प्रतिष्ठा में, दिनांक : 5 मई 2017
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी,
नई दिल्ली।
PMOPG/E/2017/0270274
विषय : ‘बंदूक से नहीं वास्तु से खत्म होगा उग्रवाद और नक्सलवाद!’
‘वास्तु से ही भारत बनेगा सोने की चिडिय़ा!’
गत दिनांक: 24 अप्रैल 2017 सोमवार को माओवादियों ने दक्षिण छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस के गश्ती दल पर हमला कर 25 सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी। इससे पूर्व गत मार्च में भी माओवादियों के हमले में 12 सुरक्षाकर्मी भेजी गांव में मारे गये थे। 2010 में भी टाडमेल्टा गांव में माओवादियों के हमले में 76 सुरक्षाकर्मी मारे गये थे। प्राप्त समाचार के अनुसार केंद्र सरकार अब माओवादियों पर सर्जिकल स्ट्राईक सरीखी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है।
महोदय,
देश की आजादी के बाद पिछले 70 सालों से केंद्र व राज्य सरकारें नक्सलवादियों तथा अन्य उग्रवादी संगठनों पर काबू पाने की कोशिश में लाखों करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, लेकिन ‘मर्ज बढ़ता ही गया, ज्यों-ज्यों दवा की’ की तर्ज पर उग्रवाद घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। सरकार की कोशिशों के व्यर्थ होने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार मर्ज की जड़ में जाकर उसका इलाज करने के बजाय ऊपरी कारणों पर ही अपना ध्यान केंद्रित करती रही हैं। जब तक सरकार इसके मूल कारण को दुरुस्त नहीं करेगी, तब तक उग्रवाद पर काबू पाना मुश्किल ही नहीं असंभव भी होगा।
महोदय,
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि उग्रवाद के पनपने का मुख्य कारण भूख है। आम आदमी के पेट की भूख का जब तक निवारण नहीं होगा, तब तक उग्रवाद पर काबू पाना संभव नहीं होगा। देशविरोधी ताकतें व असामाजिक तत्व, तब तक लोगों को बरगलाकर उग्रवादी व अलगाववादी गतिविधियों में जडि़त कराने में सफल होते रहेंगे, जब तक आम लोगों के पेट की ज्वाला धधकती रहेगी। सरकार कितनी ही सड़कें बना लें, सर्जिकल स्ट्राईक कर लें, वार्ता के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिशें कर लें, बिना जनता के पेट की भूख का दमन किये, उग्रवादियों-नक्सलवादियों का 70 साल नहीं, 700 सालों में भी दमन संभव होने वाला नहीं।
महोदय,
उग्रवाद पर स्थाई रुप से काबू पाने का एक ही उपाय है और वो है वास्तु। हम जिस धरती पर रहते हैं, उसी के नियमानुसार गृह निर्माण करें और सृष्टि ने हमारे मन में जो अकूत शक्ति दी है, उसका उपयोग करें तो हमें जीवन में सुख, शांति, समृद्धि नसीब होनी ही है। देश के आम लोग चूंकि पृथ्वी के नियमों के अनुसार गृह निर्माण नहीं करते तथा अल्ला-ईश्वर-गॉड व शनि-मंगल-बुध-शुक्र आदि ग्रहों के चक्कर में ही पड़े रहते हैं, इसलिए देश की आजादी के 70 सालों बाद भी देश के 19 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को अभिशप्त हैं। देश की संपत्ति का 58 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ 1 प्रतिशत लोगों के कब्जे में है। देश में धनी लोगों की संपत्ति में जहां उत्तरोत्तर बढ़ोत्तरी हो रही है, वहीं देश का गरीब और ज्यादा गरीब होता जा रहा है। अर्थात्त देश में अमीरों और गरीबों के बीच का फासला निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। विश्व के अति गरीब लोगों की आबादी की एक-तिहाई आबादी अर्थात्त विश्व के 33 प्रतिशत अति गरीब लोग भारत में रहते हैं। जाहिर है लोगों की बढ़ती समस्याएं देश में उग्रवाद को पनपने व बढऩे में मददगार बन रही हैं तथा देश के भविष्य को अंधकारमय बना रही है।
देश को समृद्ध और खुशहाल बनाने का एकमात्र रास्ता है वास्तु। अगर भारत के नागरिक वास्तु के नियमानुसार गृह निर्माण करने लगें तो फिर लोगों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आना सुनिश्चित है। जब हर परिवार में सुख, शांति, समृद्धि होगी, तब कोई कतई उग्रवाद या अन्य किसी भी प्रकार की उपद्रवी गतिविधियों में सम्मिलित होना नहीं चाहेगा। और जब कोई उग्रवादी गतिविधियों में सम्मिलित नहीं होगा, तब उग्रवाद अपने आप काल के गर्भ में विलीन हो जायेगा।
