बड़ा सा जहरीला सॉप ले आने के बाद कैदी की ऑखे बंद करके उसे कुर्सी से बांध दिया | हुआ यह कि उसे सॉप से नहीं डसवाया गया बल्कि उसके शरीर में दो सेफ्टी पिन्स चुभाई गई ! कुछ ही क्षणोंऔर क्या हुआ कैदी की कुछ सेकेन्ड मे ही मौत हो गई, पोस्टमार्डम के बाद पाया गया कि कैदी के शरीर मे सॉप के जहर के समान ही जहर था । सवाल यह उत्पन्न हुआ कि यह जहर कहॉ से आया | विष्मयकारी बात सामने आई कि कैदी की जान लेने वाला तथाकथित जहर उसके खुद शरीर ने ही सदमे मे उत्पन्न किया था ।
नकारात्मक सोच से छुटकारा पाने के कारगार सुझाव
डायरी लिखने की आदत डालें —कोई एक अनचाही या बुरी घटना का एक क्षण में आपका पूरा दिन खराब कर सकती है, या किसी के साथ कोई झगड़ा या बहस हमारी खुशियों को उस दिन कम देता है। जब भी आपको लगे कि आपके मन में नकारात्मक भावनाएं आपको परेशान कर रही हैं तो इन्हे नियंत्रित करने के लिए एक डायरी में उस दिन की 4-5 ऐसी बातों या घटनाओं को लिख डालिये जिसमें आपको खुशी होती है या आपके मन के अन्दर दूसरों प्रति अहसानमंद होने की भावना महससू करी, और आप देखेंगे कि कैसे आपका नजरिया बदल जाता है। ये देखा गया है कि प्रशंसा से आप खुश होते हैं और चिंता, नकारात्मकता और तनाव की भावनाएं आपके पास नहीं आने पाती।
दिन-प्रतिदिन की चुनौतियों का सामना पूरे विश्वास से करें:—-हमे अपनी पुरानी सोच “कि यह काम बहुत मुश्किल इसलिये यह काम मैं नही हो सकता। …..इन बातों के स्थान पर अपने मन मैं यह दोरायें कि यह काम हो जायगा, और इस काम को मैं कर सकता हूँ | हो सकता है ऐसी बहुत सी चीजे हों जिन पर हमारा पूरा नियंत्रण ना हो लेकिन यदि हम अपनी पूरी सामर्थ्य और मन को उस काम करने में लगाते हैं तो तो चाहे सफलता मिले या असफलता हमें बाद में कोई पछतावा नही रहता। चुनौतियों का सामना साहस एवं उत्साह के साथ करें |
असफल या रिजेक्ट होने पर भी निराश नहीं हो करें:—–
रिजेक्शन या असफलता जीवन का अविभाज्य भाग है, याद रक्खें कि जब एक दरवाजा बंद होता तो दूसरा दरवाजा जरुर खुलता है |असफलता से हमें अपनी कमियों को समझने ओर उन्हें सुधारने का मौका मिलता है | ऐसा कोई भी ऐसा इन्सान नहीं है जिसे जीवन कभी असफलता नहीं मिली हो | इसलिए हमेशा ये सोच रखिये कि इस बार असफल या रिजेक्ट हो गया तो क्या हुआ, मैं अपनी कमियों को दूर करूंगा, सब ठीक है, और मुझे जीवन मैं अनेकों अवसर मिलेगें है।
जे.के.गर्ग