मध्यप्रदेश में रक्षाबंधन वाले दिन बहन अपने भाई के अतिरिक्त अपने माता-पिता आदि को राखी बांधती है तथा राखी निद्वारा परिवार एवम् समस्त परिजनों के प्रति अपना अटूट प्रेम, स्नेह प्रकट करती हैं। व्रज में हरियाली तीज (श्रावण शुक्ल तृतीया) से श्रावणी पूर्णिमा तक समस्त मन्दिरों एवं घरों में ठाकुर झूले में विराजमान होते हैं। रक्षाबन्धन वाले दिन झूलन-दर्शन समाप्त होते हैं। बुन्देलखण्ड में राखी को ‘कजरी-पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। इस दिन कटोरे में जौ व धान बोया जाता है तथा सात दिन तक पानी देते हुए माँ भगवती की वन्दना की जाती है। उत्तरांचल के चम्पावत ज़िले के देवीधूरा मेले में राखी-पर्व पर बाराही देवी को प्रसन्न करने के लिए पाषाणकाल से ही पत्थर युद्ध का आयोजन किया जाता रहा है, जिसे स्थानीय भाषा में ‘बग्वाल’ कहते हैं।
प्रस्तुतिकरण—–जे. के. गर्ग, सन्दर्भ—विभिन्न पत्र पत्रिकायें,मेरी डायरी के पन्ने आदि, Visit our blog—gargjugalvinod.blogspot.in