महोदय,
देश के पूर्वोत्तर के राज्यों के लोग सदियों से वास्तु नियमों के पूरी तरह विपरीत घरों का निर्माण करते आये हैं, इसीलिए यह क्षेत्र न सिर्फ विकास के मामले में सबसे पिछड़ा है, बल्कि उग्रवाद के मामले में भी सिरमौर है। भारत के सबसे अधिक उग्रवादी संगठन इसी क्षेत्र में जड़ें जमाये हैं। 27 अगस्त 2013 को लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार सरकार ने देश में 65 उग्रवादी संगठनों की शिनाख्त की थी, जिनमें 57 उग्रवादी संगठन पूर्वोत्तर के राज्यों में सक्रिय हैं। इनमें मेघालय में 4, असम में 11, त्रिपुरा में 2, नगालैंड में 4, मिजोरम में 2 तथा सबसे अधिक मणिपुर में 34 उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं। वास्तु दोषयुक्त घरों में वास करने की वजह से इलाके के लोगों की मानसिकता भी काफी नकारात्मक व अलगाववादी है।
महोदय,
विगत 20 सालों से हम पूर्वोत्तर के राज्यों में वास्तु के अनुसार गृहनिर्माण करने हेतु लोगों को प्रेरित करने का कार्य कर रहे हैं। हमने विभिन्न राज्यों में ठेले वाले-रिक्शे वाले से लेकर मुख्यमंत्री तक लगभग 15 हजार परिवारों को नि:शुल्क वास्तु सलाह दी है। नि:शुल्क वास्तु सलाह लेने वालों में सत्ताधारी व विरोधी दलों के नेता, पत्रकार, किसान, मजदूर, डॉक्टर, शिक्षाविद, इंजीनियर, धर्मगुरु, ज्योतिषी, उच्चपदस्थ सरकारी अधिकारी, व्यवसायी आदि हर वर्ग के लोग सम्मिलित हैं। हमने पूर्वोत्तर के सबसे खतरनाक उग्रवादी संगठन ‘उल्फा’ के कई पूर्व उग्रवादियों को भी नि:शुल्क वास्तु सलाह दी है। आपको जानकर खुशी होगी कि इन पूर्व उग्रवादियों के घरों का वास्तु सुधारने के बाद वे न सिर्फ सुख, शांति का जीवन व्यतीत कर रहे हैं, अपितु उनका उग्रवाद से पूरी तरह मोहभंग हो चुका है।
महोदय,
आपने जिस तरह स्वस्थ भारत के निर्माण हेतु प्राचीन भारतीय विद्या योग के प्रचार में रुचि ली, उसी प्रकार देश की जनता को वास्तु के नियमानुसार गृहनिर्माण करने हेतु प्रेरित कर देश को ‘उग्रवाद’ ही नहीं ‘दरिद्रता’ से भी हमेशा-हमेशा के लिए मुक्त करने की दिशा में ठोस कदम उठा सकते हैं। विगत 20 सालों में 15 हजार परिवारों को नि:शुल्क वास्तु सलाह देकर प्राप्त किये अनुभव के आधार पर मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर देश की जनता वास्तु के नियमों के अनुसार गृह निर्माण करने लगे तो हम चंद वर्षों में न सिर्फ देश से उग्रवाद का पूरी तरह सफाया करने में सक्षम होंगे, अपितु देश के लोगों की आर्थिक रुप से भी इतनी उन्नति होगी कि हमारा देश सही मायने में ‘सोने की चिडिय़ा’ बन जायेगा। हमने वास्तु के जरिये जिन 15 हजार परिवारों के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने में सफलता हासिल की है, उनमें काफी लोगों के विडियो साक्षात्कार हमारे पास मौजूद हैं। अगर आप चाहें तो सरकारी अधिकारियों के जरिये उनके साक्ष्य व अन्य तथ्य संग्रहित कर सकते हैं।
महोदय,
उग्रवाद दमन हेतु केंद्र सरकार लगभग हर संभावना को खंगाल चुकी है। अगर पूर्वाग्रह त्याग कर सरकार वास्तु के प्रचार-प्रसार में रुचि लें तो देश की काफी विकट समस्याओं का उसी प्रकार समाधान हो सकता है, जिस प्रकार वास्तु दोष संशोधन के बाद इन 15 हजार परिवारों की समस्याओं का समाधान हुआ है। इस संदर्भ में हम आपका हर संभव सहयोग करने को हमेशा प्रस्तुत रहेंगे।
– आपका ही,
राजकुमार झांझरी
अध्यक्ष, रि-बिल्ड नॉर्थ ईस्ट, गुवाहाटी
मो.: 094350 10055
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राजकुमार झांझरी : एक परिचय
असम के गुवाहाटी निवासी राजकुमार झांझरी पिछले 20 सालों से पूर्वोत्तर के सातों राज्यों में वास्तु के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। जीवन के हर क्षेत्र में कठिनाईयों से जूझने के दौरान ही उन्हें वास्तु के विषय में एक पत्रिका के जरिये जानकारी मिली तो मरता क्या न करता की तर्ज पर उन्होंने वास्तु को भी आजमाने का निर्णय लिया। अपने घर में वास्तु के नियमानुसार परिर्वतन के बाद जब उनके परिवार में सुख, शांति, समृद्धि की बयार बहने लगी तो उन्हें जीवन में वास्तु के महत्व का यथार्थ अनुभव हुआ। पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करते हुए गांवों में खबर संग्रह के दौरान ग्रामीणों के घरों में भयंकर वास्तु दोष देखकर उन्हें महसूस हुआ कि पूर्वोत्तर के लोग पूरी तरह वास्तु के नियमों के विपरीत गृहनिर्माण करते हैं, इसीलिए प्राकृृतिक संपदाओं से देश का सबसे समृद्ध क्षेत्र होने के बावजूद यहां देश में सबसे ज्यादा उग्रवाद, पिछड़ापन है तथा इसी वजह से क्षेत्र के लोगों की मानसिकता ज्यादा नकारात्मक है। जब वे इस निर्णय पर पहुंचे कि पूर्वोत्तर के लोगों को वास्तु के अनुसार गृहनिर्माण हेतु प्रेरित करने से ही इस क्षेत्र को उग्रवाद व पिछड़ेपन से मुक्त कराया जा सकेगा तो उन्होंने वास्तु को अपने जीवन का मकसद बना लिया। उन्होंने वास्तु के प्रति पूर्वोत्तर के लोगों में विश्वास पैदा करने हेतु नि:स्वार्थ रुप से वास्तु के प्रचार-प्रसार का निर्णय लिया। वे बिना किसी प्रकार का पारिश्रमिक लिए घर-घर जानकर लोगों को वास्तु सलाह देने लगे। अखबारों तथा टीवी के जरिये भी लोगों में वास्तु के प्रति जागरुकता पैदा करने लगे।
विगत 20 सालों में वे 15 हजार परिवारों को नि:शुल्क वास्तु सलाह दे चुके हैं। वास्तु के जरिये सिर्फ बेडरुम बदलवा कर 30 से 45 साल की उम्र तक की सैकड़ों लड़कियों की शादी करवा चुके हैं। गलत स्थान पर बेडरुम होने की वजह से स्मृति विलोप हुए तथा मानसिक रुप से पागलपन की हद तक पहुंचे काफी लोगों का बेडरुम बदलवा कर उन्हें पूरी तरह स्वस्थ कर चुके हैं। रोग तथा आॢथक रुप से कंगाली के मुकाम पर पहुंच चुके लोगों को वास्तु सलाह देकर उनका जीवन संवार चुके हैं। राष्ट्र की मुख्यधारा में आये विभिन्न उग्रवादी संगठनों के सदस्यों को वास्तु सलाह देकर उनका जीवन भी सुधार चुके हैं। उनसे वास्तु सलाह लेने वाले परिवारों का फोटो व पता वे फेसबुक में भी अपलोड करते हैं।
भारत सरकार द्वारा रुपये का नया प्रतीक ग्रहण करने के बाद उन्होंने इसमें वास्तु दोष होने का दावा किया था, जो शत-प्रतिशत सच निकला है। इस प्रतीक के उपयोग के बाद से रुपये का अब तक 42-43 रुपये प्रति डॉलर से 68-69 रुपये प्रति डॉलर तक अवमूल्यन हो चुका है। हजार-पांच सौ के नोटों को जलाने, चीर-फाड़कर फेंकने, नालियों-तालाबों में डालने की घटना से भारतीय रुपये की जो अवमानना हुई है, वह किसी से छुपी नहीं है। इस आशय की खबर देश के अग्रणी अखबारों के साथ ही अमेरिका के न्यूयार्क टाईम, पाकिस्तान के डॉन सहित चीन, जापान, श्रीलंका, सऊदी अरब आदि कई देशों के अग्रणी अखबारों में भी छप चुकी है।
श्री झांझरी का कहना है कि 15 अगस्त 1947 को भारत को जो आजादी मिली थी, वो भारतवासियों की राजनैतिक आजादी ही थी, सिर्फ वोट देने की आजादी, जबकि भारत आज भी दरिद्रता, धर्मांधता, असमानता का गुलाम है। जब तक भारत का हर परिवार स्वावलंबी नहीं होता, जब तक भारत के हर परिवार में सुख, शांति, समृद्धि नहीं आती, जब तक भारतवासी धर्मांधता, शोषण व असमानता से मुक्त नहीं हो जाता, तब तक भारत को स्वाधीन कहना अपने आप को धोखे में रखना है। श्री झांझरी का कहना है कि भारत को सच्ची आजादी सिर्फ वास्तु के जरिये ही मिल सकती है। और वे वास्तु के जरिये देश के हर परिवार में सुख, शांति, समृद्धि लाने व देश की जनता को धर्मांधता, शोषण व असमानता के चंगुल से मुक्त कराने के लिए कृृत संकल्प होकर अपने मिशन को अकेले दम पर चला रहे हैं।
– सुदीप शर्मा चौधरी,
(सचिव, रि-बिल्ड नॉर्थ ईस्ट, गुवाहाटी)
